वीरेन्द्र रघुवंशी भाजपा में जाने से हरवीर रघुवंशी को मिला है लाभ

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शिवपुरी। कांग्रेस में एक जमाने में शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र के एकमात्र दावेदार के रूप में पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी जाने जाते थे, लेकिन उनके कांग्रेस से भाजपा में जाने के बाद आये रिक्त स्थान को अब हरवीर रघुवंशी भरने की जुगत में हैं।

हरवीर भी वीरेन्द्र रघुवंशी की तरह कोलारस विधानसभा क्षेत्र के मूलनिवासी हैं, लेकिन परिस्थितियां वीरेन्द्र को शिवपुरी खींच लाईं थीं, लेकिन हरवीर शिवपुरी में परिस्थितियों को अपने पक्ष में करने में लगे हुए हैं क्योंकि कोलारस विधानसभा क्षेत्र में उनके अलावा विधायक रामसिंह यादव, प्रदेश कांग्रेस महामंत्री बैजनाथ सिंह यादव, नपं कोलारस के अध्यक्ष रविन्द्र शिवहरे प्रबल दावेदार हैं इन दावदारों ने भी हरवीर को कोलारस से हटाने के लिए उन्हें शिवपुरी में पैर जमाने के लिए भरपूर मदद देने का आश्वासन दिया है।

इसी कारण हरवीर की अब शिवपुरी में सक्रियता बढ़ गई है और श्री सिंधिया के खोड़ दौरे के आगमन की तैयारी के लिए वह वहां पहुंच भी गये।

सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के विश्वासपात्र हरवीर सिंह रघुवंशी कांग्रेस में सबसे मेहनती नेता हैं। मेहनत के अलावा उन्हें राजनीति की बारीकियों का भी बखूबी ज्ञान है। लेकिन कुछ समय पहले तक उन्हें पार्टी में पिछलग्गू नेता के रूप में जाना जाता था।

पूर्व विधायक गणेश गौतम से लेकर वह पूर्व मंत्री पूरन सिंह बेडिय़ा और कोलारस विधायक रामसिंह यादव का रिमोट कंट्रोल उनके हाथ में रहता था। श्री रघुवंशी की विशेषता रही है कि वह जिसके साथ भी रहें हैं दिल से रहे हैं, लेकिन पिछले एक डेढ़ साल में हरवीर ने अपनी खुद की पहचान बनाई है। उनके पुराने दिन अब लद गये तथा वह आर्थिक रूप से भी संपन्न हैं। आर्थिक विपन्नता के कारण वह पहले हमेशा क्षमता के बावजूद पिछड़ते रहे थे।

जबकि कांग्रेस राजनीति में उनके सजातीय बंधु वीरेन्द्र रघुवंशी हमेशा मनी पॉवर के बलबूते वर्चस्व कायम किया है, हालांकि वीरेन्द्र रघुवंशी के स्वभाव में जो आक्रामकता है वह हरवीर की प्रकृति में नहीं है। यही लीडर के रूप में हरवीर का कमजोर पक्ष है।

वीरेन्द्र भी एक जमाने में कोलारस से दावेदार थे, लेकिन शिवपुरी विधानसभा उपचुनाव में विधायक पद की महत्वाकांक्षा से ग्रसित होकर उन्होंने साम, दाम, दण्ड, भेद की राजनीति अपनाकर टिकिट प्राप्त किया और जीत भी हासिल की। हरवीर भी कोलारस से जुड़े हैं।

कोलारस मण्डी कमेटी के वह अध्यक्ष रह चुके हैं और कोलारस राजनीति के हर पक्ष से वह बाकिफ हैं, लेकिन उनके समक्ष दिक्कत यह है कि कोलारस में उनसे बढ़कर एक से एक दावेदार हैं। कांग्रेस में विधायक पद के दावेदारों की दृष्टि से कोलारस सबसे संपन्न है। यहां यदि रामसिंह यादव अपना स्थान रिक्त करते हैं तो उसकी भरपाई करने के लिए बैजनाथ सिंह यादव, रविन्द्र शिवहरे और स्वयं रामसिंह यादव की बेटी मिथलेश यादव का दावा अधिक प्रबल है।

इनकी तुलना में हरवीर सिंह रघुवंशी का दावा काफी कमजोर है, लेकिन उनमें वह क्षमता है कि भले ही वह टिकिट हांसिल न कर पायें, लेकिन टिकिट की थाली किसी से खींचकर दूसरे पाले में ला सकते हैं। इसी कारण उनसे टिकिट के सभी दावेदार आशंकित हैं।

इसलिए हरवीर के पुनर्वास की उनसे अधिक कांग्रेस में उनके कोलारस विधानसभा क्षेत्र के राजनैतिक विरोधियों को है। इसी कारण जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद से रामसिंह यादव मुक्ति चाहते हैं और बैजनाथ सिंह यादव ने दावेदारी से अपना हाथ यह कहते हुए खींच लिया कि वह अब जिला पंचायत में उत्सुक हैं क्योंकि जिपं अध्यक्ष उनकी धर्मपत्नी कमला यादव  हैं और वह जिपं में सांसद प्रतिनिधि के तौर पर उनकी मदद के लिए इच्छुक हैं।

लेकिन जिपं अध्यक्ष पद का फैसला अभी हो नहीं पा रहा और अंतिम क्षण में बाजी कहीं फिसल नहीं जाये इसीलिए हरवीर को शिवपुरी की ओर आकर्षित किया जा रहा है और वह स्वयं इसमें उत्सुक नजर आ रहे हैं। हरवीर ने शिवपुरी की राजनीति में अपना ध्यान केन्द्रित कर लिया है।

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