धनकुबेर का खजाना है अध्यक्षीय कुर्सी!

राजू ग्वाल@शिवपुरी। ऐसा प्रतीत होता है कि नगरीय सरकार बनने के बाद जब ग्रामीण क्षेत्र की सरकार बन रही हो तो यहां जनपद पंचायत हो या जिला पंचायत दोनों ही पदों के लिए यह अध्यक्षीय कुर्सी धनकुबेर का खजाना नजर आती है। यह इसलिए क्योंकि एक अध्यक्षीय पद हासिल करने के लिए जिस प्रकार से पैसा यहां पानी की तरह बर्बाद कर एक-एक सदस्य की खरीद फरो त की जाती है उससे यह लगता है कि आखिर ऐसा इस कुर्सी (अध्यक्षीय पद) में क्या है कि यहां हर कोई करोड़ों रूपये खर्च कर इसे हथियाना चाहता है।

जब कोई इतनी बड़ी राशि खर्च कर इस कुर्सी को पाना चाहेगा तो निश्चित रूप से इससे होने वाली आय भी अर्जित करेगा अब भले ही वह भ्रष्टाचार के रूप में हो या दबाब या फिर किसी अन्य प्रकार से क्योंकि करोड़ों की राशि खर्च करने के बाद यह पद हासिल करना धनकुबेर को हासिल करने जैसा ही नजर आता है।

अंचल की राजनीति में अब ग्रामीण स्तर पर इस तरह पैसा खर्च होगा शायद यह परिकल्पना किसी ने नहीं की होगी। लेकिन जिस प्रकार से ग्रामीण क्षेत्रों में पंच, सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्यों चुने जाने के लिए मारा-मारी जैसे हालात निर्मित हो उससे यह लगता है कि अब राजनीति की सक्रियता में ग्रामीण परिवेश भी आगे आना चाहता है भले ही इसके लिए वह राजनीति के गुण ना जाने लेकिन पैसे और रूतबे के बल पर वह किसी से पीछे नहीं रहना चाहता।

वर्तमान परिवेश में बात की जाए तो अभी हाल ही में जनपद पंचायत अध्यक्ष का निर्वाचन संपन्न हुआ है। चर्चा है कि इस अध्यक्षीय कुर्सी को पाने के लिए एक तरह से सभी दावेदारों ने अपने स्तर से जनपद सदस्यों को अपने पक्ष में लेने का प्रयास किया जिसमें कुसी ने धनबल तो किसी ने बाहुबल का प्रयोग किया हो इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन क्या यह उचित है कि एक-एक जनपद सदस्य के वोट को खरीदने के लिए लगभग 30 से 35 लाख रूपये की राशि खर्च की जाए, क्या यह उचित है कि ग्रामीण क्षेत्र की जनता का विश्वास हासिल कर अपने वर्चस्व(जनपद सदस्य का एक वोट) की तिलांजलि दी जाए, क्या यह उचित है कि ग्रामीण क्षेत्र में जनपद अध्यक्ष का पद हासिल करने के बाद वह उस क्षेत्र के नागरिकों को सुविधाऐं उपलब्ध कराऐं, यह तमाम वे प्रश्र है जो आज सिर उठाए खड़े है।

आखिर हो भी क्यों ना क्योंकि जिस तरह से ग्राम की सरकार में पंच, सरपंच अपने रसूख के लिए खूब पैसे खर्च कर सकता है तो फिर जनपद सदस्यों की खरीद फरो त में भले ही क्यों ना उ मीदवार की सारी जमा पूंजी चली जाए लेकिन वह यह पद हासिल करना चाहता है। यूं तो आजकल आधुनिक पद्वति और क प्यूटर युग है जिसमें सर्वाधिक पॉवर(अधिकार)मु य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को ही होता है ऐसे में अध्यक्ष का पद हासिल करने के बाद इस राशि को एकत्रित करने में भी खूब भ्रष्टाचार होने की बू आने लगी है।

वैसे भी ग्राम पंचायतों में सरपंच या पंच के सभी अधिकार एक तरह से सचिव पर आधारित होते है जब ग्राम में लाखों रूपये से कोई विकास कार्य हो तो उसके लिए सचिव को ही महत्व दिया जाता है हालांकि सरपंच की सहमति आवश्यक होती है इसलिए समन्वय बनाकर कार्य किया जाता है इसके अलावा विभागीय कार्यप्रणाली में जनपद अध्यक्ष, जनपद सीईओ और इसके बाद जिला पंचायत सीईओ की भी मु य ाूमिका होती है तब कहीं जाकर इन लाखों रूपये के कार्यों का भुगतान हो पाता है।

