जीवन में क्षमा धारण करना भगवान पाश्र्वनाथ से सीखें: मुनि अभय सागर

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शिवपुरी। जीवन में क्षमाधारण करना भगवान पाश्र्वनाथ के जीवन से सीखें। क्रूर कमठ ने दशभव तक लगातार भगवान पाश्र्वनाथ के जीव के साथ उपसर्ग किया और वैरभाव रखा। जिसमें कमठ का जीव तो अधोगती में पहुंचा जबकि पाश्र्वनाथ का जीव ने क्षमा धारण करते हुए तीर्थंकर पदवी प्राप्त की उक्त उदगार प्र यात जैन संत मुनि अभय सागर महाराज ने छत्री जैन मंदिर पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।

इस अवसर पर मुनि प्रभात सागर महाराज ने जैन दर्शन में व्याप्त मोक्ष कल्याणक पर विस्तार से प्रकाश डाला वहीं मुनि पूज्य सागर महाराज ने  जीवन में कभी भी क्रोध न करने की नसीहत उपस्थित जनसमुदाय को दी।

धर्मसभा के प्रारंभ में भगवान पाश्र्वनाथ का मस्तिका अभिषेक चार पुण्यशाली पात्र क्रमश: चिंतामणी संजय जैन बीलारा, राजकुमार जैन जड़ी बूटी, रामदयाल मनीष जैन मावा एवं बचन लाल जैन पत्ते वालों द्वारा स्वर्ण कलश की घोषणा के साथ अभिषेक किया।

धर्मसभा का सफल संचालन संजीव बांझल द्वारा किया गया। संपूर्ण कार्यक्रम विधि विधान पूर्वक ब्रह्मचारी विनय भैया, ब्रह्मचारी जिनेश मलैया, पंडित सुगनचंद जैन द्वारा कराया गया। शांतिधारा करने का सौभाग्य प्रेमचंद अशोक कुमार एवं प्रकाश जैन को प्राप्त हुआ।

साथ ही ब्रह्मचारी भैया एवं बाहर से आये अतिथियों का समाज की ओर से स मान वर्षा योग समिति के संयोजकगण राजकुमार जैन जड़ी बूटी, चौधरी अजीत जैन, प्रकाश जैन, चन्द्रसेन जैन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

इन्होंने चढ़ाया विशेष निर्वाण लाडू
नरवर के श्रद्धालु सुरेशचंद  पवन कुमार जैन ने भगवान पाश्र्वनाथ को 23 किलो का निर्वाण लाडू समर्पित किया जबकि अन्य 10 श्रद्धालुओं ने विशेष रूप से तैयार किये गए निर्वाण लाडू को भगवान के चरणों में अर्पित किया। इस दौरान विधि विधान पूर्र्वक संगीतमय पूजन संगीतकार सुनील जैन द्वारा कराई गई।

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