पाठक मंच की गोष्ठी आयोजित

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शिवपुरी। मनुष्य की प्रकृति यायावरी की है, वह विभिन्न यात्राएँ करता है। अधिकांश यात्राएँ तीर्थाटन की होती थीं परन्तु वर्तमान में व्यक्ति मात्र आध्यात्मिक यात्रा ही नहीं करता वरन् उसमें संस्कृति, साहित्य और दर्शन को समझने का प्रयास भी सन्निहित रहता है।
उक्त विचार डॉ के एन उपाध्याय ने शा पी जी महाविद्यालय शिवपुरी में पाठक मंच की गोष्ठी में व्यक्त किए। साहित्य अकादमी, म प्र संस्कृति परिषद् भोपाल द्वारा आयोजित पाठक मंच में इस बार श्रीमती क्रांति कनाटे द्वारा संपादित पुस्तक ''साहित्य संवर्धन यात्राÓÓ पर गोष्ठी आयोजित की गयी। अपने उद्बोधन में आगे डॉ उपाध्याय ने कहा कि सुदूर प्रान्तों में बसे हमारे साथियों के सांस्कृतिक, लोकजीवन और भाषिक प्रचुरता को समझने में ये यात्राएँ सहयोग प्रदान करती हैं।

पाठक मंच की संयोजक डॉ पद्मा शर्मा ने कहा कि व्यक्ति समूह में इन यात्राओं को करता है जिससे एकात्मकता और अनेकरूपता को समझने में भी दृष्टि प्राप्त होती है। साहित्यिक उद्देश्य से पूर्ण की गयी यात्राएँ साहित्य के संवर्धन में सहयोग करती हैं। ढॉ लखनलाल खरे ने कहा प्राचीन काल में ़ऋषि भी प्रकृति के साथ रहते थे और यात्राएँ करते थेे। साहित्य और यात्रा का पूर्व से अन्तर्स बंध है। हर जगह का ऐतिहासिक महत्व है और ऐसे महत्व के साथ वैचारिक वैविध्य भी सामने आयेगा जो लेखक की मौलिकता होगी।

डॉ बी के जैन ने कहा प्राप्त जानकारियों और पढऩे सुनने की अपेक्षा लोगों से मिलने से आत्मीयता प्रगाढ़ होती है साथ ही उस क्षेत्र के साहित्य को समझने में भी दृष्टि प्राप्त होती है। डॉ भावना जैन ने कहा कि इस प्रकार की यात्राएँ अनुकरणीय, प्रेरणापरक और ज्ञानवद्र्धक होती हैं। भ्रमण से तज्जन्य क्षेत्र की समस्या और विशेषता का ज्ञान होता है। डॉ रामजीदास राठौर ने पाठक मंच और पुस्तको के पढऩे के महत्व को व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ मधुलता जैन ने आभार व्यक्त किया। गोष्ठी में डॉ मंजूलता गर्ग, डॉ राजरानी ढींगरा, डॉ मधलता जैन, प्रो एम एस हिण्डोलिया, प्रो महेन्द्र कुमार, डॉ आनंद मिश्रा, डॉ रामजीदास राठौर तथा प्रो देवेन्द्र वरुण उपस्थित थे।

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