दलाली प्रथा और बाबूओं के भरोसे चल रहा परिवहन विभाग

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शिवपुरी। शहर में मौजूद वाहनों की फिटनेस, रजिस्ट्रेशन व ड्रायविंग लायसेंस के कार्यरत परिवहन विभाग आज भी अपने कंधों के बल पर कार्य नहीं कर पा रहा। बतायाजाता है कि यहां आए दिन दलाली प्रथा और बाबूओं के हाथ में पूरी कमान होती है। चर्चा थी कि नवागत परिवहन अधिकारी यहां की व्याप्त अव्यवस्थाओं को सुधारने का प्रयास करेंगें लेकिन वह इस कार्य में नाकाफी साबित नजर आए। यहां आए दिन आमजन लूट का शिकार हो रहा है जिसका सरेआम शोषण जिला परिवहन विभाग में कार्य करने वाले दलाल और बाबू कर रहे है। ऐेसे में कैसे जनता की समस्याओं का निदान होगा और वह कैसे भ्रष्टाचार के इस शोषण से मुक्त हो सकेंगें। यह तो आने वाला समय ही बताएगा फिलवक्त जिला परिवहन विभाग के हालातो में कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा और यहां आज भी फिटनेस, परमिट व ड्रायविंग लायसेंस के लिए हजारों रूपये की राशि भ्रष्टाचार के रूप में भेट चढ़ानी पड़ रही है।

जमकर है भ्रष्टाचार का बोलबाला
बताना होगा कि जिला परिहवन विभाग आज आधुनिक व्यवस्थाओं से सुसज्जित है तो लेकिन इन व्यवस्थाओं को ढकोसला साबित करने में विभाग के ही कर्ताधर्ता लगे हुए है। आज भी यहां दलीला प्रथा और भ्रष्टाचार का ऐसा बोलबाला है कि पूर्ण रूप से यहां आमजन स्वयं को लुटा हुआ महसूस करता है। ना तो यहां जनता का समय काम पर होता है और ना ही उन्हें उनके अधिकारों का प्रयोग करने की अनुमति उन्हें मिलती है। ऐसे में यहां एक-एक ड्रायविंग लायसेंस के लिए 1000 से 1500 रूपये देने पड़ते है जबकि शासन के नियमों की बात की जाए तो यहां केवल 300-400 रूपये ही खर्चा आता है। ऐसे ही फिटनेस, परमिट में भी खेल होता है यहां दलाल प्रथा और भ्रष्टाचार ने ऐसे पैर जमाए है कि स्वयं नए परिवहन अधिकारी को भी यहां पदस्थ तीन-चार माह हो चुके है लेकिन वह यहां की व्यवस्थाओं को सुधार करने में सफल नहीं हो पाए।

फिटनेस और परमिट के नाम पर भी ऐंठे जा रहे पैसे
बताया जाता है कि जिला परिवहन विभाग में इन दिनों फिटनेस और परमिट के नाम पर भी अच्छाखासा खेल खेला जा रहा है। बताया गया है कि यहां जितने भी कण्डम वाहन होते है उनके भी फिटनेस और परमिट तब बना दिए जाते है जब इसके बदले में अच्छा खासा भ्रष्टाचार रूपी पैसा दे दिया जाता है। यहां वाहनों की ना तो समय पर चैकिंग होती और ना ही उनके परमिट व फिटनेस को जांचा जाता। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि शासन के नियमों को धता बताकर फिटनेस और परमिट हाथों-हाथ दिए जा रहे है। जिला परिवहन अधिकारी भले ही इस प्रथा को बदलने का हर संभव प्रयास करें लेकिन दलाल और भ्रष्टाचार के बोलबाला के आगे वह भी बेबस नजर आते है। ऐसे में जिले में संचालित वाहनों की नियमित जांच व परमिट और फिटनेस जांची जाए तो अनेकों वाहन अनफिट नजर आऐंगें।

इनका कहना है
वाहनों के फिटनेस, परमिट को लेकर हम समय-समय पर चैकिंग अभियान करते है और रही बात परिवहन कार्यालय में दलीला प्रथा और भ्रष्टाचार की तो यहां अब ऐसा नहीं होता मैं स्वयं ऑफिस में बैठकर कार्य करता हॅंू।
विक्रमजीत सिंह कंग
जिला परिवहन अधिकारी, शिवपुरी

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