एक्सरे@ललित मुदगल/शिवपुरी। मतदान पूर्ण होने के बाद भाजपा के निर्वतमान अध्यक्ष रिशिका अष्ठाना की किचिन कैबीनेट द्वारा पकाई गई एक काली खिचडी का काला सच बाहर आ गया। कलेक्टर शिवपुरी ने किचिन कैबीनेट के 6 पार्षदो का पद से हटा दिया है। कभी भी रिशिका अष्ठाना को भी पद से हटाया जा सकता है। ऐसा क्यो हुआ,क्या कारण बने आईए इस मामले का शिवपुरी समाचार डाट कॉम की कम्प्युटर पर एक्सरे करते है।
कल शिवपुरी अपनी नगर की सरकार चुनने में व्यस्त था और ईधर कलेक्टर शिवपुरी ने भाजपा की निर्वतमान अध्यक्ष श्रीमति रिशिका अष्ठाना की किचिन कैबीनेट पीआईसी के सदस्यों पर नगर पालिका के हितों पर कुठाराघात करने के आरोप सिद्व करते हुए 6 पार्षद का हटा दिए है।
हटाए गए पार्षदों में वार्ड क्रमांक 7 की कांग्रेस पार्षद यशोदा शर्मा, वार्ड क्रमांक 9 के भाजपा पार्षद रहीस खान, वार्ड क्रमांक 25 के निर्दलीय पार्षद नीरज बेडिया, वार्ड क्रमांक 29 की पार्षद मीना बाथम, वार्ड क्रमांक 35 के भाजपा पार्षद मथुरा प्रजापति और वार्ड क्रमांक 38 के पार्षद भोपाल सिंह दांगी शामिल हैं।
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने नगरपालिका क्वार्टर मामले में जनहित याचिका का निराकरण करते हुए आदेश दिया था कि मार्च 2010 में उपरोक्त सभी पार्षदों ने पीआईसी के सदस्य होने के नाते नगरपालिका के हितों पर कुठाराघात करने का प्रस्ताव पारित किया था।
इसलिए इन पर शासन कार्रवाई करे। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद राज्य शासन ने कलेक्टर को अधिकृत किया कि वह उपरोक्त पार्षदों को नोटिस जारी कर उचित कार्रवाई करे। इसी तारतम्य में कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद कलेक्टर ने उपरोक्त सभी पार्षदों को उनके पदों से हटा दिया है।
जानकारी के अनुसार अभिभाषक विजय तिवारी ने माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर बेंच में जनहित याचिका दायर की थी कि नगरपालिका के क्वार्टरों में अवैधानिक रूप से लोग रह रहे हैं। उनसे न तो नगरपालिका क्वार्टर खाली करा रही है और न ही बाजार दर से किराया बसूल कर रही है।
जनहित याचिका के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि नगरपालिका परिषद ने पहले 16 दिसमबर 98 की बैठक में और फिर 24 मार्च 2001 की बैठक में निर्णय लिया था कि अवैधानिक रूप से क्र्वाटरों में निवास कर रहे किराएदारों से क्वार्टर खाली कराने हेतु प्रकरण एसडीएम न्यायालय में पेश किए जाएं। इस आधार पर न्यायालय में प्रकरण भी दायर कर दिए गए।
लेकिन पीआईसी की मार्च 2010 में आयोजित बैठक में अवैधानिक रूप से कुछ क्वार्टरों के प्रकरण न्यायालय से वापिस लेने का प्रस्ताव पारित किया गया। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में संज्ञान लेते हुए कहा कि पीआईसी ने नगरपालिका हितों के विपरीत कार्य किया है।
उसे न्यायालय से प्रकरण वापिस लेने का अधिकार नहीं है। इसलिए शासन पीआईसी के सदस्यों पर कार्रवाई करे। इसी आधार पर शासन ने कलेक्टर को पत्र लिखकर उपरोक्त पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखा। इस आधार पर कलेक्टर ने 19 मई 2014 को पार्षदों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। जिसके जवाब से संतुष्ट न होने पर कलेक्टर ने पार्षदों को पद से विमुक्त करने का आदेश जारी कर दिया।
पार्षदों के पद से हटने के बाद अब नगरपालिका अध्यक्ष रिशिका अनुराग अष्ठाना पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। इस मामले में कलेक्टर ने जहां पार्षदों को नोटिस जारी किया था। वहीं शासन ने नगरपालिका अध्यक्ष रिशिका अष्ठाना को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
नपाध्यक्ष को हटाने का अधिकार शासन को है और अब ऐसी संभावना नजर आ रही है कि शासन नपाध्यक्ष को उनके पद से हटा सकता है और यह कार्रवाई 7 दिसम्बर से पूर्व होनी संभावित है। 7 दिसम्बर को ही चुनाव परिणाम आएंगे।
