विक्रय से वर्जित भूमि के फर्जी कागजात तैयार कर किसान से 22.5 लाख रूपये ठगे

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शिवपुरी। पोहरी तहसील के ग्राम देवरीकलां में 40 बीघा  विक्रय से वर्जित भूमि के फर्जी कागज तैयार कराकर एक किसान के 22.5 लाख रूपये ठगने का मामला प्रकाश में आया है। क्रेता किसान जब रजिष्ट्री कराने गया और जब कागज तैयार करवाने के लिए खसरा ने नकल तहसील से निकली तो उक्त भूमि विक्रय से वर्जित निकली। खास बात यह है कि इन फर्जी दास्तावेजो में पटवारी व तहसीलदार के हस्ताक्षर अंकित है।

आरोपियों ने खसरा तथा भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका फर्जी तैयार कर उसमें से विक्रय से वर्जित शब्द विलोपुत कर क्रेता सोनेराम कुशवाह पुत्र रामदयाल कुशवाह निवासी पुलिस लाइन हाथीखाना शिवपुरी के पक्ष में मु त्यारनामा आम एवं अनुबंध की पूरी राशि प्राप्त कर रसीद सौंप दी। जब मु त्यारनामा आम के आधार पर के्रेता उक्त जमीन की रजिस्ट्री कराने गया और उसने तहसील से खसरे की नकल ली तब स्पष्ट हुआ कि उक्त जमीन अभी भी विक्रय से वर्जित बनी हुई थी तथा विक्रेताओं ने फर्जी कागजात तैयार किए थे।

आरोपियों के नाम खैरु पुत्र जगराम खंगार, सोमवती पत्नी खैरू खंगार, परमाल पुत्र बारे जाटव, बसंती पत्नी परमाल जाटव, नरेश पुत्र जगराम बराई, मिथलेश पत्नी नरेश, गजाधर पुत्र मनुआ जाटव, बिंद्रा पत्नी गजाधर जाटव, जसराम पुत्र बद्री खंगार, गीता पत्नी जसराम, सोनेराम पुत्र बाबूलाल जाटव, सुनीता पत्नी सोनेराम जाटव, रघुवीर पुत्र झींगुरिया खंगार हैं। जबकि आरोपी विक्रेतागण और क्रेता सोनेराम कुशवाह के बीच सौदा दो दलालों दौलतराम और रतीराम ने कराया था।

सूत्र बताते हैं कि 22.5 लाख रूपये में से विक्रेता और दलालों ने आधी-आधी राशि अपनी जेब के हवाले कर ली थी। इस घपलेबाजी में राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का हाथ होने का भी अंदेशा है। रिकार्ड में यह जमीन अभी भी आरोपी विक्रेताओं के नाम पर दर्ज है और बताया जाता है कि उक्त लगभग 40 बीघा जमीन तालाब के डूब क्षेत्र में आ गई है जिसका मुआवजा विक्रेताओं को मिलेगा। इस तरह से मुआवजे के 40 लाख रूपये लेने की भी आरोपी विक्रेता तैयारी कर रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार देवरीकलां ग्राम में स्थित भूमि सर्वे नंबर 809/16 (रकबा 1 हैक्टेयर), सर्वे नं. 809/21 (रकबा 1 हैक्टेयर), सर्वे नं. 809/20 (रकबा 1 हैक्टेयर), सर्वे नं. 809/23 (रकबा 1 हैक्टेयर), सर्वे नं.  809/15 (रकबा 2 हैक्टेयर), सर्वे नं. 809/07 (रकबा 1 हैक्टेयर), सर्वे नं. 809/24 (रकबा 1 हैक्टेयर) आरोपियों के नाम शासकीय कागजातों में दर्ज है। उक्त भूमि विक्रय से वर्जित है, लेकिन मई 2012 से दिसंबर 2012 के बीच आरोपीगणों ने क्रेता सोनेराम से उक्त जमीन बेचने का अनुबंध किया तथा अनुबंध में साफतौर पर लिखा कि उक्त जमीन विक्रय से वर्जित है, लेकिन हम कलेक्टर से अनुमति लेकर उक्त जमीन की रजिस्ट्री क्रेता के पक्ष में कराएंगे। अनुबंध में यह भी लिखा था कि यदि अनुमति नहीं मिली तो विक्रेतागण बयाने की राशि 2 प्रतिशत ब्याज सहित वापिस करेंगे।

