क्या मेडिकल माफिया की मदद कर रहा है जिला प्रशासन

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शिवपुरी। एक अनाधिकृत मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार शिवपुरी शहर की आधे से ज्यादा आबादी पर स्वाईन फ्लू के वायरस अटैक कर चुका है। जिसकी रजिस्टेंस पावर कमजोर थी वो प्रभावित हुआ और डॉक्टरों के पास इलाज के लिए भी पहुंचा। अब तो इस वायरस के विदाई की बेला आने वाली है और जिला प्रशासन जागरुकता शिविरों के आयोजन का निर्देश दे रहा है।

पढ़िए आज हुई मीटिंग का विवरण
शिवपुरी के जिलाधीश कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित बैठक में स्वास्थ्य विभाग भोपाल के उपसंचालक  सी.एम.त्रिपाठी, अपर कलेक्टर जेड.यू.शेख, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी  जे.पी.करोठिया, सिविल सर्जन डॉ. गोविन्द सिंह सहित निजी एवं शासकीय चिकित्सकगण विभिन्न गैर स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारी उपस्थित थे।  

कलेक्टर श्री दुबे ने कहा कि लोगों को स्वाईन फ्लू के प्रति विभिन्न माध्यम से जागरूक करना है। इसके लिए उन्होंने कहा कि रेडक्रास के माध्यम से शहर के विभिन हिस्सों में जागरूकता शिविर आयोजित कर लोगों को इस रोग के प्रति जागरूक किया जाए।

उन्होंने कहा कि जिले में कार्यरत विभिन्न गैर शासकीय संस्थाओं द्वारा शिक्षण संस्थाओं में जाकर स्वाईन फ्लू के लक्षण उसके उपचार एवं बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी स्कूली छात्र-छात्राओं के माध्यम से उनके परिजनों को दें।

श्री दुबे ने कहा कि महिला एवं बाल विकास तथा स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कर्मचारियों बूथ लेवल अधिकारियों (बी.एल.ओ.) के माध्यम से भी लोगों को स्वाईन लू के प्रति जागरूक करे, उन्हें बताए कि सर्दी या जुखाम, खांसी, गले के खरास एवं बुखार के साथ यदि सांस लेने में तखलीफ हो तो तत्काल चिकित्सीय परामर्श लें और परामर्श का पालन करें।

जिला कलेक्टर राजीव दुबे ने बताया कि जिले के स्वाईन लू के प्रति लोगों को जागरूक किए जाने हेतु स्वाईन लू जागरूकता रेली निकाली जाए। उन्होंने चिकित्सा अधिकारियों द्वारा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों तथा आशा कार्यकर्ताओं को बीमारी के लक्षण एवं उपचार के बारे में जानकारी दिए जाने के निर्देश दिए।

क्या होगा इससे
स्वाइन फ्लू के लिए जागरुकता शिविर, रैलियों और तमाम प्रदर्शनों से क्या लाभ होगा ? क्या स्वाइन फ्लू का वायरस इन रैलियों और शिविरों को देखकर भाग जाएगा। नहीं, ऐसा नहीं होगा, बल्कि लोगों के लिए स्वाइन फ्लू के प्रति दहशत बढ़ेगी। जरा सा जुकाम भी लोगों को जानलेवा लगेगा और चूंकि हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए गए हैं अत: बच्चे के झींकते ही माताजी फोन घुमा देंगी।

तो इसमें बुराई क्या है
मेडिकल माफिया का जाल यहीं से शुरू होता है। आयुर्वेद में इसका सरल और सस्ता उपचार है। यह तंत्र मंत्र और झाडफूंक नहीं है। सरकार का मान्यता प्राप्त विभाग है परंतु हेल्पलाइन में आयुर्वेदिक अस्पतालों के नंबर नहीं दिए गए। यह एक षडयंत्र है। बड़े शहरों में चल रहे प्राईवेट अस्पतालों का जाल। फोन करते ही संबंधित व्यक्ति तत्काल डॉक्टर को दिखाने की सलाह देगा। डॉक्टर धीरे से मौत का डर दिखाएगा और परिजनों की जेब का अंदाज लगाते हुए ऐसे अस्पताल में रिफर करेगा जहां मरीज के परिजनों को ज्यादा से ज्यादा लूटा जा सके। मेडिकल की भाषा में ऐसे मरीजों को केप्टिव पेशेंट कहते हैं। बड़े प्राइवेट अस्पताल केप्टिव पेशेंट रैफर करने के एवज में शिवपुरी जैसे शहरों के डॉक्टरों को मोटा कमीशन देते हैं। इस तरह लोगों में दहशत फैलाकर मेडिकल माफिया के लिए मरीजों को जुटाने का उपक्रम चल रहा है।

क्या होना चाहिए
जब एलोपैथी में स्वाइन फ्लू का टीका उपलब्ध नहीं है और आयुर्वेद में है तो प्रशासन को चाहिए कि वो आयुर्वेदिक डॉक्टरों को आगे लाए। जागरुकता रैली नहीं आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाने का अभियान चलाएं ताकि लोगों में स्वाइन फ्लू के वायरस से लड़ने की शक्ति आए और कोई बीमार ही ना हो।

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