ललित मुदगल@एक्सरे/शिवपुरी। कल का दिन खबरों का दिन रहा है, पिछले 24 घंटे में कई बडी खबरे सिंधिया ट्रस्ट पर फर्जी रजिस्ट्री का आरोप, कलेक्टर द्वारा सरकारी भूमि की हेराफैरी करने वाले तहसीलदार और अन्य पर कार्रवाई, सभी मैरिज भवनों की जांच और अन्य खबरों में एक खबर जो सबसे ज्यादा बडी और महत्वपूर्ण थी उसकी आवाज दब कर रह गई परन्तु शिवपुरी सामचार डॉट कॉम किसी भी महत्वपूर्ण खबर को दबने नही देगा। आईए हम इस खबर का एक्सरे करते है और इस खबर को आप सभी को पढना चाहिए।
त्रि-स्तरीय चुनाव का समय चल रहा है ग्रामीण अपने पंच, सरपंच, जनपद सदस्य और जिलापंचायत सदस्य का चुनाव करने में व्यरूत है। चुनाव आयोग भी इस चुनाव में निष्पक्ष और बिना किसी भय और दबाब के मतदान करने का प्रचार प्रसार भी कर रहा है।
परन्तु कल शिवपुरी में बदरवास ब्लॉक में बदरवास थाना क्षेत्र से अभी निर्वाचित हुए बदरवास ब्लॉक के जनपद सदस्य भूदरा आदिवासी का खेत पर जाते समय दो यादवों ने अपहरण कर लिया। बकायदा उसकी पत्नि ने बदरवास थाना क्षेत्र में शिकायत की गई जब थाने पर कोई सुनवाई नही की गई तो उसकी पत्नि ने एसपी के पास न्याय की गुहार लगाई।
एसपी के पास मामला पंहुचा तो कलमवीरों को इस मामले की भनक लग गई। बदरवास टीआई तीमेश कुमार छारी को फोन लगाकर मामले की जानकारी ली गई तो उन्होने पत्रकारो को एक चुटकुला सुना दिया कहां कि भूदरा आदिवासी वैष्णोदेवी गया है देवी के दर्शन करने और बकायदा एक शपथपत्र देकर गया है, हमने उसकी बीबी से कह दिया है परेशान ना हो वह देवी के दर्शन कर जल्द ही आ जाऐगा। एसपी शिवपुरी ने भी कहा कि मामला राजनीतिक है विश्वास योग्य नही है फिर भी जांच करवा लेते है।
अब यहां कई सवालो का जन्म होता है कि एक जनपद सदस्य को दो लोगो ने दिनदाहाडे उसकी बीबी को सामने चार पाहिया वाहन में पटक कर हाईजैक कर लिया। बीबी ने नाम दर्ज रिर्पोट करने की कोशिश की परन्तु निष्पक्ष चुनाव का प्रचार करने वाले प्रशासन को ये मामला अपहरण का नही लग रहा है।
आदिवासी जनपद सदस्य का अपहरण कर लिया गया है। अपहरणकर्ता चाहते हैं कि जनपद अध्यक्ष पद हेतु वो वहीं वोट करे जहां उसे आदेश दिया जाए। पूरी घटना योजनाबद्ध है। केवल एक आदिवासी जनप्रतिनिधि नहीं बल्कि मतदाता को बंधक बनाया गया है, लोकतंत्र का अपहरण है। सबकुछ योजनाबद्ध हुआ है। और जब मामला उजागर हुआ तो टीआई महोदय बोलते हैं कि अपहरण नहीं हुआ, वैष्णोदेवी गया है, शपथ पत्र देकर गया है।
अब बताइए भला, कोई वैष्णोदेवी दर्शन को जाता है तो क्या थाने में शपथपत्र देकर जाता है। परिवार वालों को बिना बताए चला जाता है ? क्या पूरे के पूरे सिस्टम को उल्लू बनाया जा रहा है।
हां, हो सकता है मामला खरीदफरोख्त का भी हो। जनपद अध्यक्ष पद का प्रत्याशी सदस्यों को एक निश्चित रकम दे रहा हो और इस सदस्य ने ज्यादा की मांग कर डाली हो। अपने सदस्य होने पर इतना रहा हो। यदि ऐसा है तो उठाकर जेल में डाल दीजिए इस आदिवासी जनप्रतिनिधि को लेकिन अपहरण तो अपहरण ही हुआ ना। उसे देवी का दर्शन कैसे हो सकता है। चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल तो इधर भी है और उधर भी। लोकतंत्र की जीत कैसे होगी।
आश्चर्य सिर्फ इतना है कि टीआई के बेतुके बयान पर एसपी शिवपुरी भरोसा जताते हुए कलंकित चुनाव प्रणाली का समर्थन कर रहे हैं और निष्पक्ष चुनाव की जिम्मेदारी उठाने वाले कलेक्टर अभी तक चुप हैं।