हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अधर में सिंध जलावर्धन योजना

शिवपुरी। सिंध से शहरवासियों को पानी पिलाना अब एक सपना बनता नजर आ रहा है। स्थिति यह है कि विधानसभा सहित लोकसभा चुनाव में इस क्षेंत्र का मु य मुद्दा बनकर सामने आया जलावर्धन योजना का मामला केवल उस समय सुर्खियों में छाया रहा। बल्कि शिवपुरी में आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक इस योजना को लेकर टिप्पणी करते हुए दिखाई दिए।

अंत में हाईकोर्ट ने भी एक जनहित याचिका के जबाब में प्रशासन सहित योजना का काम कर रही कंपनी को निर्धारित समय में काम शुरू कर योजना को पूर्ण करने के आदेश दिए। इसके बाद भी जलावर्धन योजना का काम जो कि अधर में लटका हुआ है वह अब फिर से शुरू तक नहीं हो पाया है जबकि शहरवासियों को प्रतिदिन पीने तक के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।

हालात यह है कि मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले वर्ष जब अटल ज्योति योजना का शुभारंभ करने आए तो उन्होंने कहा था कि अगली बार वह सिंध परियोजना का लोकार्पण करने आएंगे। वहीं लोकसभा चुनाव पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कहा था कि सिंध परियोजना का लोकार्पण कराने के लिए वह केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ को लेकर आएंगे, जिन्होंने योजना के लिए फण्ड आबंटित किया। इस राजनैतिक उखाड़-पछाड़ में नेशनल पार्क के संचालक शरद गौड ने भी अपनी भूमिका निभाई और उन्होंने राष्ट्रीय उद्यान के 9 किमी क्षेत्र में खुदाई करने और पाइप लाइन डालने के कार्य पर रोक लगा दी।

यह विचार का विषय है कि शरद गौड का यह फैसला नियमानुसार था या फिर किसी के इशारे पर ऐसा किया गया था। परिणाम यह हुआ कि विधानसभा चुनाव के पहले पानी नहीं आ पाया। उच्च न्यायालय ने संचालक नेशनल पार्क की सिंध परियोजना का कार्य रोकने के आदेश को निरस्त कर पुन: काम शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन इसके बाद भी यह योजना फिर लटक गई। अब बताया जाता है कि नेशनल पार्क क्षेत्र में योजना के क्रियान्वयन में बाधक बने एक 470 झाड़ों को हटाने की अनुमति नए सिरे से लेनी होगी। जिसे शीघ्र मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं, क्योंकि प्रस्ताव पहले नगरपालिका प्रदेश शासन को भेजेगी और प्रदेश शासन से वह प्रस्ताव केन्द्र तथा इसके पश्चात एम पॉवर कमेटी को भेजा जाएगा। इसके बाद नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड से उस प्रस्ताव को स्वीकृति लेनी होगी।

सिंध परियोजना की वस्तु स्थिति दो दिन पहले शिवपुरी आए सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट की। अभी तक यही कहा जा रहा था कि दोशियान कंपनी मु यमंत्री और मंत्रियों के आदेश को न मानकर काम शुरू नहीं कर रही।  दोशियान कंपनी दोषारोपण नेशनल पार्क संचालक पर मढ़ रही थी साथ ही नगरपालिका को भी वह निशाने पर ले रही थी। लेकिन काम शुरू न होने के पीछे कारण क्या है। इसे जानने और जनता को बताने का किसी ने प्रयास नहीं किया।

सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अवश्य योजना की कड़वी हकीकत पेश की। हालांकि उनके निशाने पर प्रदेश सरकार रही। श्री सिंधिया का कहना है कि 2009 में योजना का जो डीपीआर बनाया गया था उसमें नेशनल पार्क क्षेत्र में क्रियान्वयन में अवरोधक बने 470 झाड़ों का कोई जिक्र नहीं था। श्री सिंधिया का आरोप है कि यह लापरवाही प्रदेश सरकार ने जानबूझकर की ताकि शिवपुरी के नागरिकों को सिंध के पानी का लाभ नहीं मिल सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसी कारण सिंध का काम रूका हुआ है। सिर्फ यही अड़चन नहीं है कि 81 करोड़ की यह योजना समय में विलंब के कारण 110 करोड तक की पहुंच चुकी है और 1-2 साल योजना में विलंब हुआ तो यह राशि बढ़कर 125 करोड़ रूपये हो जाएगी। सवाल यह है कि यह राशि कौन देगा? इस कारण सिंध परियोजना पर मंडराते बादल और अधिक घने हो गए हैं और आसार ऐसे ही नजर आ रहे हैं कि शिवपुरीवासियों को चांदपाठा के दूषित पेयजल और ट्यूबबैलों के अपर्याप्त पानी पर ही आश्रित रहना होगा।

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