शिवपुरी के लिए माईनस मार्किंग रहा 2014

शिवपुरी। शिवपुरी के लिए वर्ष 2014 माईनस मार्किग कहा जाए जो कोई अतिशोयक्ति नही होगी,इस वर्ष तीन कॉलेज शि ट की बुरी खबर,यहां तक कि 2007 से लंबित पड़ी सिंध पेयजल परियोजना का काम अंधुरा और शहर की सडके खोदकर शिवपुरी को 50 साल पुरानी सी लगने काम भी इस वर्ष ही हुआ  है।

सिंधिया के प्रास्तावित कॉलेजो का विवाद
लोकसभा चुनाव से पूर्व स्थानीय सांसद और तत्कालीन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अनुशंसा पर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने शिवपुरी में मेडीकल कॉलेज खोलने की घोषणा की, लेकिन घोषणा की शुरूआत में ही विवाद खड़ा हो गया।

प्रदेश सरकार ने शिवपुरी में मेडीकल कॉलेज खुलने की सं ाावना पर प्रश्रचिन्ह लगा दिया और अब लग रहा है कि प्रदेश सरकार इस मेडीकल कॉलेज को अन्यत्र ले जाने की तैयारी कर रही है। अब तो ये खबर भी पक्की है कि मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त दोनो इंजीनियर कॉलोजो की भी शि ट करने की तैयारी मप्र शासन कर रहा है

इस वर्ष भी रह गए प्यासे कंठ, काम छोडकर भागी कंपनी
शिवपुरी का दुर्भाग्य रहा है कि यहां कोई भी विकास योजनाएं श्रेय की राजनीति के चलते समय पर पूर्ण नहीं हो पाईं। 2014 में उ मीद थी कि सिंध पेयजल परियोजना पूर्ण होगी और शिवपुरीवासियों को सिंध का पानी मिलेगा, लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार सत्तासीन होने के बाद भी यह योजना पूर्ण नहीं हो पाई। और इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाली कंपनी भी काम छोडकर भाग गई
               
सीवर प्रोजेक्ट भी विवादो में
जिससे सीवेज प्रोजेक्ट पर भी ग्रहण लगने की आशंकाएं उत्पन्न हो गई हैं। क्योंकि पानी के अभाव में सीवेज प्रोजेक्ट भी दम तोड़ सकता है। सीवेज प्रोजेक्ट के तहत 2014 में शहर में खुदाई हुईं और इससे जनता की परेशानियां बढ़ी हैं। पूरे शहर में धूल उडऩे से जनता अनेक बीमारियों की शिकार हुई। इस प्रोजेक्ट की मॉनिटिंरिग प्रोपर ना होने के कारण शहर की सडको को कही भी कैसे भी खोद डाली जिससे भारत की ये पर्यटक नगरी 50 साल से भी पुरानी सी लग रही है।
         
भ्रष्टाचार से भरा रहा है 2014
कलेक्टर ने इस वर्ष नगरपालिका शिवपुरी के 6 पार्षदों की नगरपालिका के हितों के विपरीत कार्य करने पर उनकी सदस्यता समाप्त कर दी। शिवपुरी के इतिहास में पार्षदों की सदस्यता समाप्त होने का यह पहला मामला है। इस दृष्टि से 2014  का साल खासा उल्लेखनीय रहा। नगरपालिका अध्यक्ष पर भी सदस्यता खत्म होने का खतरा लटक रहा था, लेकिन 2014 का साल उनके लिए राहत भरा रहा।

2014 में रेलवे स्टेशन पर फुट ओवर ब्रिज की सौगात मिलने से अवश्य यात्रियों को राहत मिली है और अपने पटरी पार कर दूसरे प्लेटफार्म पर नहीं जाना पड़ेगा। वहीं साल खत्म होते-होते ग्वालियर-शिवपुरी के मध्य फोरलेन निर्माण का कार्य अवश्य प्रारंभ हुआ है। और शहर को सूअरो से मुक्ति भी इस वर्ष में मिली है।

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