मार्च 2013 में विक्रेतागण खसरा और भू-अधिकार ऋण पुस्तिका लेकर क्रेता के पास आए और उससे कहा कि अनुमति ले ली गई है और शासकीय कागजातों में अब उक्त जमीन विक्रय से वर्जित नहीं है। विक्रेताओं ने क्रेता सोनेराम को खसरे की नकल और भू-अधिकार ऋण पुस्तिकाएं भी सौंपी। चूंकि क्रेता के पास रजिस्ट्री कराने के लिए ढाई लाख रूपये नहीं थे इसलिए उसने अनुबंध की पूरी राशि बयाना सहित 22.5 लाख रूपये विक्रेताओं को दिए और उनसे प्राप्ति की रसीद ली तथा अपने पक्ष में छह मु त्यारनामा आम संपादित कराए। मु त्यारनामा आम की अवधि समाप्त होने के पूर्व क्रेता सोनेराम रजिस्ट्री कराने हेतु तहसील पोहरी में खसरे की नकल लेने गया तो उसके होश उड़ गए, क्योंकि खसरे में उक्त जमीन अभी भी विक्रय से वर्जित थी।

इसके बाद वह पटवारी सुनीता रावत से मिला और सरकारी रिकार्ड देखा तो रिकार्ड में भी उक्त जमीन विक्रय से वर्जित बनी हुई थी। लेकिन नकली भू-अधिकार ऋण पुस्तिका पर पटवारी सुनीता रावत के हस्ताक्षर थे। पटवारी ने कहा कि हस्ताक्षर तो उसके लग रहे हैं, लेकिन उसने फर्जी पुस्तिका तैयार नहीं की। यह कैसे हो गया इससे उसने अनभिज्ञता व्यक्त की। नकली भू-अधिकार ऋण पुस्तिका पर तहसीलदार पोहरी के भी हस्ताक्षर हैं। नकली खसरे की नकल में तहसीलदार के हस्ताक्षर के स्थान क प्यूटर सेंटर के प्रभारी के हस्ताक्षर थे।

क्रेता सोनेराम पल्ले के 22.5 लाख रूपये गवां चुका था और जमीन भी उसके नाम नहीं थी। इस पर जब उसने विक्रेताओं से संपर्क साधा तो वे टालमटोल करने लगे। इस पर सोनेराम ने कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की। कलेक्टर ने एसडीएम को और एसपी ने एसडीओपी को जांच के आदेश दिए। फिलहाल सोनेराम भटक रहा है। उधर आरोपीगण सरकार से उक्त जमीन डूब क्षेत्र में आने के कारण लगभग एक लाख रूपये बीघा के हिसाब से 40 लाख रूपये मुआवजा लेने की तैयारी में हैं।

पटवारी ने अनभिज्ञता व्यक्त की
पटवारी सुनीता रावत ने फर्जी भू-अधिकार ऋण पुस्तिका बनने के बारे में अनभिज्ञता व्यक्त की। लेकिन फर्जी पुस्तिकाएं कैसे बन गईं यह उन्हें समझ में नहीं आ रहा। जब क्रेता सोनेराम ने उन्हें नकली भू-अधिकार पुस्तिका दिखाई तो उन्होंने बताया कि हस्ताक्षर तो मेरे दिख रहे हैं, लेकिन फोटो स्टेट के स्थान पर ऑरीजनल नकली भू-अधिकार पुस्तिका दिखाओ तो कुछ समझ में आ सकता है। लेकिन सोनेराम का कहना है कि ऑरीजनल मैंने दिखाई और उन्होंने फाड़ दी तो मेरे पास प्रमाण कहां रहेगा। पटवारी ने सवाल खड़ा करते हुए यह भी कहा कि जब जमीन विक्रय से वर्जित थी तो सोनेराम ने उक्त जमीन का सौदा क्यों किया। जबकि सोनेराम का कहना है कि इस मामले में पटवारी की भूमिका की जांच होनी चाहिए।

शासन मुआवजा की राशि विक्रेताओं का न दे
सूत्र बताते हैं कि देवरीकलां में तालाब निर्माण हेतु उक्त विवादित जमीन आ रही है जिसकी मुआवजा राशि लगभग 40 लाख रूपये है। उक्त जमीन का मुआवजा निर्धारित हो चुका है और कागजातों में विक्रेताओं का नाम होने के कारण उक्त जमीन का मुआवजा उन्हें ही मिलेगा। लेकिन ठगी के इस मामले में प्रशासन को पहल कर मुआवजा राशि विक्रेताओं को देने पर रोक लगानी चाहिए।
   
बिचौलियों के कारण भी उलझा मामला
विक्रेतागण और के्रेतागण के मध्य उक्त 40 बीघा जमीन का सौदा 22.5 लाख रूपये में दो दलालों ने कराया था और सूत्र बताते हैं कि सौदे की आधी रकम दलाल हड़प गए और आधी विक्रेतागण के पास पहुंची। जब यह मामला उलझ गया और विक्रेतागण पर तलवार लटकने लगी तो वे समझौते के मूड़ में आ गए। लेकिन उनका कहना है कि जितनी रकम उन्हेें मिली है उतनी ही वह क्रेता को देंगे जबकि सौदा कराने वाले दो दलाल अपने हिस्से की राशि क्रेतागण को देने के लिए तैयार नहीं हैं।

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