शिवपुरी। पोहरी अनुविभाग में पोहरी से सटे सोनीपुरा क्षेत्र में शासकीय भूमि को राजस्व अभिलेख में फर्जी तरीके से दर्ज कराकर 4 रसूखदारों ने करा़ेडों की जमीन के पट्टे करा लिए, इसमें तत्कालीन तहसीलदार से साठगांठ कर कलेक्टर के पूर्व रीडर, आरआई और कांग्रेसी नेताओं की पत्नियों के नाम हुई दो बीघा से अधिक शासकीय भूमि के अवैध आवंटन की याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी।
इस पर हाईकोर्ट ने कलेक्टर के 6 सप्ताह में पट्टे निरस्त करने के निर्देश दिए थे। इस आदेश पर अमल करते हुए एसडीएम ने यह सभी पट्टे निरस्त कर दिए, लेकिन इन चारों आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इस मामले में याचिकाकर्ता पहलवानसिंह व बृजमोहन धाकड ने इन लोगों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।
याचिकाकर्ता पहलवानसिंह गुर्जर तथा बृजमोहनसिंह धाकड ने उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में एक जनहित याचिका दायर की गई थी इसमें हाईकोर्ट ने शिवपुरी कलेक्टर को 6 हफ्ते में इन पट्टों के संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस पर कलेक्टर राजीव दुबे ने एसडीएम को जांच के निर्देश दिए, इसमें एसडीएम ने इन आवंटनों को अवैध मानते हुए निरस्त कर दिया।
बताया गया है कि कलेक्टर के रीडर रहे हरनामसिंह रावत ने तहसीलदार के रीडर रहते पोहरी के आरआई तुलाराम वर्मा के साथ मिलकर तत्कालीन तहसीलदार यादराम वर्मा व तत्कालीन पटवारी प्रेमचंद शर्मा से साठगांठ कर पोहरी में सोनीपुरा ग्राम की वेशकीमती सरकारी भूमि के पट्टे करा लिए।
यहां शासकीय भूमि बंदोबस्त पूर्व सर्वे नंण् 20-1 में से हरनामसिंह ने अपनी पत्नी विद्यादेवी व आरआई तुलाराम वर्मा ने अपनी पत्नी चंदनिया के नाम तहसीलदार पोहरी से प्रकरण क्रमांक 145-84-85 अ 19 के तहत 7-7 विसवा जमीन के पट्टे करा लिए
रीडर हरनामसिंह व आरआई की मदद से कांग्रेस नेता श्याम सुंदर बंसल ने अपनी पत्नी अंगूरी देवी को आवासहीन बताकर ग्राम सोनीपुरा के बंदोबस्त पूर्व सर्वे नंण् 20-1 में से 1 बीघा भूमि तत्कालीन तहसीलदार यादराम वर्मा से मिलकर आवंटित करा ली।
इसी तरह शिवपुरी के व्यापारी रामजीलाल ठर्री वालों ने भी पत्नी कमलादेवी को आवासहीन बताकर तहसीलदार से उसके नाम 7 विसवा सरकारी भूमि का अवैध रूप से पट्टा करा लिया।
याचिकाकर्ता पहलवानसिंह का कहना है कि कलेक्टर के पूर्व रीडर, आरआई तुलाराम वर्मा, कांग्रेसी नेता श्यामसुंदर बंसल व व्यापारी रामजीलाल ठर्री वालों ने अपनी पत्नियों के नाम सरकारी भूमि को अवैध रूप से आवंटित करा लिया है।
इसकी मौजूदा कीमत 5 से 10 करा़ेड रुपए है एसडीएम ने यह पट्टे तो निरस्त कर दिए, लेकिन चारों आरोपियों के खिलाफ कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं कराए इसके लिए वे फि र से न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर रहे है।