उपाध्यक्ष चुनाव में जीतेगा वही जो मनी नहीं मोरल पावर की करेगा प्रतिष्ठा

शिवपुरी। नगरपालिका अध्यक्ष चुनाव का सबसे बड़ा निष्कर्ष यही है कि मतदाता नपा प्रशासन की कार्यप्रणाली में बदलाव देखना चाहता है। अभी तक नगरपालिका में मनी पावर का जलवा ही देखने को मिला और इसके दुष्परिणाम शहरवासियों ने न केवल खूब देखे, बल्कि भोगे भी हैं और उसी की प्रतिक्रिया अध्यक्ष चुनाव में देखने को मिली।

मतदाता के निर्णय के प्रति स मान व्यक्त करने का चुने गये कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय पार्षदों के समक्ष उपाध्यक्ष चुनाव में सुनहरा मौका है और वह संदेश दे सकते हैं कि इस बार चुनाव में हर हालत में  मोरल पावर की प्रतिष्ठा होगी। चुनाव जीतें या हारें, लेकिन गलत साधन नहीं अपनायेंगे और पैसों से पार्षदों की खरीद-फरो त नहीं करेंगे। यदि कभी अपने दल के विरूद्ध जाना भी पड़ा तो आत्मा की आवाज के आधार पर मतदान करेंगे।

नपा उपाध्यक्ष के चुनाव में मनी पावर को इसलिए अहमियत मिलती है क्योंकि चुनाव को प्रतिष्ठा से जोड़ लिया जाता है और प्रतिष्ठा बचाने के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद सभी का इस्तेमाल करना पड़ता है। पिछली परिषद के कार्यकाल में कई पार्षदों पर उंगलियां उठीं। उन पर ठेकेदारों से कमीशन लेने तथा नियम विरूद्ध नगरपालिका के कामों में बेनामी नामों से ठेकेदारी करने के पुख्ता आरोप लगे।

भ्रष्टाचार के कारण नगरपालिका का कार्यकाल बदनाम हुआ। कभी सोचा इसका कारण क्या है? क्योंकि शुरूआत ही गलत हुई। उपाध्यक्ष पद के चुनाव में जमकर पैसों का खेल चला। पार्षदों की खरीद-फरो त हुई, यहां तक कि उपाध्यक्ष पद के उ मीदवार ने अपने दल के पार्षदों को भी वोट के बदले धन दिया। यहीं से गलत ट्रेक की शुरूआत हुई।

इसके पहले भी उपाध्यक्ष पद के चुनाव में यही तो हुआ था। इस बार भी गाड़ी उसी पटरी पर दौड़ती हुई दिख रही है। कांग्रेस और भाजपा उपाध्यक्ष पद के लिये उन पार्षदों पर नजर केन्द्रित कर रही है जो धन, बल संपन्न हैं तथा जिनमें मनी पावर के जरिये पार्षदों को खरीदने की क्षमता है। टिकिट के लिए उ मीदवारों के इसी गुण को प्रमुखता दी जा रही है।

कांग्रेस नेता अजय गुप्ता कहते हैं कि कांग्रेस उसे टिकिट देगी जिसके पास अन्य दलों के चार-पांच पार्षद हैं। वह तो यहां तक कहते हैं कि एक उ मीदवार ने भाजपा और निर्दलीय पांच पार्षदों से उनकी बात भी करा दी है और वह पाला बदलने के लिए तैयार हैं। शहर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राकेश गुप्ता का कहना है कि उपाध्यक्ष पद हर हालत में कांग्रेस को मिलना चाहिए।

पूर्व उपाध्यक्ष अरुण प्रताप सिंह चौहान कहते हैं कि यदि उ मीदवार की जल्द घोषणा हो जाये तो कांग्रेस आसानी से चुनाव जीत सकती है। कांग्रेस के एक पार्षद ने बैठक में साफ-साफ कहा कि पार्षदों की खरीद फरो त में जितना भी पैसा लगे उसका खर्च सभी पार्षद मिल-जुलकर वहन करने को तैयार हैं। अब बात करें भाजपा में भी उपाध्यक्ष पद के लिए उन दो पार्षदों को योग्य माना जा रहा है जो धन, बल संपन्न हैं।

हालांकि निर्दलीय पार्षद श्रीमती नीलम बघेल के पति अनिल बघेल अवश्य कहते हैं कि इस बार ईमानदारी से उपाध्यक्ष चुना जायेगा, लेकिन अब भी समय है कांग्रेस और भाजपा तथा निर्दलीय पार्षद यदि चाहते हैं कि नगरपालिका की गुणवत्ता में सुधार हो और नगरपालिका सही मायनों में नगर के पालन की भूमिका निभाये तो इसके लिए आवश्यक है कि सबसे पहले उपाध्यक्ष पद के चुनाव में मोरल पावर की प्रतिष्ठा हो।

कांग्रेस और भाजपा आलाकमान को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। दोनों दल उ मीदवार की तिजोरी की अपेक्षा उसकी साख, उसके चरित्र और उसकी कार्य क्षमता पर विचार कर टिकिट दें। उसे टिकिट दें जो उस पद की योग्यता के साथ पूरी तरह न्याय करता हो न कि उसे टिकिट दें जो जीतने के बाद उपाध्यक्ष पद के चुनाव में खर्च की गई राशि ब्याज सहित वसूलने का मंसूबा पाले है। पहल दोनों दलों को करना चाहिए।

लेकिन यदि एक दल ने भी पहल की और सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि उसका उ मीदवार पार्षदों की खरीद-फरो त नहीं करेगा, भले ही चुनाव हार जाये तो हार के बावजूद भी सही मायनों में उस उम्मीदवार और उस दल की जीत होगी।