टारगेट अचीव नहीं कर पाया यातायात सप्ताह, फ्लॉप वीक

शिवपुरी। 5 जनवरी से शुरू हुए यातायात सप्ताह का कल पुलिस परेड ग्राउण्ड में समापन हो जाएगा। सप्ताह के दौरान यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध चालानी कार्रवाई की सं या निसंदेह काफी बढ़ गई।

यातायात विभाग ने पहले दिन रैली निकालकर जागरूकता का सीमित प्रयास अवश्य किया, लेकिन खामी यह रही कि पुलिस आम नागरिकों को इस अभियान के प्रति जागरूक रखने में सफल नहीं हो पाई। शायद यही कारण रहा कि हमेशा की तरह नाबालिग-बालिग धडल्ले से मनमानी स्पीड पर दोपहिया वाहनों का संचालन करते देखे गए और आम नागरिकों में भी न तो सहज और न ही भय के कारण यातायात नियमों का पालन करने की समझ पैदा हो सकी।

यातायात सप्ताह प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है और इसी तरह से यह जन उपयोगी कार्यक्रम महज औपचारिक बनकर रह गया है। होना तो यह चाहिए कि  इस अभियान के दौरान संस्थाओं के माध्यम से नागरिकों को जोड़ा जाए और उन्हें बताया जाए कि सुरक्षित ढंग से चलने से किस तरह से वह अपनी जिंदगी और दूसरों की जिंदगी को बचाने में भी सहभागी बन सकते हैं। इस अभियान में जितनी अधिक जनभागीदारी बढ़ेगी उसके परिणाम उसके अनुरूप ही सामने आएंगे। हेलमेट न लगाकर वाहन चलाने वालों को सिर्फ चालानी कार्रवाई के डर से नहीं रोका जा सकता। बल्कि घर-घर की आत्मा में यह संदेश पहुंचना चाहिए कि हेलमेट न लगाने की लापरवाही किसी के भी घर का चिराग फूंक सकती है और इसके लिए घर के मुखियाओं को ही पहल करनी चाहिए। यातायात नियम यदि घर से निकलकर आएंगे तो निश्चित तौर पर उनका पालन होगा।

दुर्घटनाएं अधिकतर सिर्फ हेलमेट न लगाने के कारण घटित नहीं होती, बल्कि इसका प्रमुख कारण तेज और उत्तेजनात्मक ढंग से वाहन चलाना होता है। इसे कैसे रोका जाए? इसकी पहल समाज को करनी होगी। वहीं सड़कों पर बेतरतीव खड़े वाहनों से यातायात अवरूद्ध होता रहा। रही-सही कसर दुकानदारों ने पूरी कर दी। जो दुकानों से बाहर निकलकर अपनी दुकान का सामान सड़कों पर सजाए रखे थे। यह सब कुछ यातायात पुलिस के समक्ष होता रहा, लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस मौन रही। यहां तक कि भारी वाहनों का प्रवेश भी शहर में 24 घंटे होता रहा। ऐसी स्थिति में यातायात सप्ताह सिर्फ औपचारिक ही रहा।

ट्रांसपोटरों से सहयोग लेने पर उठे सवाल
यातायात विभाग द्वारा शहर के ट्रांसपोटरों से यातायात सप्ताह आर्गेनाइज कराया गया। इस पर सवाल उठने लगे हैं। कहा जाने लगा है कि इसके बदले में यातायात विभाग ने उनके भारी वाहनों के शहर में प्रवेश के रास्ते को साफ कर दिया। इस तरह के आरोपी यातायात विभाग पर लग रहे हैं, क्योंकि शहर में सुबह से लेकर शाम तक भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक होने के बावजूद भी शहरभर में भारी वाहन शहर में फर्राटे मारते हुए देखे जा सकते हैं।

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