शिवपुरी। अक्सर पेट्रोल पंपों पर गाडिय़ों में मूल्य से कम मात्रा में पेट्रोल डाले जाने की शिकायत मिलती रहती हैं। पिछले दिनों कर्मचारी नेता राजेन्द्र पिपलौदा के शिक्षक भाई राजबिहारी शर्मा ने एक पेट्रोल पंप से 100 रुपये का पेट्रोल भरवाया, लेकिन जब उन्होंने उस पेट्रोल की मात्रा जानी तो वह हैरान रह गये।
उनकी गाड़ी में सिर्फ 25 रुपये का पेट्रोल डाला गया था बाद में वह पेट्रोल पंप पर गये और लड़ाई झगड़ा कर पैसे वसूल किये, लेकिन इससे यह स्पष्ट हो गया कि कुछ पेट्रोल पंपों पर आपकी जेब में डाका डाला जा रहा है।
सवाल यह है कि यह होता कैसे है? मीटर जब चलता है तो यह पेट्रोल पंप वाले कम पेट्रोल कैसे डाल देते हैं? इसी की छानबीन करने एक रिपोर्टर एक पेट्रोल पंप पर पहुंचा और अब सुनिये उसी की जुबानी। पेट्रोल पंपों की असलियत।
उक्त रिपोर्टर का कथन है कि जब मैं एक पेट्रोल पंप पर पहुंचा तो मुझसे पहले वहां दो और लोग पेट्रोल डलवा रहे थे। इसलिए मैंने भी अपनी बाइक लाइन में लगा दी और पेट्रोल डालने वाले कर्मचारियों का गौर से निरीक्षण करने लगा।
उसके अनुसार मुझसे पहले मारूति स् िट का ड्रायवर पेट्रोल डलबा रहा था उसने एक हजार रुपये का नोट गाड़ी के अंदर से ही दिया। कर्मचारी ने पहले मीटर शून्य किया फिर उसमें हजार रुपये फीड किये और नोजल लेकर पेट्रोल डालने लगा।
मेरा ध्यान नोजल पर था तभी मुझे कर्मचारी के हाथ में कुछ हरकत महसूस हुई। उसने इतने धीरे से हाथ हिलाया कि किसी को संदेह नहीं हुआ। लगभग 20-30 सेकंड बाद उसने यही हरकत दुबारा की।
तब मुझे दाल में कुछ काला लगा। क्योंकि जब नोजल का स्विच एक बार दबा रहने पर स्वत: पेट्रोल टंकी में गिरने लगता है तो फिर उसे मूव करने की जरूरत क्या है? कर्मचारी ने मुझसे आगे वाली बाइक में 100 रुपये का पेट्रोल डालना शुरू किया और वही क्रिया फिर दोहराई लेकिन इस बार हरकत 8 से 10 सेकेंड की थी अब मुझे समझ में आ गया कि हो न हो नोजल में कुछ गड़बड़ है इसके बाद जब मेरा नंबर आया तो मैंने 200 रुपये देकर पेट्रोल डालने को कहा।
कर्मचारी ने फिर मीटर जीरो किया अभी नोजल डाले कुछ ही सेकेंड बीते होंगे कि उसकी उंगलियों ने कुछ हरकत की, लेकिन मैं पहले से तैयार था मैंने फुर्ती से उसका हाथ पकड़कर नोजल से बाहर खींच लिया। मैंने देखा कि नोजल में तो पेट्रोल आ नहीं रहा था। समझ में आ गया कि चोरी किस तरह से की जाती है।
पेट्रोल डालते समय नोजल का स्विच बंद कर दिया जाये तो मीटर चलता रहता है, लेकिन नोजल बंद होने की बजह से पेट्रोल बाहर नहीं निकलता। इसी बात का फायदा उठाकर कर्मचारी उपभोक्ताओ की जेब पर डाका डालते हैं।
अगर यह लोग 10 सेकेंड के लिए भी स्विच ऑफ कर देते हैं तो समझ लीजिये कि आपका 50 रुपये का पेट्रोल कम हो गया है। इसलिए पेट्रोल डलवाते समय सावधानी बरतें।
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