शिवपुरी। जिले में 3 बच्चो की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि बच्चो की मौत कुपोषण से हुई है ना कि खसरे से। इससे पहले खबर आई थी कि खसरे के कारण 3 बच्चों की मौत हो गई। इन बच्चों की मौत पर सवाल खडे हो रहे है कि मौत खसरे से या कुपोषण से।
जिले में टीकारण अभियान की किस तरह बैंड बजाई है इसका उदा. हम करैरा अनुविभाग में देखने को मिल रहा है। जिले के करैरा अनुविभाग के ग्राम उकायता की आदिवासी बस्ती में 2 बच्चो और नरवर क्षेत्र के 1 बच्चे की मौत की सूचना पर प्रशासन चक्कर घिन्नी हो गया और प्रशासन ने दावा कर दिया कि बच्चो की मौत खसरे से नही कुपोषण से हुई है।
जानकारी के अनुसार उकायला गांव की आदिवासी बस्ती में रहने वाले सौरभ उम्र 7 वर्ष पुत्र सुरेश आदिवासी व छाया उम्र डेढ साल पुत्री नरेश आदिवासी और रूबी आदिवासी उम्र 7 माह पुत्री रामदास निवासी कालीखेत नरकर की मौत खसरे के कारण हो गई।
इस सूचना पर जिला टिकारण अधिकारी डॉ.संजय ऋषिश्वर करैरा के उकायला के ग्राम की आदिवासी बस्ती अपनी टीम के साथ के साथ पहुचें और उन्होने दावा किया कि यह मौत खसरे के कारण नही कुपोषण के कारण हुई है।
इस टीम ने इस गाव के और बच्चो को निरिक्षण किया तो और 8 बच्चो का भी खसरे के लक्षण मिले है। उनका उपचार किया जा रहा है।
बताया गया है कि कुछ दिन पहले छाया को करैरा एनआरसी में भर्ती कराया गया जहां से उसे परिजन उसे शिवपुरी रैफर किया गया। परिजन उसे शिवपुुरी अस्पताल ले भी गए,जहां 12 जुलाई को उसकी मौत हो गई।
सौरभ को भी कुपोषण के चलते करैरा एनआरसी से शिवपुरी भेजा गया लेकिन परिजन शिवपुुरी नही ले गए वापस गांव ले गए। जहां सौरभ की मौत हो गई।
यह पर एक सवाल खडा हो रहा है। कि करैरा के उकायला ग्राम के दोनो बच्चो को एनआसी में स्वास्थय लाभ दिया गया उन्है शिवुपरी अस्पताल में भी भर्ती रखा गया तो उनकी मौत कुपोषण से कैसे हो गई।
क्या एनआरसी देखने और दिखाने को है जब बच्चे कुपोषित थे और उन्है अस्पताल से छुट्टी क्यो दी गई। आंगनवाडी कार्यकर्ता ने उन्है निगरानी में क्यो नही रखा। जब शासन ने कुपोषण से निवटने के लिए पूरा एक विभाग महिला विकास विभाग बना रखा है और इसमेे इस जिलें में ही करोडो का फंड आ रहा है।
या टीकाकरण अभियान की इस जिले में बेंड बजा रखी है,जिले में टीकाकरण अभियान सिर्फ मुनादी ही कराई जाती है। यह सब सवाल खडे हो रहै है।
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