कलियुगी भगवानो की कृपा से मां के लाल ने मां की कोख में तोडा दम

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शिवपुरी। आज फिर कलीयुगी भगवनो की कृपा से एक मां को अपने बच्चे को कोख में ही खोना पडा। ईतना ही नही इन भगवानो ने अपनी करनी को छुपाने के लिए अपने अस्पताल का समान स्वयं ही फैक दिया जा पहुंचे एसपी के पास शिकायत दर्ज कराने।

जानकारी के अनुसार बदरवास स्वास्थ्य केन्द्र में सोमवार शाम प्रसव पीडा होने पर एक आदिवासी प्रसूता रामकली  पत्नि सरबन आदिवासी निवासी ग्राम ईशरी को परिजनो द्वारा भर्ती कराया गया।

देर रात अचानक प्रसूता की हालत बिगडने लगी परिजन डॉक्टर के पास पंहुचे तो डॉक्टर आरएल पिप्पल व स्टॉफ ने उन्है शिवपुरी अस्पताल रैफर कर दिया और अपना पल्ला झाड लिया। 

परिजनो ने बताया कि हमें रैफर करके कोई भी सुविधा बदरवास अस्पताल नही दी, जननी की व्यवस्था भी नही की, हमे रात में ही पैसे की व्यवस्था करनी पडी और प्राईवेट वाहन के द्वारा प्रसुता को शिवपुरी लाना पडा परन्तु प्रसुता की हालत लगातार खराब होती जा रही थी और रास्ते में ही प्रसुता का प्रसव हो गया बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ।

हम इसी स्थिती में बमुश्किल प्रसुता और मरे बच्चे को लेकर बदरवास अस्पताल लेकर पहुचें तो बदरवास अस्पताल के स्टॉफ ने लापरवाही मानने की बजाए हमेें ही हडका कर भगा दिया।

बताया गया है कि अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले की लोपापोती करने के उद्देश्य से बदरवास अस्पताल का समान स्वयं ही फैक दिया और बदरवास थाने से लेकर एसपी तक जा पंहुचे। 

कुल मिलाकर बदरवास अस्पताल के प्रबंधन के द्ववारा एक मां को अपने लाल को कोख में ही खोना पडा। अपनी गलती मामने के बजाए मामला तुल न पकड जाए इस कारण इन बेर्शमो ने अपना स्वयं ही फैंक दिया और जा पंहुचे इन पर मामला दर्ज कराने।

जनता ने क्रोध में आकर अस्पतालो का समान और तोडफोड अवश्य की है। परन्तु ये भी सत्य है कि आज तक किसी भी आदिवासी समाज के लोगो ने अस्पताल में ऐसी किसी भी घटना का अंजाम नही दिया है। 

इस मामले की जांच कलेक्टर शिवपुरी को निष्पक्ष करानी चाहिए इस मामले में सजा शायद नही वे नही दे पाए कि मां का लाल कोख में कैसे मरा किस की लापरवही से मरा। परन्तु समान किसने फैका यह बात स्पष्ट हो सकती है और सजा भी.....................

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