पूरे बाजार को बर्बाद कर रहा है नामांतरण पर रोक का आदेश

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शिवपुरी। शासन के राजस्व को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए यूं तो डायवर्सन और नामांतरण के नाम पर अच्छा खास राजस्व मिलता था लेकिन जब से नामांतरण और डायवर्सन पर रोक लगी है तब से अवैध निर्माणकर्ताओं की तो जैसे लॉटरी लग गई हो वहीं वह आमजन जो पूर्ण रूप से नियमों का पालन कर अपना आशियाना बनाना चाहता है आज वह नामांतरण और डायवर्सन के कारण दर-दर भटक रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री के निर्देश अवैध कॉलोनी को बनाई जाऐंगी वैध, के फार्मूले पर कई कॉलोनी काटने वालों की तो जैसे चांदी कट रही है वह अवैध निर्माध कर अपना वैध कब्जा करने के प्रयास में सतत कार्यरत है।

बताना होगा कि एक ओर तो प्रदेश शासन मकान से वंचित हर व्यक्ति को मकान उपलब्ध कराने के लिए कृत संकल्पित नजर आती है। वहीं दूसरी ओर प्रशासन के फरमान से शिवपुरी में मकान बनाने का सपना धूमिल होता जा रहा है। प्रशासन की अडंगेबाजी के कारण न तो वंचित लोग प्लॉट खरीद पा रहे हैं और न ही नगरपालिका से वैधानिक अनुमति लेकर निर्माण करवा पा रहे हैं। इससे शासन को भी प्रतिवर्ष करोड़ों का नुकसान हो रहा है, लेकिन इसकी ओर किसी का भी ध्यान नहीं है।

अच्छी सरकार वह होती है जहां आम नागरिकों को अनावश्यक दिक्कतों का सामना न करना पड़े, लेकिन शिवपुरी में ऐसा ही हो रहा है। प्रशासन ने प्लॉटों के नामांतरण और डायवर्सन पर रोक लगा रखी है। इससे प्लॉट खरीदने से लोग हिचक रहे हैं। क्योंकि नामांतरण के बाद ही वह जमीन के वैध मालिक बनते हैं और उनका नाम सरकारी रिकॉर्ड में भूस्वामी की हैसियत से दर्ज होता है। नामांतरण के लिए इतनी जटिल प्रक्रिया राजस्व अधिकारियों द्वारा बताई जा रही है। जिसे पूर्ण किया जाना प्लॉटधारक के लिए संभव नहीं है। उसी तरह से डायवर्सन में भी रोक लगा रखी है। नामांतरण और डायवर्सन पर रोक लगने के कारण प्लॉट पर नगरपालिका से निर्माण हेतु वैधानिक अनुमति नहीं मिल पाती। इससे नगरपालिका के राजस्व का जहां नुकसान हो रहा है वहीं अवैध निर्माण को भी बढ़ावा मिल रहा है। इसका परिणाम यह हुआ कि अधिकतर लोग प्लॉट खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इससे सरकार की आय पर प्रतिकूल असर पड़ा है। सूत्र बताते हैं कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार दस्तावेजों का पंजीयन 50 प्रतिशत से भी कम हुआ है।

घटे जमीनों के भाव, निवेशकों के पड़े लाले

जब से जमीन कारोबार में डायवर्सन और नामांकराण् की रोक लगी है तब से जमीनों के भाव भी आसमान के बजाए जमीन पर आकर गिर गए जान पड़ते है यही कारण है कि एक ओर जहां जमीनों की कीमत के भाव घटे हैं तो वहीं दूसरी ओर इन जमीनों को खरीदने वाले निवेशकों के लाले भी पड़ रह है। ऐेसे में जमीन कारोबार में अड़चनों को देखते हुए निवेशकों की भी अब जमीन कारोबार से दिलचस्पी हट गई है। निवेशकों ने अपने धन को दूसरे कारोबार में खपाना शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि रियल इस्टेट से हटकर निवेशक अब बुलियन मार्केट में निवेश कर रहे हैं। निवेश की दृष्टि से सोने और चंादी इस समय अधिक उपयुक्त माना जा रहा है।

रियल स्टेट कारोबर में आई मंदी

रियल इस्टेट के व्यवसाय में आई गिरावट के कारण शिवपुरी में जमीन कारोबारियों की आर्थिक हालत भी खराब हो रही है। पिछले एक साल से इस कारोबार में मंदी का वातावरण है। इसके पूर्व जमीन कारोबारियों ने इस व्यवसाय में अच्छा पैसा कूटा था। साल छह माह में उन्होंने अपनी जमा पूंजी तीन से चार गुना तक बढ़ा ली थी, लेकिन अब जमीन के भाव में खरीददार न होने के कारण गिरावट के कारण व्यवसाईयों का पैसा इसमें फंस गया है। बहुत से व्यवसाईयों ने तो भारी कर्ज लेकर बाजार से पैसा उठाया है और ब्याज के कारण उनकी आर्थिक हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है।


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