शासन के अभियान को एसडीएम ने बनाया केवल प्रेसनोट

शिवपुरी। तालाबो को गायब होने से बचाने के लिए शासन ने फरमान जारी किया  कि तालाबो पर अवैध निर्माण और अतिक्रमणकारियों और तालाबो की भूमि को खुर्द-बुर्द करने वालो के खिलाफ कार्यवाही की जाये। परन्तु एसडीएम शिवपुरी ने इस शासन के इस आदेश को केवल प्रेसनोट ही बना कर रख दिया है।

अभी एसडीएम डी के जैन ने सरकारी प्रेसनोट जारी करके भुजारिया तालाब की रिकार्ड जमीन पर बने मकानो के निर्माण पर रोक और क्रय विक्रय पर रोक लगा दी है। परन्तु जलअधिकार के लिए दी गई लीज की भूमि पर कैसे मकान उगे इसका कोई ब्यौरा नही बताया है।

शिवपुरी नगर के  बसने से पूर्व नगर में अपना बसेरा बना चुके इस तालाब को शिवपुरी में टुकडुा न. 2 में स्थित गूजर तालाब को भुजारिया तालाब भी कहा जाता है। इस तालाब की रकवा 88 न. 2.350 हैक्टयर जमीन पर अभी भी तालाब है वाकी शेष रकवा न. 89 पर 2.162 हैक्टयर जमीन 1953 से पर पक्के मकान बनाकर अतिक्रमण कर लिया गया है। बताया जाता है कि रकवा न. 89 पर 2.162 हैक्टयर जमीन को जल अधिकार के उदेदश्य से मछली पालन और सिंघाड़े के लिए लीज पर दिया गया था। परन्तु जलअधिकार के लिए दिए गए इस लीज भूमि पर सिंघाड़े की जगह मकान कैसे उग आए इसकी जानकारी अभी तक प्रशासन को नही है।

प्राचीन भुजरिया वाले तालाब के रकवा न. 89 की भूमि के 1953 से 1960 तक के राजस्व रिकॉर्ड गायब हैं, इसके अलावा सिंगाड़े की खेती और मछली पालन के लिए दी गई यह जमीन निजी खाते में कैसे ट्रांसफर हो गई, जांच का यह बिंदु एसडीएम ने छोड़ दिया है। जबकि यह जांच का महत्वपूर्ण विषय था। ग्वालियर संभागायुक्त ने भी पत्र लिखकर इस मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन राजस्व दस्तावेज में हेरफेर करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

तालाब पर अतिक्रमण को लेकर जो जांच की है, उसको लेकर एसडीएम ने तहसीलदार के साथ संयुक्त जांच की है। जांच में स्पष्ट हुआ है कि तालाब की जमीन पर एक दर्जन से अधिक मकान और एक होटल शामिल है। इन निर्माणों को अवैध अतिक्रमण माना गया है, लेकिन जांच में यह स्पष्ट नहीं है कि इन अवैध अतिक्रमणों को हटाने के लिए प्रशासन क्या कार्रवाई करेगा। जांच में किसी तरह के दिशा निर्देशों का उल्लेख न होने के कारण प्राचीन तालाबों को बचाने की मुहिम पर फिर से संकट के बादल घिर आए हैं।

तालाब पर अतिक्रमण और हुए अवैध निर्माण को लेकर एसडीएम डीके जैन का जो आदेश आया है, उसमें कानून के जानकार कई खामियां बता रहे हैं। एसडीएम ने इस जल संरचना के आसपास हुए निर्माण को अवैध अतिक्रमण तो माना है, लेकिन इस अतिक्रमण को कैसे हटाया जाएगा, इन्हें रोकने के लिए क्या प्लानिंग बनाई है,