शिवपुरी। पोषण भवन में श्रमण संघ के भीष्मपितामह संत सुमति प्रकाश के सानिध्य में आज उनके गुरू निहाल स्वामी जी का जन्मोत्सव परंपरागत उत्साह के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर श्रमण संघ के वचनाचार्य उपाध्याय प्रवर डॉ. विशाल मुनि और संत अभिषेक मुनि ने गुरू निहाल स्वामी के गुणों का बखान किया और उनके जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की। इसके पूर्व उप प्रवर्तनी महासाध्वी सुधा जी महाराज और अन्य सतियों ने भजन के माध्यम से गुरू निहाल की महिमा का गुणगान किया।
गुरू निहाल के जन्मोत्सव के अवसर पर गुणानुवाद सभा में संत अभिषेक मुनि ने बताया कि उनका जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ और 23 वर्ष की उम्र तक उनके जीवन में धर्म की कोई किरण नहीं थी। वह न तो कभी मंदिर गये और न ही कभी किसी साधु-साध्वी के उन्होंने दर्शन किये, लेकिन फिर उनका धर्म की ओर झुकाव हुआ।
उन्होंने पंजाब में दीक्षा ग्रहण की तथा दो दिन का उपवास कर दीक्षा अंगीकार की। उनका पूरा जीवन तपस्या से परिपूर्ण रहा, लेकिन इसके बावजूद भी वह न तो किसी की बुराई सुनते थे और न ही किसी की आलोचना करते थे।
धर्मस्थान में यदि कोई श्रावक किसी की आलोचना करना शुरू करता तो गुरू निहाल तत्काल कहते कि यह कोई गंदगी फेंकने का स्थान नहीं है और आलोचक को वह माला फेरने तथा ध्यान करने का निर्देश देते थे।
उपाध्याय प्रवर डॉ. विशाल मुनि ने अपने उद्बोधन में बताया कि वाणी का संतुलित और सही उपयोग करने के कारण उन्हें वचनसिद्धी प्राप्त हो गई थी और जो वह कहते थे वह होकर रहता था। डॉ. विशाल मुनि ने कहा कि उनका जन्मोत्सव मनाना तब सार्थक होगा जब हम उनके आदर्शों और गुणों को अपने जीवन में उतारकर अपनी आत्मा को पवित्र बनायेंगे।