नहीं बरसा आश्वासनों का आसमान: रीते रह जाएंगे बर्तन, सूख जाएंगे कंठ

शिवपुरी। लगता है कि एक बार फिर से नगर पालिका क्षेत्रांतर्गत निवास करने वाले रहवासियों को पेयजल संकट से जूझना पड़ सकता है क्योंकि शहर की मु य पेयजल हेतु जलावर्धन योजना का कार्य अधर में लटका हुआ है
जबकि इसकी पूर्णता के लिए ना केवल स्थानीय विधायक व वाणिज्य उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, प्रभारी मंत्री कुसुम मेहदुले व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी प्रयासरत है जबकि इस ओर धरातल पर स्थिति देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार भी शहरवासियों को पेयजल समस्या का सामना करना पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर वन विभाग का अड़ंगा भी इस कार्य रोड़े अटका रहा है निश्चित रूप से जब तक विभागीय समस्याओं का समाधान नहीं हो सकेगा तब तक कैसे यह योजना पूर्ण हो सकेगी यह सवाल आम जनमानस के बीच गूंज रहा है।

कहीं अपूर्ण ही ना रह जाए जलावर्धन योजना

जब से शिवपुरी में जलावर्धन योजना स्वीकृत हुई और उसका कार्य तत्समय प्रारंभ हुआ तब लग रहा था कि अब लोगों की पेयजल समस्या का निराकरण तय है लेकिन बीते लगभग 6 वर्ष पूर्व शुरू हुई मड़ीखेड़ा से शिवपुरी तक पानी लाने की जलावर्धन योजना निरंतर बिलंब का शिकार होती जा रही है और यह लगभग तय लग रहा है कि गर्मी में भी शिवपुरीवासियों को हर बार की तरह इस बार भी जल संकट का सामना करना पड़ेगा। जलावर्धन योजना के गर्मी से पूर्व पूर्ण होने के कोई आसार नहीं है और आशंकाएं तो ऐसी भी व्यक्त की जा रही हैं कि शायद यह योजना कभी पूर्ण न हो। दोशियान कंपनी भी काम छोडऩे की फिराक में हैं। लगभग 8 माह से काम रूका हुआ है और कोई देखने सुनने वाला भी नहीं है। भले ही जनप्रतिनिधि अलग-अलग दावा करें कि योजना पूर्ण होने वाली है और जल्द ही शिवपुरीवासियों को सिंध का पानी मिलेगा, लेकिन धरातल की सच्चाई बिल्कुल अलग है।

अधूरे निर्माण कार्य नहीं हो सके पूरे

यहां बताना मुनासिब होगा कि अभी हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव शिवपुरी में जलावर्धन योजना को मुद्दा बनाकर भाजपा ने जीत हासिल की और चुनाव को खत्म हुए दो माह बीत गए और प्रदेश में भाजपा ने अपनी सरकार बना ली। लेकिन इसके बावजूद भी बहुप्रतीक्षित जलावर्धन योजना का कार्य शुरू नहीं हो सका। ऐसी स्थिति में आने वाली गर्मी के मौसम में शहरवासियों को जल संकट से जूझना पड़ेगा, क्योंकि सर्दियों में ही पानी की व्यवस्था के लिए लोग भटकते देखे गए हैं और गर्मियों में यह स्थिति और भी भयानक होती नजर आ रही है। अभी तक इस योजना के तहत पाइप लाइन डालने से लेकर फिल्टर प्लांट और टंकियों का निर्माण भी पूरा नहीं हो सका है।

बुआ-भतीजे दे रहे दिलासे

केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी सभाओं में इस योजना को लाने में अपनी सरकार की उपलब्धि बताते हैं और दावा करते हैं कि दो माह के अंदर सिंध का पानी शिवपुरी आ जाएगा। वहीं क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के उद्योग मंत्री यशोधरा राजे 2014 की समाप्ति तक सिंध का पानी शहरवासियों को उपलब्ध कराने का भरोसा दिला चुकी हैं। लेकिन सच्चाई इन सभी दावों से हटकर है।

भुगतान के कारण भी लटकी हैं योजना

क्रियान्वयन एजेंसी दोशियान ने अपने ठेकेदारों को पैमेंट न दे पाने के कारण योजना से संबंधित कार्य 8 माह से रोक रखा है। जबकि नगरपालिका से अभी तक दोशियान कंपनी को लगभग 40 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान कर दिया है, लेकिन काम से अधिक पैमेंट होने के बाद भी निर्माण एजेंस काम में लेटलतीफी कर रही है। जलावर्धन योजना को लेकर अभी हाल ही में कलेक्ट्रेट में आयोजित बैठक में प्रभारी मंत्री कुसुम मेहदेले और यशोधरा राजे ने योजना में आ रहे अडंगों को लेकर अधिकारियों से और निर्माण कंपनी के मैनेजर से चर्चा की और शीघ्र ही उन्हें काम निपटाने के लिए आदेशित किया। साथ ही निर्माण कंपनी दोशियान कंपनी 30 जून तक काम निपटाने की चेतावनी दी और तय समय सीमा में काम न निपटाने पर कंपनी को ब्लैक लिस्टेट कर बसूली करने किए जाने की बात भी कही, लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि निर्माण कंपनी नगरपालिका से काम से अधिक भुगतान प्राप्त कर चुकी है, लेकिन आज तक काम पूर्ण नहीं हो सका है और गर्मियां भी सिर पर हैं और पिछले कई वर्षों से शहर की जनता जल समस्या से जूझ रही है।

नेशनल पार्क की सीमा में खुदाई पर रोक लेकिन शहर में नहीं

जलावर्धन योजना के तहत नेशनल पार्क की सीमा में खुदाई पर नेशनल पार्क के संचालक शरद गौड ने रोक लगा दी है, लेकिन नेशनल पार्क से हटकर शहर में योजना के कारण कोई रूकावट नहीं है तो फिर कार्य क्यों रोका गया है। यह प्रश्र उठने शुरू हो गए हैं। अगर रूकावट वाले क्षेत्र को छोड़ अन्य जगहों पर कार्य को गति मिल जाती तो शहरवासियों को इस योजना का लाभ भी मिलना शुरू हो जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आज शहर की जनता पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रही है।