चिमनी व मोमबत्ती के उजाले में नर्से करा रही डिलेवरी

करैरा। कहने को तो करैरा जिले की सबसे बड़ी तहसीलों में शुमार है। इसके बाद भी यहां की प्रशासनिक व्यवस्थाओं के क्या कहने ना तो बच्चों के लिए उच्च शिक्षा की कोई बेहतर व्यवस्था और ना ही लोगो के स्वास्थ्य के लिए उचित इलाज। ऐसे में हम कैसे कल्पना कर सकते है कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं का लाभ लोगो के पास तक पहुंच पा रहा है।
स्थिति यह है कि करैरा के शासकीय अस्पताल में पिछले 5 वर्ष से महिला डॉक्टर न होने से प्रसूताओं को हर बार काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती मरीजो को उस समय अधिक परेशानी हो जाती है जब इस भीषण गर्मी में लाइट जाने के बाद झुलसाने वाली गर्मी से वे  रूबरू होते है। कई बार तो मोमबत्ती या चिमनी के उजाले में प्रसूताओं की डिलेवरी कराई जाती है।

करैरा अस्पताल में पर्याप्त उपचार के साधन न होने से लगभग हर मरीज को शिवपुरी या झांसी रैफर कर दिया जाता है ऐसे में गरीब वर्ग के लोगो को खासी दिक्कत उठानी पड़ती है। वैसे तो करैरा में एक से बढ़कर एक नेता व व्यापारी रहते है लेकिन इन मूलभूत सुविधाओं के लिए कोई पहल नहीं करता जिससे लोगो की परेशानी कम हो सकें। एक काम अस्पताल में अच्छा होता है वह है फर्जी बिल एवं बाउचर लगाकर शासकीय राशि को खुर्द-बुर्द करने का जो कि अनवरत कई वर्षो से चला आ रहा है लेकिन इसके बाद भी यहां पदस्थ डॉक्टर व स्टॉफ मरीजों की तरफ कोई ध्यान नहीं देते। वर्षो से यहां डॉक्टर जमें है जिससे वह अपने घरों पर प्रेक्टिस कर प्रतिदिन हजारों रूपए कमाकर अपनी जेंबे भरने में लगे है। प्रबंधन की लापरवाही के चलते अस्पताल में रखे लाखों के जनरेटर सहित अन्य उपकरण धूल खा रहे है और इनके अभाव में लोगो को कई तकलीफ भुगतना पड़ रही है।

बिना पैसे दिए नहीं होती डिलेवरी
महिला डॉक्टर न होने से यहां पर पदस्थ नर्सो का व्यवहार मरीजों के प्रति अच्छा नहीं होता और तो और स्थिति बद से बदतर होती जा रही है कि बिना पैसे लिए किसी भी प्रसूता की डिलेवरी नहीं कराई जाती। यह पैसे प्रसूताओं के परिजनो से नेक के नाम पर लिए जाते है और जो व्यक्ति पैसे नहीं देता तो वे उस महिला का कोई ध्यान नहीं रखती बल्कि उस महिला की डिलेवरी भगवान भरोसे होती है। ऐसा नहीं कि यह जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं है बल्कि उन्हे सबकुछ पता होने के बाद वे ऐसे मुद्दो पर कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाते।

NRC केन्द्र में भर्ती बच्चों पर मंडराता संकट
हर मौसम में शासन द्वारा सर्व सुविधा युक्त एनआरसी केन्द्र में भी बच्चों को ठीक तरह से पोषण आहार नहीं दिया जाता। बल्कि अस्पताल प्रबंधनक अपनी मनमानी कर हर माह लाखों रूपए के फर्जी बिल व बाउचर डालकर शासकीय राशि को खुर्द-बुर्द करने में लगे हुए है। ऐसे में बच्चें यहां पर किसी भी प्रकार से सुरक्षित नहीं है बल्कि उनकी जान पर हमेंशा खतरा मंडराता रहता है।


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