ऐसे में इतनी बड़ी राशि की भरपाई कैसे हो इसके लिए भी साम-दाम-दण्ड-भेद की राजनीति भी की जाती है अब यह कब तक होगा इसका आंकलन नहीं किया जा सकता क्योंकि पूरे पांच साल तक इस राशि को सहेजने के लिए कार्य होंगें जिसमें भले ही अध्यक्ष को कैसी भी शक्ति अपनानी पड़े। जबकि इस जनपद अध्यक्षी के चुनाव के लिए तो अब गोलियां तक चलने लगी है इसका प्रमाण गत दिवस हुए पोहरी में जनपद अध्यक्ष के चुनाव में देखा जा सकता है जहां कई लग्जरी गाडिय़ों की तोडफ़ोड़ की गई तो वहीं कई मासूम भी इस गोलीबारी का शिकार हुए।

जनपद पंचायत के चुनाव समापन के बाद अगली परीक्षा जिला पंचायत अध्यक्ष की है यहां भी चर्चा जोर पकड़ रही है कि अब जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए भी प्रत्याशी खूब जोर आजमाईश करेगा आखिर करे भी क्यों ना एक तो रसूख ऊपर से पांच साल का धनकुबेर का खजाना, तो इसे हासिल करने के लिए वही उ मीदवार आगे आ सकेगा जो स्वयं सामथ्र्यवान हो। चर्चा है कि वर्तमान समय में प्रदेश कांग्रेस महामंत्री बैजनाथ सिंह यादव ने अपनी धर्मपत्नि श्रीमती कमला देवी को जिला पंचायत की अध्यक्षीय कुर्सी पर बिठाने की पूरी तैयारी कर ली है।

इसके अलावा यदि कोई विपक्ष या मुकाबले में सामने है तो वह यशोधरानिष्ठ रामस्वरूप रावत रिझारी जो इस महिला आरक्षित सीट पर अपनी पत्नि को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए प्रयासरत है। ऐसे में यहां भी एक-एक जनपद प्रत्याशी की खरीद फरो त के लिए भारी भरकम राशि खर्च की गई है। क्या खरीद फरो त वाले जनपद सदस्य इन दोनों प्रत्याशियों के बीच गफलत पैदा करेंगें ऐसी संभावना अब प्रबल हो गई है क्योकि बीते रोज पोहरी में भी यही हाल था जब एक-एक जनपद सदस्य को एक उ मीदवार ने खरीदा और जब मतदान की बारी आई तो वह दूसरे पक्ष के साथ नजर आए, बाद में स्थिति बिगड़ी और गोलीबारी व तोडफ़ोड़ हुई।

कहीं ऐसे हालात जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में ना बने इसके लिए चूंॅकि प्रशासन तो तैयारी कर रहा है वहीं जो उ मीदवार प्रत्याशी है वह भी अपने स्तर से सदस्यों को खूब पट्टी पढ़ा रहे है अब देखना होगा कि मतदान के समय क्या हालात बनेंगें। वैसे बताया जाता है कि इस चुनाव में भी लगभग 4-5 करोड़ रूपये का खर्च का अनुमान है अब ऐसे में इतनी बड़ी राशि को खर्च करने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष बना जाता है तो संभव है आने वाले पांच सालों में इससे कई गुना राशि वसूलने का कार्य भी होगा। भला इस धनकुबेर की कुर्सी को हथियाने के लिए क्यों हर कोई एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है।

ऐसे मे चर्चा है कि धनकुबेर बनने के लिए कोई अपना धन लुटाकर कुबेर बनने की फिराक में है तो कहीं चर्चा है कि रसूख के लिए इस पद को हासिल करने के लिए भी यह किया जा रहा है। बताना होगा कि इससे पूर्व भी जब गत पांच साल पहले जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए वोटिंग हुई थी तब कांग्रेस पार्टी की ओर से पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने काफी हो-हल्ला मचाया था लेकिन थक-हारकर जीत भाजपा के जितेन्द्र जैन गोटू की हुई और आज पूरे पांच साल बाद वह इस पद से दूर होने जा रहे है और नए अध्यक्ष को मौका मिल रहा है।