शिवपुरी। एक धार्मिक आयोजन में विध्न डालने के बाद उपजे असंतोष को अपने स्तर पर हेंडल ना कर पाने वाले टीआई सुनील श्रीवास्तव को सस्पेंड कर दिया गया है। याद दिला दें कि टीआई ने धार्मिक आयोजन पर कार्रवाई के बाद लोगों को यह बता दिया था कि कार्रवाई एसपी मो. यूसुफ कुर्रेशी के आदेश पर हुई है। चूंकि पुलिस अधीक्षक जाति से मुसलमान हैं, अत: उनका नाम आते ही मामले ने साम्प्रदायिक मोढ़ ले लिया। जांच के बाद एसपी ने इस मामले में टीआई को असंतोष भड़काने का दोषी पाया एवं सस्पेंड कर दिया।
आपको बता दें कि शिवपुरी शहर से 13 किमी दूर श्री बांकड़े हनुमान जी मंदिर पर प्रति मंगलवार को हजारो श्रद्धालु पैदल दर्शन करने जाते हैं। यह परंपरा पुरानी होती जा रही है। विगत मंगलवार को ऐसा ही एक श्रद्धालुओं का एक जत्था गाने बाजे और डीजे के साथ श्री बांकडे हनुमान मंदिर पर पैदल दर्शन करने करने जा रहा था। कि तभी अचानक पुलिस दल ने यात्रा को घेर लिया और डीजे जब्त कर लिया।
इस मामले में आपत्ति जताने जब यात्रियों का जत्था टीआई सुनील श्रीवास्तव के बंगले पर पहुंचा तो टीआई ने यह कहते हुए डीजे को मुक्त करने से इंकार कर दिया, कि यह कार्रवाई एसपी कुर्रेशी के आदेश पर हुई है। टीआई की इस प्रतिक्रिया ने आग में घी का काम किया और सुबह सवेरे ही यात्रियों ने एसपी निवास को घेर लिया। बाद में एसपी ने डीजे को मुक्त कर दिया, लेकिन स्वीकार किया कि कार्रवाई के आदेश उन्होंने ही दिए थे। उन्होंने डीजे को बंद कराने के आदेश दिए थे, जब्त करने के नहीं।
कुछ सवाल जो गूंज रहे हैं :
पुलिस विभाग में बंद करने का तात्पर्य गिरफ्तार करने से निकाला जाता है। अत: डीजे बंद करने का तात्पर्य भी जब्त करने से ही निकाला गया। यदि टीआई आदेश का पालन नहीं करता तो भी दोषी ही पाया जाता।
राजेश्वरी रोड पर वो कौन लोग थे जिन्होंने सुबह 4 बजे सीधे एसपी को फोन पर डीजे की शिकायत की ? सवाल इसलिए क्योंकि यह धार्मिक यात्रा तो प्रति मंगलवार को होती है। शिकायतकर्ताओं का कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है।
सवाल यह भी है कि जब एसपी शिवपुरी सुबह 4 बजे फोन पर मिलने वाली शिकायत को गंभीरता से लेते हैं तो उनके निवास पर आने वाले धार्मिक यात्रियों को इतना लम्बा इंतजार क्यों करवाया गया। उनकी सुनवाई इतनी ही संवेदनशीलता के साथ तत्काल क्यों नहीं हुई।
क्या टीआई ने यह जानते हुए कि मामला साम्प्रदायिक हो सकता है, आग में घी डालने का काम किया एवं क्या सुनील श्रीवास्तव का पिछला रिकार्ड कुछ इस तरह का रहा है कि वो अपनी परेशानियां उच्च अधिकारियों पर टालता है।
टीआई सुनील श्रीवास्तव एवं उनका परिवार व्यक्तिगत रूप से क्या किसी ऐसे संगठन से जुड़े हैं जिनपर साम्प्रदायिक होने का आरोप लगता रहा है।
लव्वोलुआब यह कि मामला संवेदनशील है। व्यवस्था से जुड़ा है और शिवपुरी जैसे शांत शहर में साम्प्रदायिकता का जहर घोलने का अपराध हुआ है। इसे कतई क्षम्य नहीं माना जा सकता। जांच में सभी बिन्दुओं का स्पष्ट होना जरूरी है ताकि आम लोगों के बीच सही स्थिति सामने आ सके।