शिवपुरी। ये एक चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट था। जब प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने जब इसकी घोषणा की थी तब विशेषज्ञों ने इसे असंभव के समान बताया था और टाइमलिमिट को तो मजाक बता डाला था परंतु राजनैतिक इच्छाशक्ति का यह सशक्त उदाहरण है कि मध्यप्रदेश की पुण्यसलिला नर्मदाजी नदी का जल उज्जैनी तक जा पहुंचा और इधर जलावर्धन योजना है कि पूरा होने का नाम ही नहीं ले रही।
शिवपुरी की बहुप्रतीक्षित महत्वाकांक्षी सिंध पेयजल परियोजना राजनीति और ठेकेदार की मनमानी से अटकी हुई पड़ी है। फिलहाल तो फॉरेस्ट क्लीयरेंस के अभाव में काम रूका हुआ है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि एक सप्ताह के भीतर फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिल जाएगी, परंतु इसके बाद भी काम शुरू होने की उम्मीदें धूमिल नजर आ रही हैं।
ठेकेदार ने 8 माह से काम रोक रखा है। उस पर स्थानीय ठेकेदारों का लाखों का पैमेंट बकाया है। ताजा खबर यह है कि दोशियान कंपनी के लगभग सभी कर्मचारी काम छोड़कर भाग चुके हैं। ऐसी स्थिति में सिंध परियोजना कैसे पूर्ण हो पाएगी यह एक बड़ा सवाल है।
लगभग 65 करोड़ रूपये लागत की सिंध परियोजना का काम 2012 के पूर्व पूर्ण होना था, लेकिन राजनीति के कारण यह परियोजना पूर्ण नहीं हो पाई। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इस योजना को मंजूर कराने का श्रेय लेते हैं। विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा की कोशिश थी कि यह योजना पूर्ण हो जाए ताकि चुनाव में इसका फायदा भाजपा को मिल सके। इसी नियत से जन आशीर्वाद यात्रा लेकर शिवपुरी आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि वह बहुत जल्द सिंध परियोजना का लोकार्पण करने शिवपुरी आएंगे।
इससे जनता की उम्मीदें बढ़ीं, लेकिन बाद में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवपुरी आए तो उन्होंने घोषणा की कि सिंध परियोजना केन्द्र सरकार की देन है और इसका लोकार्पण करने वह कमलनाथ को लेकर आएंगे। इससे लगा कि लोकार्पण के मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस में टकराव हो सकता है। इसकी परिणिति यह हुई कि विधानसभा चुनाव के पूर्व माधव राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन ने नेशनल पार्क एरिये में खुदाई पर प्रतिबंध लगा दिया और पेड़ काटे जाने के लिए क्षतिपूर्ति मांगी।
यही नहीं सीएमओ और दोशियान कंपनी के मैनेजर पर एफआईआर भी दर्ज करा दी। इससे विधानसभा चुनाव से पूर्व सिंध का पानी शिवपुरी नहीं आ पाया। लोकसभा चुनाव के पूर्व परियोजना को पूर्ण कराने में दोनों दलों की दिलचस्पी रही, लेकिन लगभग 1 करोड़ रूपये पेड़ कटाई के एवज में जमा कराने के बावजूद भी खुदाई की अनुमति नहीं मिली। इसे खुलवाने के लिए प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने भोपाल में दो बार समीक्षा बैठक बुलाई। इसमें कलेक्टर, नेशनल पार्क संचालक, सीएमओ, दोशियान कंपनी के कर्मचारी, पीएचई के अधिकारी उपस्थित हुए। इसका परिणाम यह हुआ कि फॉरेस्ट क्लीयरेंस की उ मीदें बढ़ गई हैं और बहुत जल्द ही नेशनल पार्क की अनुमति मिल जाएगी, लेकिन इसके बाद भी काम शुरू होने के आसार दूर-दूर तक दिख नहीं रहे हैं।
क्रियान्वयन एजेंसी दोशियान कंपनी ने नेशनल पार्क एरिया के बाहर भी काम को लगभग 8 माह से रोक रखा है। बताया जाता है कि उसने ठेकेदारों को लगभग 1 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान नहीं किया है। कंपनी के कर्मचारी भी काम छोड़कर जा चुके हैं। कंपनी के द तर पर ताला पड़ा है और सूत्र बताते हैं कि कंपनी काम छोड़कर भागने की फिराक में हैं। उसने काम से अधिक भुगतान प्राप्त कर लिया है तथा सूत्र बताते हैं कि कंपनी नगरपालिका को पैमेंट बढ़ाने के लिए ब्लैकमेल कर रही है, लेकिन इससे जनता का संकट बढ़ रहा है और इस गर्मी में भी शिवपुरी में पेयजल संकट गहराने के आसार हैं।
जल संकट से निपटने के उपाय हुए शुरू
यह लगभग तय है कि इस बार भी गर्मी के सीजन में नागरिकों को जल संकट भुगतना पड़ेगा, क्योंकि सिंध का पानी शिवपुरी आने के कोई आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। जल संकट से निपटने के लिए नगरपालिका ने कार्य योजना बनाना शुरू कर दी है। सूत्र बताते हैं कि नगरपालिका ने पेयजल संकट से निपटने के लिए 7 करोड़ रूपये बजट में रखे हैं। वहीं ट्यूबबैलों का उत्खनन भी शुरू हो गया है।