प्लॉट की कीमत 1 लाख रूपए परन्तु रजिस्ट्री 4 लाख रूपए की

0
शिवपुरी। सिंहनिवास, मनियर और फतेहपुर के प्लॉट खरीददार पंजीयन खर्चे से परेशान हैं। यहां प्लाट सौ रूपए फुट मिल रहा है और रजिस्ट्री की रेट 400 रू फुट होने के कारण उन्हें विक्रय मूल्य के 40 प्रतिशत तक राशि पंजीयन कराने में खर्च करनी पड़ रही है।

यह सब इसलिए क्योंकि इन क्षेत्रों में कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार बाजार मूल्य विक्रय मूल्य से चार गुना तक है।

इससे एक लाख रुपये के प्लॉट की रजिस्ट्री चार लाख रुपये में कराने के लिए क्रेता और विक्रेता विवश हैं। इन क्षेत्रों के स्लैब सिस्टम ने भी परेशानी खड़ी कर रखी है। एक बीघा जमीन की खरीद पर पांच विस्बा रकबे की रजिस्ट्री प्लॉट के मूल्य के हिसाब से होती है जिससे रजिस्ट्री खर्चा एकाएक बढ़ जाता है।

वहीं विक्रय मूल्य से अधिक राशि का हिसाब किताब देने के लिए भी विवश होना पड़ता है। नागरिकों ने विधायक और मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने कलेक्टर गाइड लाइन में परिवर्तन की मांग की है।

दस्तावेज के पंजीयन में अचल संपत्ति का बाजार मूल्य वह होता है जिसका निर्धारण कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार किया जाता है जबकि विक्रय मूल्य वह होता है जिसमें क्रेता और विक्रेता के बीच अचल संपत्ति की खरीदफरो त पर सहमति बनती है, लेकिन शिवपुरी में इनके बीच कई क्षेत्रों में विसंगतियां हैं।

उदाहरण स्वरूप सिंहनिवास, मनियर, फतेहपुर में अधिकांश गरीब लोग निवास करते हैं। यहां प्लॉट का विक्रय मूल्य लगभग 100 रुपये वर्गफुट है। 1000 वर्गफुट का प्लॉट एक लाख रुपये में मिल जाता है, लेकिन कलेक्टर गाइड लाइन में प्लॉट का पंजीयन कलेक्टर गाइड लाइन से होता है और गाइड लाइन के अनुसार यहां प्लॉट का मूल्य 400 रुपये वर्गफुट है अर्थात् एक लाख रुपये में खरीदे प्लॉट की रजिस्ट्री चार लाख रुपये में करानी पड़ रही है जिस पर लगभग 40 हजार रुपये खर्च आता है।

इस तरह से क्रेता को पंजीयन खर्चे में 40 प्रतिशत तक राशि खर्च करने पर विवश होना पड़ रहा है। मनियर सिंहनिवास, फतेहपुर में खेतीबाड़ी होती है। सिंहनिवास में तो पूर्णत: कृषि ही होती है सिर्फ रोड साइड पर भवन बन गये हैं शेष सिंहनिवास में लगभग 5000 बीघा जमीन है। इस जमीन की पंजीयन के लिए भी मनमानी राशि खर्च करनी पड़ रही है।

क्योंकि एक बीघा जमीन के पंजीयन पर 5 बिस्वा जमीन में प्लॉट की रेट देनी होती है जिससे रजिस्ट्री खर्चा बहुत अधिक आता है। इस तरह से इन क्षेत्रों में स्लैब सिस्टम परेशानी का कारण बन रहा है। यहां 15 से 20 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर से कृषि भूमि की रजिस्ट्री होना चाहिए।

Tags

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!