प्रसव के दौरान नवजात की मौत, अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप

करैरा।  शहर सहित अचंल के अस्पतालों में प्रसूताओं सहित नवजातों की मौत का सिलसिला बंद होने का नाम नहीं ले रहा हैं। स्थिति यह है कि राज्य व केन्द्र सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरूस्त करने के नाम पर करोड़ो रूपए का बजट खर्च कर रही हैं।
इसके बाद भी लोगो को उनका लाभ उतना नहीं मिल पा रहा जितना मिलना चाहिए। आलम यह है कि अफसरशाही की मनमानी के कारण प्रतिदिन कहीं न कहीं प्रसूता या नवजातों की मौत की खबर अब तो आम हो गई हैं। ऐसा ही करैरा के सामुदायिक अस्पताल में हुआ जहां अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही के कारण एक प्रसूता द्वारा बच्चें को जन्म देते ही बच्चें की मौत के बाद अस्पताल में तनाव की स्थिति निर्मित हो गई।

सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पर शनिबार की रात्री एक बजे नगर के वार्ड 12 में रहने बाले सेवानिवृत गिरदावर सत्तार बेग की पुत्र वधु की डिलेवरी होते ही नवजात बच्चें की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि डिलेवरी होने से पूर्व प्रसूता सहित बच्चें को कोई परेशानी नहंी थी फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि पैदा होते ही बच्चा काल-कवलित हो गया। इस पूरे मामले में प्रसूता के परिजनो ने स्वास्थ्य विभाग के सीएमओं, एसडीएम तथा थाना प्रभारी को लिखित में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की शिकायत करते हुए उचित कार्रवाई की मांग की हैं।

क्या है आरोप
सत्तार बेग ने बताया कि वह अपनी पुत्र वधु यासमीन पत्नी राशिद बेग(25) को डिलेवरी के लिए दो दिन पूर्व अस्पताल लेकर गए थे। जिस पर नर्स ने कहा था कि आपकी बहू की डिलेवरी नॉर्मल होगी आखरी समय तक वो यही पूछते रहे की बहु को कोई दिक्कत तो नही उन्होने जबाब दिया कि डिलेवरी होने बाली हैं लेकिन अचानक से प्रसव के दौरान जब डिलेवरी में परेशानी हुई तो नर्स ने पेट में जोर जोर से हाथ मारे थे जिस कारण से बच्चे का सिर बच्चेदानी में फंस गया और जब वह इस दुनिया में आया तो उसकी मौत हो चुकी थी।

घर बैठकर होती है नाइट ड्यूटी
अस्पताल में सुविधा के नाम पर कोई भी सुविधा मरीजो को नही दी जाती है। जब कोई मरीज गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुचता है तो बिना उसका परीक्षण किए उसे जिला अस्पताल रैफर किया जाता हैं। रात्रि के समय ड्यूटी पर कोई भी चिकित्सक मौजून नहीं रहता बल्कि घर पर बैठकर ही रात की ड्यूटी पूरी की जाती हैं। रात में जब कोई मरीज आता है तो अस्पताल का स्टॉफ फोन पर ही डॉक्टर से इलाज पूछकर मरीज का इलाज कर देते है फिर इसके बाद मरीज सहीं हो या फिर उसकी मौत हो वो उसकी किस्मत हैं। 

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