सिंधिया जी, यह आपके पत्र का प्रताप नही, राजे का मौके पर चौका है

0
ललित मुद्गल @एक्सरे/शिवपुरी। बीते रोज सिंधिया जनसंपर्क कार्यालय से एक प्रेस नोट अखबारों के ऑफिसो में आया कि सिंधिया जी ने प्रदेश के सीएम को तीन पत्र लिखे और सरकार दबाव में आ गई और मेडिकल कॉलेज का एमओयू जारी कर दिया। आज इसी एमओयू जारी करने का प्रेसनोट शिवपुरी विधायक की ओर से गया कि राजे ने प्रयास किया और एमओयू आ गया। भाई बड़ा कन्फूयजन है कि कौन के प्रयास से एमओयू आया। चलिए इस मामले का एक्सरे शिवपुरी समाचार डाट कॉम की मशीन से करते हैं:

इस मामले में हम थोडा से पीछे चलते है। ठीक लोकसभा चुनावों से 2 माह पूर्व 7 फरवरी 2014 को यह मेडिकल कॉलेज सांसद सिंधिया ने केन्द्र सरकार से स्वीकृत करा लिया। उसके बाद केन्द्र में सरकार भाजपा की बन गई और प्रदेश में पहले से ही सरकार भाजपा की थी।

प्रदेश सरकार ने चाल चली और शिवपुरी का मेडिकल कॉलेज लटका दिया। सिंधिया सांसद हैं सो उन्होंने मेडिकल कॉलेज का मुद्दा लोकसभा में उठाया, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। अखबारों में बयान जारी किए। आंदोलन की चेतावनी भी दी, लेकिन कोई आंदोलन नहीं हुआ।

एक बार सांसद सिंधिया ने प्रदेश के सीएम से मिलने का समय मांगा उन्हे सीएम ने समय भी दिया परन्तु एन वक्त पर पलट गए। शिवराज के दरवाजे से सिंधिया को बेरंग वापस लौटना पड़ा। सिंधिया ने फिर बयान जारी किए। जमीन पर कोई आंदोलन नहीं किया। इस पूरे घटना पर सिर्फ बयान ही बरसते रहे। इस कॉलेज के मामले में सिंधिया की हालत सांसद नहीं पार्षद जैसी हो गई थी। लाचार और बेबस।

शिवपुरी की पूरी की पूरी कॉग्रेस जो सिंधिया जिंदाबाद के नारे लगा-लगाकर अपना गले को जाम कर लेती है। उनके हाथ पैर भी इस मुद्दे पर जाम हो गए। सिंधिया का सरेआम अपमान हुआ परंतु विरोध में एक अदद पुतला तक नहीं जला। बड़ा दर्द हुआ। काश कैलाशवासी माधवराव सिंधिया होते, 8 घंटे के भीतर भोपाल की सड़कें जाम हो गईं होतीं। उन्हें जता दिया जाता कि भले ही सरकार बदल गई लेकिन सांसद के पास भी जनशक्ति होती है और जब वो सांसद सिंधिया हो तो यह शक्ति 10 गुना बढ़ जाती है।

ऐसा नही है कि शिवपुरी में सिंधिया समर्थक नही हैं, शहर में जब सांसद आते हैं तो उनके काफिले की गाडिया गिननी मुश्किल हो जाती है। सोचा चलो कोई बात नहीं, विधानसभा में कांग्रेसी विधायक मामला उठाएंगे, हंगामा बरपाएंगे, लेकिन ऐसा भी कुछ नहीं हुआ। बस बयान और प्रेम पत्रो के भरोसे ही राजनीति को चमकाने की कोशिश की जाती रही।

पब्लिक पार्लियामेंट ने पिछले माह जलक्रांति सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया और उसमें सिंध के पानी के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज की मांग भी की। कहना ही होगा कि इस अवसर का शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने पूरा लाभ उठाया। सीएम हाउस को दवाब में लिया और समान भाव से दोनों मुद्दों पर निर्णायक कार्रवाई के लिए सीएम को तैयार किया।

इस सत्याग्रह से सरकार प्रेशर में आ गई और सीएम को सिंध की जलावर्धन योजना को पुन: शुरू कराने व मेडिकल कॉलेज के काम को तत्काल शुरू कराने की घोषणा भी करनी पडी।

इसे विधायक का मौके पर चौका कहा जाना चाहिए। उन्होंने अपने राजधर्म का पालन किया। पहली बार यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी के हित में रणनीति बनाकर काम करती दिखाई दीं। उन्हें मालूम होगा कि श्रेय का संघर्ष शुरू होगा फिर भी उन्होंने राज्य सरकार पर प्रेशर बनाए रखा और मेडिकल कॉलेज की धूल खा रही फाईल पर एमओयू के लिए साईन करा लिया।

सांसद महोदय को समझना होगा कि जब हालात प्रतिकूुल हों तो चिट्ठियों से काम नहीं बनता। चिट्ठे खोलने पड़ते हैं। जमीन पर उतना पड़ता है और सुबह आए शाम को लौट गए वाले दौरे नहीं लम्बा संघर्ष करना पड़ता है। अब जब विधायक की कूटनीति काम कर रही है तो उसे फलीभूत होने दो। शिलान्यास आपने कर ही लिया, शुभारंभ उन्हे ही करने दो। 

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!