बैराड अस्पताल मेे चिकित्सक गायब, आशा कार्यकर्ता कराती है डिलेवरी

सतेन्द्र उपाध्याय,बैराड। बैराड के सरकारी अस्पताल पर एक नया आरोप लगा है कि यह माहिलाओ की डिलेवरी के वक्त कोई भी स्पेशलिस्ट नही रहता है। यहां आशा कार्यकर्ता ही डिलेवरी का कार्यकरती है।

जानकारी के अनुसार विगत दिनो पूर्व एक आदिवासी लडका डॉक्टर के इंतजार में तडप-तडप कर मर गया। सभी सामाचार पत्रो ने इस खबर को प्रकाशित भी किया था। लेकिन अब हालात ये है कि सरकारी अस्पताल का ताला तो खुलने लगा है परन्तु स्टाफ के नाम पर कोई नही है।

बताया जा रहा है सबसे ज्यादा समस्या तो यहां गर्भवती माहिलाओं की है यहंा एन.ए.एम.ड्यूटी के स्थान पर घर आराम फरमाती है। और आशाए कार्यकर्ताओ को डिलेवरी करवानी पडती है क्योकि वह गर्भवती माहिलाओं को घर जो लाई है।


हमारे संवाददाता जब इस अस्पताल में पहुंचे तो वहं पर कोई नही मिला,एक ओर चौकाने वाला सत्य यह नजर आया कि डिलेवरी के बाद जच्चा-बच्चा को दो-तीन दिन सरकारी अस्पताल में डॉक्टरो की निगरानी में रखा जाता है परन्तु यहां डिलेवरी होने के एक घंटे में ही जच्चा-बच्चा की छुटटी सरकारी अस्पताल से कर दी जाती है। इससे देखरेख के संकट से अस्पताल के प्रशासन को राहत मिल जाए।

उसी रात इस अस्पताल में पांच डिलेवरी होने की सूचना मिली थी परन्तु सुबह इस अस्पताल में एक भी जच्चा-बच्चा नही मिला सब केसो की रात में ही छुट्टी कर दी गई है। विदित हो कि यहां पूर्व में असुराक्षित प्रसव कराने को लेकर पांच गर्भवती महिलाओ की मौत होने का आरोप इस बैराड अस्पताल के प्रशासन पर लग चुका है।