फिर उठ खड़ा हुआ बड़ा सवाल: आखिर क्यों हो रही शहर में नवजात शिशुओं की मौत!

राजू (ग्वाल) यादव/शिवपुरी। वैसे तो शासन द्वारा पीएनडीटी एक्ट लगाकर भ्रूण हत्या पर रोक लगा दी गई है और कई मायनों में देखा जाए तो एक तरह से भ्रूण लिंग पहचान करना अब संभवत: बंद ही हो गया है बाबजूद इसके शहर में आए दिन नवजातों की मौत का सिलसिला थामे नहीं थम रहा।

ऐसी क्या वजह है कि नवजात शिशुओं के जन्मते ही उन्हें मौत के आगोश में समाया जा रहा है कई जगह चर्चा होती है कि कलियुगी संतान है इसलिए किसी ने बेबजह काल के गाल में समा दिया लेकिन हद तो तब हो जाती है जब शहर में ही अलग-अलग क्षेत्रों में नवजातों के शव पुलिस बरामद करती है यह एक बड़ा सवाल आमजन के जेहान में है और प्रशासन, पुलिस व स्वास्थ्य अमले को चुनौती है कि वह इस तरह की बहशियाना हरकतों पर अपनी पैनी निगाह रखें और इन घटनाओं को अंजाम देने वालों को समय रहते पकड़ा जाए ताकि कोई नवजात अकारण ही इस दुनिया को अलविदा ना कह सके। फिलवक्त इन घटनाओं से आमजन सहमा हुआ है।

बताना मुनासिब होगा कि अभी महीने भर पहले ही जिले के करैरा, भौंती और शिवपुरी के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग स्थानों पर नवजात शिशुओ के शव पाए गए थे। जिसमें एक जगह तो कुत्तों ने शव को चीथ दिया था तो वहीं दूसरी ओर गुरूद्वारा के पीछे महावीर नगर में भी नाले के समीप नवजात का शव पाया गया। इन सभी मामलों को खुलासा भी नहीं हुआ कि गत दिवस ही शहर के लुधावली क्षेत्र में एक साथ दो नवजातों के शव मिलने से शहर में सनसनी फैल गई है आखिर इस तरह नवजातों को क्यों मारा जा रहा है, उन्हें क्यों समय से पहले इस दुनिया से अलविदा किया जा रहा है, इस मौत के पीछे क्या कारण है? ऐसे तमाम सवाल आज हर आमजन के जेहन में फुदक रहे है कि इन मासूमों की होने वाली मौत को कैसे रोका जाए तो कोई तो कारगर उपाय निकाला जाए ताकि इन्हें भी जीने का अधिकार मिले। संभव है कि आने वाले कल में यदि यही हाल रहा है कि भयावह परिणाम भी सामने आ सकते है।

बदरवास में भी मिला शव

विगत जनवरी माह में बदरवास में स्थित रामवीर के बाड़े में मिले नवजात शिशु के शव के मामले में पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ 304 ए का मामला दर्ज कर लिया है। इस तरह की घटनाएं आए दिन पूरे जिले में सामने आ रही हैं। अभी हाल ही में खोड़ क्षेत्र में एक जीवित नवजात शिशु के मिलने से सनसनी फैल गई।

लुहारपुरा पुलिया पर कार्टून में मिला शव

वहीं कल देहात थाना क्षेत्र के लुधावली में दो नवजातों के शव पड़े मिले थे। इससे पहले भी लुहारपुरा की पुलिया के पास स्थित शौचालय में भी एक कार्टून में बंद नवजात का शव पुलिस ने बरामद किया था, लेकिन आज तक  पुलिस इस तरह की घटनाओं को कारित करने वालों में से किसी की भी गिर तारी करने में असफल रही है और शहर सहित पूरे जिलेभर में भ्रूण और नवजातों के शव मिलने की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही हैं।

...कहीं नर्सिंग होम संचालकों की गड़बड़ तो नहीं

इन धटनाओं के पीछे कहीं शहर के नर्सिंग होम संचालकों की गड़बड़ तो नहीं, हालांकि पीएनडीटी एक्ट लागू होने से सभी नर्सिंग हो स ने भी अब इस तरह की घटनाओं से दूरी बना ली हैलेकिन शहर के कुछ नर्सिंग होम संचालकों सहित अनेकों प्राईवेट डॉक्टर्स इस तरह के कृत्य में लिप्त हैं इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता जो मोटी रकम बसूलकर ऐसे लोगों का साथ देते हैं जो या तो बिन विहाए मां-बाप बन जाते हैं या जो लोग बेटियों को अभिशाप समझते हैं और डॉक्टरों से मिलकर गर्भपात करा लेते हैं और अपने पाप को छिपाने के लिए उन मासूम बच्चों को इधर-उधर फेंककर अपने आप सुरक्षित समझे हैं। 

प्रशासन को बरतनी होगी स ती

इससे पहले भी शहर के अस्पताल चौराहे, तात्याटोपे प्रांगण सहित अनेक जगहों पर नवजातों के शव पड़े मिल चुके हैं और कई नवजातों को तो कुत्ते और सूअर भी चीथ चुके हैं, लेकिन विगत कुछ समय से ऐसी घटनाओं में इजाफा हुआ है। अगर शासन प्रशासन इस तरह के कृत्य करने वालों के खिलाफ स ती से पेश आए तो ऐसी घटनाओं पर रोक लगेगी, लेकिन ऐसे घटनाक्रमों पर शासन प्रशासन स त नहीं है। साथ ही शहरभर मे संचालित समाजसेवी संस्थाएं भी इन कृत्यों पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए आगे नहीं आईं। और इस हीलाहवाली के चलते इस तरह की घटनाएं आए दिन बढ़ती चली जा रही हैं।