ईश्वरीय सिद्धांतों को आगे बढ़ा रहे हैं वेद: विदुषी अंजली आर्य

0
शिवपुरी-आर्य समाज ने हमेशा ईश्वरीय सिद्धांतों को ग्रहण किया है यही कारण है कि आज आर्य समाज बिसरे वेदों की पुर्न स्थापना के लिए सतत कार्यरत है और उन्हें आगे बढ़ा रहे है शिवपुरी में महज अल्प समय में वेदकथा का आयोजन ऋषिमुनियों के तप का ही परिणाम है जो आर्य प्रतिनिधियों को आर्शीवाद देकर वेदों के ज्ञान को चहुंओर फैलाने का कार्य कर रहे है,
वेदों की महिमा अपार है जिन्होंने इसे समझा और माना है उसका जीवन सफल हो गया है परमपिता परमेश्वर को प्राप्त करने के लिए यज्ञ परम आवश्यक है यहां मंत्रोच्चारण विधि से ईश्वरीय आराधना की जाती है इसलिए यज्ञ प्रत्येक मनुष्य को करना चाहिए, जिससे धन,सुख,वैभव सहित अनेकों संपत्तियां प्राप्त होती है वेदों की इस महिमा का बखान किया आर्य समाज की परम विदुषी अंजली आर्य ने जो स्थानीय आर्य समाज मंदिर पर में आयोजित चार दिवसीय वेदकथा के शुभारंभ अवसर पर वेदों की महिमा पर प्रकाश डालकर आर्य समाज के प्रतिनिधियों से अपने आचरण में उतारने का आह्वान कर रही थी।

जनवरी माह के बाद महज चार माह बाद ही शिवपुरी में मु य यजमान बने सरोज-इन्द्रजीत चावला परिवार द्वारा चार दिवसीय वेदकथा का आयोजन किया गया है। यहां वेदों की महिमा का ज्ञान परम विदुषी अंजली आर्य के मुखारबिन्द से बड़े ही ओजस्वी वाणी में विभिन्न कथा-कहानियों के माध्यम से वेदों का ज्ञान अर्जित कराया जा रहा है। कथा प्रारंभ से पूर्व आर्य समाज शिवपुरी द्वारा वैदिक काल अनुसार वेदों के ज्ञान को जानने के लिए यज्ञ किया गया जिसमें संस्कृत श्लोकों व मंत्रोच्चारण से परमपिता की आराधना की गई। तत्पश्चात अपने आशीर्वचनों में परम विदुषी अंजली आर्य ने कहा कि कभी भी अपने को मैं मत समझना क्योंकि यह शरीर, घर परिवार सब यहीं रह जाता है और इंसान अकेला परमात्मा के पास जाता है। 

अंजली आर्य ने दृष्टि पर प्रकाश डाला और कहा कि मन में विकार आने पर भी मनुष्य पाप का भागी बन जाता है इसलिए मन में कभी भी ऐसे विचार ना लाऐं ऐसी दृष्टि ना डालें कि आप मन से भी अपराधी कहलाऐं। अंजली आर्य ने संकल्प पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज हम मानने को सब तैयार रहते है लेकिन कभी माना नहीं, आर्य समाज हमेशा अलग तरीके से कार्य करता है आर्य समाज द्वारा जो संकल्प लिया जाता है उसे माना जाता है इसलिए वेदों को माना है और वेदों के प्रकाश को चहुंओर फैलाया जा रहा है। 

वेदों ने अलग ढंग से मनुष्य को जीना सिखाया है। इस दौरान प्रवचनों के अंतिम क्रम में अंजली आर्य ने कहा कि जीवन को स्वर्ग बनाने के लिए इंसान को पांच यज्ञ करने होते है जिसमें गृहस्थ के लिए ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ, मलवस्थ देव यज्ञ एवं अतिथि यज्ञ यह सभी यज्ञ करने पर मनुष्य स्वर्ग को प्राप्त करता है। अंजली आर्य के अनुसार आज देवयज्ञ किया गया। प्रवचनों के बाद आरती की गई व रात्रि 8:30 बजे से 10 बजे तक भी अंजली आर्य के आशीर्वचन आर्य समाज मंदिर में होंगें। सभी धर्मप्रेमीजनों से आर्य समाज मंदिर में आयोजित वेदकथा के पुण्य लाभ में सहभागी बनने का आग्रह आर्य समाज ने किया है। 


Tags

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!