राजू (ग्वाल) यादव/शिवपुरी। एक नारी जिसे देवी की प्रतिमा माना जाता है आज वही नारी अपने अस्तित्व की लड़ाई लडऩे पर मजबूर है आखिर ऐसे क्या कारण है कि महिलाओं के लिए बनाए गए सभी कानून आज नियमों को ताक पर रखकर औधें मुंह नजर आ रहे है।
बात चाहे शिवपुरी शहर के बीचों बीच चिकित्सकीय चिकित्सक के द्वारा यौन शोषण की हो अथवा वन कर्मी महिला के साथ उसी के वरिष्ठ अधिकारियों के दैहिक शोषण के प्रयास का, इन मामलों के साथ ही अंचल में अनेकों ऐसे मामले है जहां महिलाऐं व बालिकाऐं स्वयं को असुरक्षित मान रहे है। ऐसे में इनके संरक्षण के लिए पुलिस को अपने प्रयास तेज करने होंगें।
यूं तो कानून व्यवस्था जनता की सेवा के लिए है लेकिन इन दिनों जहां चोर-उचक्कों, बदमाशों को पकडऩे में पुलिस लगी है तो वहीं दूसरी ओर अब उसकी जि मेदारी महिलाओ की सुरक्षा के प्रति भी बढ़ी है। दिनों दिन घटते घटनाक्रम पुलिस के लिए बड़ी चुनौती का सबब बनते नजर आ रहे है। ऐसा नहीं है कि यह मामले पुलिस या आमजन के संज्ञान में ना हो लेकिन प्रशासनिक स्तर पर ऐसे सभी मामलों के प्रति पुलिस को अपना नजरिया बदलना आवश्यक है। कानून का माखौल उड़ाकर जिस प्रकार से सरेआम नाबालिग और बालिग बेटियों के साथ-साथ महिलाऐं अपने आंचल को नहीं बचा पा रही है तो इसमें कानून की कमी होना भी एक महत्वपूर्ण जि मेदारी मान सकते है।
बात चाहे खनियाधाना में बारात में जा रही 13 वर्षीय नाबालिग बेटी का अपहरण कर बलात्कार की हो या 40 हजार रूपये में मंडला से शिवपुरी लाकर बेची जाने वाली युवती की जिन्हें अभी यह भी ज्ञात नहीं था कि उनके साथ हो क्या रहा है। इसके लिए वह किसे जि मेदार मानें, यह तो एक-दो मामले है ऐसे ही ना जाने और कितने मामले पुलिस के स मुख खुलेंगें जिनकी वास्तविक सच्चाई आमजन के हृदय को चीर कर रख देगी। मानवीय संवेदना पर भी इन घटनाओं के प्रति जनता में रोष व्याप्त रहता है बाबजूद इसके इस तरह की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है।
कहां गया निर्भया काण्ड के बाद मिला कानून अधिकार जिसके तहत महिलाओं की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए कानून बनाया गया। जिससे ऐसा लग रहा था कि अब महिलाऐं व बालिकाऐं सुरक्षित होंगी लेकिन दिल्ली में घटित निर्भया काण्ड के बाद घटनाओं में कमी तो दूर बल्कि इस तरह की घटनाऐं और अधिक बढ़ी है। दिल्ली में ही एक महिला फोटोग्राफर पत्रकार के साथ भी गैंगरेप की घटना को आमजन भूल नहीं पाया है और इसके बाद भी इस तरह की घटनाऐं दिनों दिन सामने आ रही है।
आज के समय घटित यह घटनाक्रम जनमानस पर काफी गहरा प्रभाव छोड़ेंगें जिसके लिए हरेक मॉं-बाप पहले अपने घर की सुरक्षा की चिंता में लगा रहेगा। क्योंकि कानून के भरोसे बैठना वह बेमानी समझेगा यही कारण है कि आज संभ्रांत परिवार की महिलाऐं व बालिकाऐं भी इस तरह की घटनाओं का शिकार हो रही है। गत रोज ही महल कॉलोनी में एक युवक ने शहर के ही संभ्रांत परिवार की महिला को बातों में ऐसा फंसाया कि महिला को थक-हारकर अपने साथ घटित घटनाक्रम की पूरी रिपोर्ट पुलिस को परिवार केसाथ करनी पड़ी।
यह कोई एक दो या कोई और नहीं बल्कि इसी समाज की वह मानव जाति है जिन्होंने कभी माता-बहिनों को उस स मान की नजर से देखा ही नहीं इसलिए यह यह अपने बहिश्यापन की हरकतों से कई महिलाओं व नाबालिग बालिकाओं की अस्मत लूटने से बाज नहीं आ रहे। यदि समय रहते इन पर अंकुश नहीं लगा तो निश्चित रूप से देश का भविष्य गर्त में चला जाएगा। अब एक बड़ा सवाल यहीं उठने लगा है कि इसे कलियुग की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा कि आज नारी की अस्मिता से खेलने वाले यह जि मेदार कौन है.. और इन्हें कौन संभालेगा... कब इन्हें सजा मिलेगी और नारी के अस्तित्व की रक्षा हो सकेगी।
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