कलेक्टर FIR का आदेश देते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती, ऐसा क्यों ?

0
शिवपुरी। क्या ऐसा हो सकता है कि किसी मामले में कलेक्टर एफआईआर का आदेश दे परंतु विभागीय अधिकारी इस आदेश को पुलिस तक भी ना पहुंचाएं। मामला रफादफा कर दिया जाए। कम से कम शिवपुरी में तो ऐसा हो रहा है।

जिले में ग्रामीण विकास के दिए जाने वाले बजट में सचिव और सरपंचो के इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पंचायत विभाग की अधिकारी गंभीर नही है। या यूं कह ले कि वे भी इस भ्रष्ट्राचार में अपना शेयर रखेे हुए है।

बिना शिकायत की इन आधिकारियो को पंचायतो का भ्रष्ट्राचार दिखता ही नही है। क्योंकि अभी तक पंचायत के जितने मामले उजागर हुए है उनकी शिकायते स्थानीय आम नागरिको ने ही की है। प्रशासन की मॉनिटिरिंग में इस भ्रष्ट्राचार को क्यो नही देखा जाता है। यह बड़ा सवाल है।

अभी हाल में कई पंचायतो के सचिव और सरपंचो के खिलाफ कलेक्टर द्वारा एफआईआर के निर्देशों के बाद भी पंचायत विभाग से जुड़े अधिकारी पुलिस में मामले दर्ज कराने में देरी कर रहे हैं।

बदरवास के बिजरौनी गांव में विकास कार्य न होने व ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं में भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलन किए। एक सैकड़ा युवकों ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन भी किया मगर पंचायत विभाग के अधिकारियों ने कोई सुनवाई नहीं की। ज्ञापन लेकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।

ग्रामीण विकास योजनाओं में गड़बड़ी व भ्रष्टाचार करने वाले सरपंच व सचिव के खिलाफ कलेक्टर एफआईआर के आदेश तो दे रहे हैं मगर यह कायमी पुलिस थानों में नहीं हो रही है। कोलारस जनपद के चंदौरिया में पूर्व सरपंच पर अभी तक आदेश के बाद भी पुलिस में कायमी नहीं हो पाई है। इसी तरह निर्मल भारत अभियान में गड़बड़ी करने वाले 16 सरपंच व सचिव पर एफआईआर के निर्देश दिए गए थे मगर कईयों पर अभी तक कायमी नहीं हुई। राजनीतिक दबाव के मामले पेंडिंग पड़े हैं।

जिले में कई ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत जिन निर्माणों के लिए राशि स्वीकृत की गईं उनमें गड़बडिय़ां की गईं हैं। निर्मल भारत अभियान, शौचालय निर्माण, इंद्रा आवास योजना में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। फर्जी नामों से ही भुगतान दर्शाया गया है।बीआरजीएफ के तहत दी गई राशि में भी गड़बड़ी हुई है। राशि आहरित कर ली गई है, जिसका स्वयं के उपयोग के लिए सरपंच व सचिवों ने दुरुपयोग किया है। धारा 40 के तहत कई प्रकरण आर्थिक गड़बडिय़ों के जिले के सभी एसडीएम कोर्ट में लंबित हैं कार्रवाई अधर में है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत भी शालाओं के अतिरिक्त निर्माण के लिए मिले बजट का भी बंदरबांट हो गया है।

बीआरजीएफ के ढाई लाख निकाले

दर्रोनी के तत्कालीन पंचायत सचिव कमल शर्मा ने बीआरजीएफ के तहत विभिन्न योजनाओं के लिए 2 लाख 34 हजार रूपए पंचायत के खाते से निकाले। इसके बाद इस राशि से कोई निर्माण नहीं कराया। कई बार नोटिस देकर यह निर्माण करने की हिदायत दी गई लेकिन उन्होंने कोई निर्माण कार्य नहीं कराया। मामला ग्वालियर संभाग आयुक्त के समक्ष शिकायत के रूप में पहुंचा तब जाकर अधिकारी चेते अब एसडीएम ने जेल वारंट जारी किया है।

पिता को ही किया लाखों का भुगतान

गोपालपुरा पंचायत सचिव आयशानाज द्वारा ग्राम पंचायत कलोथरा में सचिव पद पर रहते हुए अपने पिता अब्दुल वहीद खां के नाम से वर्ष 2011 एवं 2012 में 1 लाख 74 हजार रूपए के चेक जारी कर दिए। यह राशि मनरेगा के तहत पंचायत में विकास कार्यों के लिए खर्च की जानी थी। इसी तरह अन्य विकास कार्र्यो की मदों में भी काफी गड़बड़ी मिली। इस ग्राम पंचायत मं कई निर्माण और विकास कार्यों में जमकर आर्थिक अनियमितताएं बरतीं गईं। अधिकारियों की मिली भगत से सारे काम चलते रहे। जब पु ता शिकायतें वरिष्ठ अधिकारियों को की गई तब सचिव को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दिए गए। इस मामले की जानकारी प्रशासन को पंचायत के ग्रामीणो द्वारा जन सुनवाई द्वारा ही दी गई थी।

विधायक की शिकायत पर कार्रवाई

कोलारस ग्राम पंचायत के चंदौरिया में पूर्व सरपंच राकेश गुप्ता द्वारा बड़े पैमाने पर गड़बडिय़ां की गईं। आंगनवाडी भवन एवं अन्य निर्माण के लिए आई साढ़े तीन लाख रूपए की राशि निकाली ली गई। फर्जी निर्माण दिखाकर लाखों की राशि का आहरण कर लिया गया। सरपंच के खिलाफ ग्रामीणों ने भी कई बार शिकायत की मगर विभागीय अधिकारी नहीं चेते। कोलारस के कांगे्रस विधायक रामसिंह यादव ने जब कलेक्टर को शिकायत की तो इस सरपंच के खिलाफ एफआईआर के निर्देश कलेक्टर ने दिए हंै।


Tags

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!