मनुष्य के कर्मों से होता है जीवन का उद्धार : पं.नरोत्तम शास्त्री

शिवपुरी- इस संसार में भागमभाग जिंदगी में मनुष्य जी तो रहा है लेकिन वह अपने कर्मों को ध्यान में नहीं रखता इसलिए वह दुर्गणों की संगत में आकर अपना भविष्य बर्बाद करता है जबकि श्रीमद् भागवत कथा में बताया गया है कि मनुष्य का जीवन सद्कर्मों के लिए ही हुआ है और उसे सदाचार, सद्विचार, सद्कर्मों और  सद्प्रेरणा वाले कार्य करना चाहिए यदि ऐसा मनुष्य करें तो निश्चित रूप से मनुष्य के कर्मों का निर्धारण ही उसका जीवन उद्वार करते है। उक्त आर्शीवचन दिए पं.नरोत्तम शास्त्री श्रीवृन्दावन धाम ने जो स्थानीय श्रीसोमेश्वर महादेव मंदिर पर प्रजापति समजा के श्रीमती रति-हरि (टेलर)प्रजापति परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का धर्मज्ञान बांट रहे थे। इस अवसर पर सर्वप्रथम कथा पूजन मु य यजमान द्वारा किया गया और तत्पश्चात पं.नरोत्तम शास्त्री से आर्शीवाद लिया। कथा के प्रसंग में आज चतुर्थ दिवस की कथा में भक्त प्रहलाद का सुन्दर चरित्र श्रवण कराया गया व देवासुर संग्राम एवं समुद्र मंथन की कथा सुनाई गई। इस दौरान श्रीमद् भागवत कथा में परोपकारी व भक्तराज गजेन्द्र की कथा भी पं.नरोत्तम शास्त्री ने सुनाई कथा को सुनकर धर्मप्रेमीजन भावविभोर होते हुए नजर आए। कथा के नवम् स्कन्ध में महाराज द्वारा सूर्यवंशी राजाओं का वंश वर्णन किया एवं भगवान मर्यादापुरूषोत्तम श्रीरामजी का संक्षिप्त चरित्र सुनाया और कथा के अंत में आनन्दकर बृजनंदन यशोदानंदन भगवान श्रीकृष्ण की कथा का सार सुनाया गया। कथा समापन की ओर अग्रसर है सभी धर्मप्रेमीजनों से आग्रह है कि वह सोमेश्वर मंदिर पहुंचकर कथा का धर्मलाभ लें।