शिवपुरी। हमने भूतकाल में क्या गलतियां की हैं हम उन्हें विसार दें और वर्तमान को श्रेष्ठ बनाये तब कहीं जाकर हमारा भविष्य सुधरेगा और हम पाप कृत्यों से बचकर अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास कर सकेंगे।
रविवार को जेल परिसर में आयोजित धर्मसभा के दौरान यह विचार जैन मुनि निर्वेग सागर महाराज ने बंदियों के बीच व्यक्त किये। मुनिद्वय के प्रवचन सुन जहां बंदियों की आंखों से पश्चाताप के आंसू बह निकले वहीं कई बंदियों ने मांस, मदिरा और जुए की लत को छोडऩे के साथ-साथ जीवन में कभी भी न करने का संकल्प लिया।
धर्मसभा को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि सदसंगति के माध्यम से हम अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं इसके लिये आवश्यक है कि हम अपने जीवन की बुराईयों का त्याग करें और अच्छाईयों को अपनाकर देश के अच्छे नागरिक बनें। हमारे जीवन में अब तक क्या व्यतीत हो चुका है इसे न देखे वरन् यह देखने का प्रयास करें कि हमने भूतकाल में जो गलतियां की हैं उनसे सबक लेकर भविष्य में उन्हें दोहराने का कभी भी प्रयत्न न करेें।
जैन मुनि प्रशांत सागर जी महाराज ने जनसमुदाय को संबोधित करते हुये कहा कि बंदियों के लिये जेल शिक्षालय की तरह हैं वे यहां से शिक्षा लेकर जाये कि जीवन में कभी भी बुराईयों को अंगीकार नहीं करेंगे। उन्होंने संत विनोवाभावे, भगवान श्रीकृष्ण सहित कई महापुरूषों के जीवन वृतान्त के कई पहलुओं को उजागर करते हुये उनसे बंदियों को प्रेरणा लेने की बात भी कही।
कार्यक्रम का संचालन संजीव बांझल द्वारा किया गया जबकि प्रारंभ में मंगलाचरण जेल के बंदी कुवेर सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम में जिला पंचायत के अध्यक्ष जितेन्द्र जैन , एसडीएम डीके जैन ,जेलर व्हीएस मौर्य सहित जैन समाज के सैकडों धर्मा लबी बंधु और माता-बहिनें विशेष रूप से उपस्थित थीं। अंत में आभार प्रदर्शन जय हिन्द समिति के सचिव आदित्य जी द्वारा व्यक्त किया।
मुनिश्री ने दिया जेलर को साहित्य
एक ओर जहां जेल में कैदियों की अच्छी व्यवस्था और उनके सदाचरण के प्रयास के लिये जेलर व्हीएस मौर्य का शॉल श्रीफल भेंट कर स मान किया गया। यह स मान जैन समाज की ओर से छत्री जैन मंदिर के अध्यक्ष बचनलाल जैन पत्ते वाले, जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन और वर्षायोग समिति के दिनेश जैन मंगल टेंट द्वारा किया गया।
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