शिवपुरी। जब तक अवचेतन में बसे संस्कारों, आडंबरों, मिथ्या परंपराओं और बहुरूपियेपन से मुक्ति नहीं मिलेगी तब तक अकेले वस्त्र छोड़कर निर्वस्त्र हो जाने से दिग बर नहीं बना जा सकता। अपने आपको नग्न रूप में प्रकट करना ही दिग बर होना है।
उक्त उद्गार प्रसिद्ध जैन साध्वी वैभवश्री ने स्थानीय पोषद भवन में आज आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। इसके पूर्व साध्वी देशना श्री जी ने सुमधुर स्वर में भजन का गायन कर प्रभु की महिमा को रेखांकित किया। साध्वी जी ने अपने प्रवचन की शुरूआत करते हुए ज्ञान किसे कहते हैं, को अभिव्यक्त करते हुए की।
उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग शब्दों और शास्त्रों के ज्ञान को ही ज्ञान मान लेते हैं और इन विधाओं में प्रवीण व्यक्ति को ज्ञानी कहते हैं जबकि ज्ञानी वह होता है। इन तथाकथित ज्ञानियों का अहंकार फिर इतना प्रबल हो जाता है कि सही ज्ञान से वह निरंतर पीछे होते चले जाते हैं। जबकि सही ज्ञानी वह होता है जो सिर्फ शब्दों में ही नहीं, बल्कि आचरण मेें भी अपने ज्ञान को उतारता है। सत्य को जीने वाला व्यक्ति ही ज्ञानी होता है।
ज्ञानी होने के लिए सबसे पहली शर्त तथाकथित ज्ञान से मुक्ति आवश्यक है। सत्य को नग्न रूप में देखने के लिए उन संस्कारों, परंपराओं और भ्रांत धारणाओं से अपने आपको अलग करना होता है जो सत्य में बाधक है। भगवान महावीर ने इनसे मुक्ति को ही दिग बर होना बताया है, लेकिन अब तो सिर्फ वस्त्र त्याग को ही दिग बर होना मान लिया गया है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने जो धर्म खड़ा किया वह तथाकथित ज्ञानियों के कारण ही अनेक स प्रदायों में विभक्त हो गया है और सबकी अपने-अपने दृष्टिकोण से मान्यता है।
उनका कहना है कि शास्त्रों के व्या याकारों और टीकाकारों ने सही रूप में सत्य को व्यक्ति तक पहुंचने नहीं दिया। यह कपोलकल्पित धारणा बना ली गई कि स्त्री मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकती और वर्तमान में मोक्ष के दरबाजे बंद हैं। मानो मोक्ष कोई आलीशान भवन या महल है जिसके दरबाजों पर ताले जड़ दिये गये हैं। साध्वी जी ने कहा कि मंजिल पर वही व्यक्ति पहुंच सकता है जिसके समक्ष लक्ष्य और उस लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग पूरी तरह स्पष्ट हो।
सत्य क्या है इसे ठीक-ठीक ढंग से शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। शायद इसी कारण सत्य प्राप्त करने बाद गौतम बुद्ध ने देशना देने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि जिसे पहुंचना है वह पहुंच ही जायेगा और जिसे नहीं पहुंचना वह बताने के बाद भी नहीं पहुंचेगा तब बृहस्पति देवता ने उनसे प्रार्थना की थी कि जो किनारे पर हैं वह आपके उपदेश से पार हो जाएंगे।