ठंडा रहा रियल एस्टेट कारोबार, लास्ट डेट भी नही हुईं रजिस्ट्रियां

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शिवपुरी। रियल एस्टेट कारोबार में मंदी का असर जिले के पंजीयन कार्यालयों में साफतौर पर देखने को मिल रहा है। यह लगभग तय है कि विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी दस्तावेजों के पंजीयन का लक्ष्य पूर्ण नहीं हो पायेगा। अभी तक के जो आंकड़े निकलकर सामने आये हैं उससे अनुमान है कि 57 करोड़ रुपये के लक्ष्य की तुलना में 48 करोड़ रुपये दस्तावेजों के पंजीयन से आय अनुमानित है।

वित्तीय वर्ष 2014-2015 के अंतिम दिन पंजीयन कार्यालयों में दस्तावेज पंजीयन कराने वालों का तांता नहीं लगा है। इसका एक कारण यह भी है कि इस बार दस्तावेजों के पंजीयन की गाइड लाइन यथावत रखने का निर्णय लिया गया है। जिला पंजीयक श्री शुक्ला इस बात से अवश्य खुश हैं कि विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष आय अवश्य बढ़ी है। वित्तीय वर्ष 2013-2014 में जहां पंजीयन से आय 46 करोड़ 88 लाख रुपये थी, वहीं इस आंकड़ेे को तीन दिन पहले ही छू लिया गया था।

रियल इस्टेट कारोबार में लगभग दो साल से मंदी के वातावरण की गिरफ्त में है। इसका कारण जहां शासन और प्रशासन की सख्ती है वहीं विगत वर्ष उच्च न्यायालय द्वारा दस्तावेजों के पंजीयन पर प्रतिबंध लगा देने से भी मंदी का माहौल विकसित हुआ।

लंबे समय तक इस कारोबार में मंदी का असर यह हुआ कि बड़े निवेशक इस क्षेत्र से पलायन कर गये और उनका झुकाव शेयर मार्केट और बुलियन मार्केट की ओर हुआ है। विगत वर्ष की तुलना में इन दोनों क्षेत्रों में मुनाफे की दर काफी अधिक रही है। पंजीयन विभाग द्वारा पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर प्रतिबंध लगा देने से भी कारोबार हतोत्साहित हुआ।

पहले पॉवर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर जमीन का क्रय-विक्रय कर लिया जाता था और बाद में पॉवर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर ही जमीन कारोबारियों द्वारा खरीददारों को प्लॉट बेच दिये जाते थे इससे फायदा यह था कि जमीन कारोबारियों का रजिस्ट्री खर्च बच जाता था और महज दो ढाई हजार रुपये जमीन की पॉवर ऑफ अटॉर्नी करा ली जाती थी, लेकिन अब निकट रिश्तेदार ही एक-दूसरे को पॉवर ऑफ अटॉर्नी कर सकेंगे तथा अन्य कोई पॉवर ऑफ  अटॉर्नी किसी के हक में करता है तो विक्रय मूल्य की 5 प्रतिशत राशि स्टा प ड्यूटी के रूप में अदा करनी होगी।

इससे जमीन का कारोबार करने वालों का पलायन शुरू हुआ। स्थानीय स्तर पर भी जमीन कारोबार में प्रशासन द्वारा जो स ती अपनाई जा रही है उसका असर भी साफतौर पर देखने को मिल रहा है। शिवपुरी में प्रशासन द्वारा आदेश निकालकर बिना डायवर्सन के भूखण्डों का पंजीयन रोक दिया गया था।

और दूसरी ओर जमीनों के डायवर्सन पर अघोषित रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया था, हालांकि बाद में जब भाजपा के स्थानीय स्तर के नेताओं ने इसकी शिकायत मु यमंत्री शिवराज सिंह से की तब कहीं जाकर बिना डायवर्सन वाले भूखण्डों का पंजीयन शुरू हुआ।

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