नगरपालिका को ब्लेकमेल कर रही है ब्लैकलिस्टिेड दोशियान कंपनी

शिवपुरी। पहले ही ब्लैकलिस्टिेड दोशियान कंपनी अपना बकाया भुगतान लेने के मूड़ में साफ-साफ नजर आ रही है। प्रदेश के प्रमुख सचिव के बीच दोशियान कंपनी ने यह नहीं कहा कि वह शीघ्र योजना के निर्माण कार्य को पूर्ण कर जनहित में यह योजना सौंप देंगें, लेकिन यह जरूर कहा कि वह नपा से कहे कि हमारा भुगतान करें और योजना की कॉस्ट बढ़ाऐं। यहां सीधे-सीधे अपना मुनाफा कमाने वाली यह कंपनी अब राशि मलते ही चंपत होने के मूड़ में है। हालांकि अब शासन-प्रशासन को ही कुछ करने की आवश्यकता है अन्यथा अंचलवासी पानी की इस योजना को फिर से तरसते रह जाऐंगें। 

यहां बताना होगा कि लगभग 60 करोड़ रूपये लागत की सिंध जलावर्धन योजना यदि सब कुछ ठीक-ठाक होता तो सित बर 2012 में पूर्ण हो जाती और शिवपुरीवासियों को सिंध का पानी सुलभ हो पाता, लेकिन आज भी यह योजना इस सस्पेंस में है कि पूर्ण होगी अथवा नहीं। शासन और प्रशासन के दबाव के कारण दोशियान कंपनी काम शुरू करने पर सहमत हो गई है और यह सहमति बनी है कि 8 जून से योजना का काम पुन: शुरू होगा। सूत्र बताते हैं कि आज नेशनल पार्क, नगरपालिका और प्रशासन की टीम पार्क क्षेत्र में लेआउट का काम शुरू करने जा रही है। दोशियान कंपनी के प्रबंधक हीरेन्द्र मकवाना का कहना है कि वह तीन-चार दिन में शिवपुरी आएंगे। उन्होंने यह अवश्य कहा कि नगरपालिका से कई मुद्दों पर विवाद बरकरार है। ठेकेदारों से भी कंपनी का भुगतान संबंधी विवाद अभी निपटा नहीं है।

मड़ीखेड़ा जलावर्धन योजना के तहत दोशियान कंपनी अभी तक नगरपालिका से 35 करोड़ रूपये से अधिक का भुगतान प्राप्त कर चुकी है जबकि योजना के तहत अभी बहुत काम होना शेष है। गुणवत्ताविहीन काम के आरोप भी कंपनी पर लगे हैं और कंपनी को ठेकेदारों को एक करोड़ रूपये से अधिक भुगतान अभी देना शेष है। जिसे देने में वह आनाकानी कर रही है। ठेकेदारों का कहना है कि जब तक उन्हें भुगतान नहीं मिलेगा वे काम शुरू नहीं होने देंगे। लगभग एक साल पहले नेशनल पार्क प्रबंधन ने अपने क्षेत्र में खुदाई और पाइप लाइन डालने पर शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए रोक लगा दी थी, लेकिन कंपनी ने इसे भी अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया।

एक साल पहले रूका काम अब तक नहीं हो सका चालू
शुरू से ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी जलावर्धन योजना  का काम नेशनल पार्क क्षेत्र में प्रतिबंध के कारण एक साल पहले रूका, लेकिन किसी ने दोशियान कंपनी से यह पूछने की हि मत नहीं की कि उसने शहर में जलावर्धन योजना का काम क्यों रोका? जबकि शहर में लगभग 200 किमी लंबी पाइप लाइन योजना के तहत डाली जानी है। पानी की टंकियों का निर्माण होना है। मात्र 9 किमी में योजना पर लगी रोक को पूरे क्षेत्र पर क्यों लागू कर दिया गया। शहर में यदि सिंध परियोजना के तहत खुदाई और पाइप लाइन डालने का कार्य पूर्ण हो जाता तो इससे दो फायदे होते। एक तो खुदी हुई सड़कों का जीर्णोद्धार होता वहीं योजना का कार्य पूरा होने में भी इतना बिलंब नहीं लगता। नेशनल पार्क क्षेत्र में एक साल तक काम पर लगे प्रतिबंध के कारण कंपनी नगरपालिका से बढ़ी  हुई दर मांग रही है।

दोशियान ने बकाए भुगतान की मांग की
नेशनल पार्क क्षेत्र में 9 किमी के ऐरिए में उसकी बढ़ी हुई दर की मांग जायज है, लेकिन शहर में काम तो उसने स्वयं रोका। दोशियान कंपनी का यह भी कहना है कि उसे काम के ऐवज में नगरपालिका से भुगतान लेना है जो उसे नहीं मिला। यह मुद्दा भोपाल में आयोजित समीक्षा बैठक में भी उठा इस पर नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव एसएन मिश्रा ने दोशियान कंपनी को आश्वस्त किया कि वह काम शुरू करें और उनका बचा हुआ भुगतान नगरपालिका करेगी।

दोशियान कंपनी 100 किमी से अधिक खुदाई और पाइप लाइन डालने का भुगतान भी मांग रही है। उसका कहना है कि यह काम लेआउट में नहीं था। स्पष्ट है कि तमाम मुद्दे हैं जिनकी आड़ लेकर दोशियान कंपनी काम शुरू करने में अनिच्छुक है। ऐसी स्थिति में शासन और प्रशासन के दबाव के कारण ही सिंध परियोजना का काम शायद पूर्ण हो पाए अन्यथा योजना पर पलीता लगने की पूरी-पूरी आशंका नजर आ रही है।


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