शिवरात्रि विशेष: पढ़िए सर्वमंगलकारी देवाधिदेव महादेव की कथा

पं.विकासदीप शर्मा। शिवरात्रि व्रत शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है। इस पुण्यतमातिथि का दूसरा पक्ष ईशान-संहिता में इस प्रकार बताया गया है। शिवलिङ्गतयोद्भूतरू, कोटिसूर्यसमप्रभ, फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोडों सूर्यो के समान परम तेजस्वी लिंग के रूप में प्रकट हुए। 

शिवपुराण की विद्येश्वर-संहिता में वद्दणत कथा के अनुसार शिवजी के निष्कल,निराकारद्ध स्वरूप का प्रतीक लिंग इसी पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था। 

इसी कारण यह तिथि शिवरात्रि के नाम से वि यात हो गई। जो भक्त शिवरात्रि को दिन-रात निराहार एवं जितेंद्रिय होकर अपनी पूर्ण शक्ति व सामथ्र्य द्वारा निश्चल भाव से शिवजी की यथोचित पूजा करता है, वह वर्ष पर्यत शिव-पूजन करने का संपूर्ण फ ल मात्र शिवरात्रि को सविधि शिवार्चन से तत्काल प्राप्त कर लेता है। 

शिवपुराण की कोटिरुद्र संहिता में शिवरात्रि व्रत की विधि एवं महिमा का वर्णन तथा अनजान में शिवरात्रि,व्रत करने से भील पर भगवान शंकर की अद्भुत कृपा होने की कथा मिलती है। 

भोलेनाथ के समस्त व्रतों में शिवरात्रि सर्वोच्च पद पर आसीन है। भोग और मोक्ष की कामना करने वालो ंको इस व्रतराज का पालन अवश्य करना चाहिए। 

शिवपुराण के अनुसार इस व्रत और शिव पूजन से क्या-क्या लाभ होता है,हमारे भगवान आशुतोष भक्तो पर कैसे कृपा करते है भगवान भोलेनाथ की इस व्रत का  ेकरने पर शास्त्रो ने इस प्रकार बताया है 
व्रत का नाम:. श्री महाशिवरात्रि
व्रत की तिथि:. चतुदर्शी 14 
व्रत के देवता:.भगवान शिव
व्रत का समय:.प्रात:काल से रात्रि के चार प्रहर तक 
व्रत का विधान:नित्य नैमित्यक क्रिया शौचादि से निवृत्ति के वाद व्रत का संकल्पएपूजन हवनए शिव अभिषेक नमक-चमक से, ब्रह्मचर्य का पालन, अक्रोध, श्रद्धा भक्ति। 

शिव परिवार गृहस्थ जीवन के लिए आदर्श है। इसलिए शिव उपासना परिवार को खुशहाल बनाती है।
 भगवान शिव वैद्यनाथ हैं। इसलिए शिव पूजा निरोग बनाती है।
 शिव का एक रूप महामृत्युंजय भी हैए जो काल और रोग भय से छुटकारा देता है। खासतौर पर सावन माह में की गई शिव पूजा मृत्यु भय और बीमारियों से बचाव करती है।
 शिव पूजा खासतौर पर प्रदोष पूजा संतान सुख देती है। इसलिए शिव भक्ति हर स्त्री को संतान सुख खास तौर पर पुत्र की कामना पूरी करती है।
 भगवान शिव को कुबेर भी अपना स्वामी मानता है। इसलिए शिव उपासना अपार धन का स्वामी भी बनाती है।
भगवान शिव की आराधना से अविवाहित कन्या या पुरूष को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
 भगवान शिव बुराईयों और दुर्जनों का संहार करने वाले माने जाते हैं। यही कारण है कि शिव पूजा दोष रूपी बुराईयों के साथ प्रतिद्वंदी या विरोधियों पर जीत देती है।
शिव आराधना मोक्ष देने वाली मानी गई है।
शिव पूजा भाग्य के द्वार खोल देती है।
शिव के प्रिय काल सावन माह में शिव उपासना हर इच्छा पूरी कर देती है।