सुअरों की बढ़ती संख्या से चिंतित यशोधरा CMO के रुख से नाराज

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शिवपुरी। शहर से सुअरों को हटाने के लिए कटिबद्ध दिख रहीं स्थानीय विधायक और प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया गत दिवस जब शिवपुरी आईं तो यहां सुअरों की बढ़ती सं या देखकर वह चिंतित हो उठीं और जब उन्होंने इस संबंध में नए आए सीएमओ श्री रावत से बात करने की कोशिश की तो पता चला कि वह छुट्टी पर चले गए हैं। इस रवैये से उन्होंने नाराजगी व्यक्त की और प्रतिक्रिया व्यक्त की कि सुअरों को शहर से बेदखल करने के लिए माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का क्रियान्वयन अत्यंत आवश्यक है और इसे प्राथमिकता से लिया जाना चाहिए।

 इसके बाद यशोधरा राजे ने नगर पालिका के स्वास्थ्य अधिकारी अशोक शर्मा को तलब किया तो श्री शर्मा ने उन्हें अवगत कराया कि सुअर पालकों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं और निर्धारित समयावधि में यदि वह सुअरों को शहर से बाहर नहीं ले जा सके तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा। नोटिस की अवधि पूरी होने में अभी समय है। यशोधरा राजे ने शिवपुरी आगमन पर नगरीय निकाय के सचिव से भी मोबाइल पर चर्चा की और उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश का क्रियान्वयन करना है और सीएमओ छुट्टी पर चले गए हैं। वह किसी को पूरा चार्ज भी नहीं दे गए हैं।

आठ दिस बर को जब विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित हुआ और शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से यशोधरा राजे सिंधिया निर्वाचित हुईं तो उन्होंने सबसे पहले शहर को सुअरों से मुक्त करने का बीड़ा उठाया। उनका कहना था कि सुअरों के कारण शहर में गंदगी बढ़ रही है और बीमारियों का प्रकोप फैल रहा है। सुअरों के हमले से आए दिन कोई न कोई घायल हो रहा है। सुअरों की बढ़ती सं या के कारण जनजीवन बुरी तरह तहस-नहस है। सुअरों को शहर से बेदखल करने के लिए उन्होंने नगर पालिका प्रशासन को निर्देश दिया, लेकिन तत्कालीन सीएमओ ने जनहित के इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। सीएमओ सुअर पालकों के दवाब में दिखे और इस एजेण्डे से उन्होंने मुंह फेर लिया।

हालांकि यशोधरा राजे सिंधिया और शिवपुरी की प्रभारी मंत्री कुसुम मेहदेले ने नपा प्रशासन को काफी कसा और तत्कालीन सीएमओ की सार्वजनिक रुप से खिंचाई की, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला। यहां तक कि एसडीएम कोर्ट में सुअर पालकों के विरुद्ध मामले भी दर्ज किए गए, लेकिन नगर पालिका ने प्रभावशाली सुअर पालकों को कार्रवाई के दायरे में नहीं लिया। बल्कि सुअरों की सं या निरंतर बढ़ती चली गई। लेकिन माननीय उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका में स्पष्ट रुप से आदेश दिया कि दो माह में शहर से सुअर नपा और प्रशासन बाहर करें। सुअर पालक न मानें तो उन्हें बर्खास्त किया जाए तथा उनकी सूची उच्च न्यायालय को दी जाए ताकि उनके विरुद्ध न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई की जा सके। माननीय उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि शहर निर्धारित तीन माह की समयावधि में सुअर मुक्त नहीं हुआ तो कलेक्टर और सीएमओ जि मेदार होंगे। यह मामला निवर्तमान सीएमओ द्विवेदी की पदस्थापना होने के कारण लटका रहा, लेकिन उनके हटने के बाद नए सीएमओ अशोक रावत आए। परंतु उन्होंने भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

उन्होंने कहा कि आचार संहिता हटने के बाद वह स्वयं शिवपुरी से अपना ट्रांसफर करा लेंगे और वह चार्ज लेने के कुछ समय बाद आठ-दस दिन की छुट्टी पर चले गए। कल जब यशोधरा राजे आईं तो उन्होंने सबसे पहले सीएमओ को तलब किया, लेकिन जब उन्हें पता चला कि वह छुट्टी पर गए हैं और किसी को पूरा चार्ज भी नहीं दे गए हैं तो उन्होंने नाराजगी जाहिर की और स्पष्ट रुप से इसके बारे में नगरीय प्रशासन के सचिव को अवगत कराया। यशोधरा राजे की चिंता का मु य केन्द्र यह रहा कि सुअर आखिर कैसे हटें। इस पर उन्हें बताया गया कि जब तक कोई दृढ़ अधिकारी नहीं आएगा तब तक यह समस्या हल नहीं हो सकती। इसे यशोधरा राजे ने नोट किया और इसके बाद स्वास्थ्य अधिकारी अशोक शर्मा को तलब किया। अशोक शर्मा ने सुअरों को हटाने के लिए नगर पालिका द्वारा की जा रही कार्रवाई से उन्हें अवगत कराया।

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