जेल में साध्वीश्री के प्रर्वचर सुन कैदियो ने बदले अपने विचार

शिवपुरी। संत के मुख से भगवान की वाणी होती है जेल मेें जब साध्वी वैभवश्री जी.म.सा. ने कैदियों से उनके अपराधों को दूर रहने का संकल्प दिलाया तो जेल के तीन अपराधियों ने अपना अपराध कबूल तो किया लेकिन बदले की भावना से बदलने पर इंकार कर दिया।

इन कैदियों में ताराचंद पुत्र रघुनाथ अपराध अपहरण व बलात्कार धारा 376, हरि पुत्र जमान रघुवंशी अपराध धारा 302 व प्रताप पुत्र लक्ष्मण अपराध धारा 302 ने साध्वी के समक्ष जिला जेल में रहकर स्वयं को निरापराध बताया और बदले की भावना इसलिए बताई क्योंकि वह निर्दोष होकर जिला जेल में सजा काट रहे है।

जिस पर अपने आर्शीवचन देते हुए साध्वी वैभवश्री ने कहा कि आज तो आप जेल में हो और कल अपराध करोगे तब भी जेल में ही आना पड़ेगा, लेकिन यदि तुमने ईश्वर से प्रार्थना की और अपराध पर चिंतन कर उस अपराधी को क्षमा कर दिया तो वह अपराधी भी स्वयं को क्षमा नहीं कर पाएगा उसके कर्मों की सजा परमात्मा देगा, आज यदि निर्दोष रहकर जेल में हो तो यह भी तु हारे पूर्व कर्मों की सजा है जिसके बदले आज जेल आना पड़ा। इसलिए अपनी दशा को बदलें और क्षमा करना सीखें। यह विचार सुन कैदियों की मनोदशा में बदलाव आया और उन्होंने बदले की भावना को त्याग दिया।