शिवपुरी। यातायात विभाग के नियमानुसार चालानों का अर्थदंड एक ही होता है परन्तु शिवपुरी यातायात विभाग के पास एक ही गलती के अलग-अलग अर्थदंड निर्धारित कर रखा है। ऐसा क्यो हुआ यह आप स्वयं ही समझदार है। पढिए शिवुपरी यातायात विभाग की एक ऐसी ही वसूली की कार्यवाही।
ताजा-तरीन मामला ऐसा सामने आया है जिसमें यातायात प्रभारी पुरूषोत्तम विश्नोई ने पोहरी वायपास पर चैकिंग अभियान चलाया। यहां ओवरलोड वाहन को देखा तो उन्हें रोका जिसमें 04 ओवर लोड वाहन क्रमांक एम पी 07 जी.6016, एम पी 33 एच.2298, एम पी 07 जी 3063 एवं एम पी 08 ए 8388 में क्षमता से अधिक ओवरलोड माल भरा हुआ था।
बताया जाता है कि इन वाहनों में 09 टन की अपेक्षा 07 टन अधिक माल भरा हुआ था लेकिन जब चालानी कार्यवाही हुई तो इसमें भेदभाव नजर आया। चालानी कार्यवाही अनुसार 12 जून को जब यातायात विभाग ने एक आरटीआई के तहत दी जानकारी में बताया कि इन सभी वाहनों में क्रमश: 01 व दूसरे वाहन पर 2500 रूपये का चालान काटा जबकि अन्य तीसरे व चौथे वाहन पर 3000 रूपये का चालान काटा।
जब सभी ओवरलोड वाहनों में माल एक ही था और उनमें ओवरलोड भी समान था फिर चालानी कार्यवाही अलग-अलग कैसे हो गई? यह सवाल आमजन के जेहन में है कि आखिर यातायात प्रभारी ने ऐसा क्या कुछ कर दिया कि इन वाहनों पर कार्यवाही करने में भेदभावपूर्ण नीति अपनाई।
चर्चा है कि यहां यातायात प्रभारी ने वाहन चालकों के सांठगांठ कर इस पूरे मामले में अपने बारे-न्यारे किए है लेकिन यह पोल शहर के ही एक व्यक्ति ने खोल दी जिसमें लिखित प्रमाणों से यह पता चलता है कि चालानी कार्यवाही में भिन्नताऐं है। ऐसे में अब यह पूरा मामला जांच का विषय है यदि निष्पक्ष कार्यवाही की जाए तो यातायात प्रभारी पर इसकी गाज गिर सकती है।
अनफिट वाहन को भी बिना जांच छोड़ा
यातायात विभाग चालान के फेर में की जा रही लापरवाही उस समय भी सामने आई। जब एक वाहन को ओवरलोड़ देखते हुए तो पकड़ लिया लेकिन इस वाहन के कागजातों को नहीं खंगाला और बाद में उसे चालानी रसीद देकर रवाना कर दिया।
यातायात विभाग ने जिस ओवरलोड वाहन क्रमांक एम पी 08 ए 8388 को पकड़ा था इसका रजिस्ट्रेशन भी लगभग 20 वर्ष पुराना है जिसमें रजिस्ट्रेशन तिथि 01.01.95 दशाई गई है जबकि इस वाहन का फिटनेस प्रमाण पत्र भी 8 वर्ष पूर्व अवैध हो चुका है।
फिटनेस वाहन के जो तिथि दर्शाई है उसके अनुसार 10.05.2007 से 09.05.2008 तक वैध बताया गया बाबजूद इसके आज भी यह वाहन बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के सड़कों पर दौड़ रहा है। इससे यह पता चलता है कि यातायात विभाग ने अधिकांशत: जितने भी वाहन चैकिंग में पकड़े उनके खिलाफ केवल चालानी कार्यवाही की और बाद में उसके कागजात बिना देखे ही उन्हें छोड़ दिया गया।
जिससे यह कार्यवाही ही सवालों के घेरे में है। पुलिस अधीक्षक को इस मामले में उचित कदम उठाने चाहिए।