रैन बसेरा बने महज शोपीस, नहीं मिल पा रहा जरूरतमंदों को लाभ

शिवपुरी। नगरपालिका द्वारा लाखों रूपये खर्च कर शहर के गरीब और बाहर से आने वाले मुशाफिरों के ठहरने के लिए नगर में नए बस स्टेण्ड और पुराने बस स्टेण्ड क्षेत्र में रैन बसेरा बनाए गए थे, लेकिन इन रैन बसेरों में लोग बसेरा नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि एक ओर जहां गंदगी है वहीं समय पर रैन बसेरा न खुलने से लोग वहां नहीं पहुंच पा रहे हैं और अधिकतर लोगों को रैन बसेरा की जानकारी ही नहीं है।

इस कारण शहर में फुटपाथ पर सोने वाला गरीब तबके का व्यक्ति वहां तक नहीं पहुंच पा रहा है और कड़ाके की ठण्ड के बीच वह व्यक्ति कहीं हाथ ठेला तो कहीं दुकानों की छत के नीचे अपना रात गुजार रहे हैं। जबकि नगरपालिका द्वारा रैन बसेरे की साफ-सफाई और सुख-सुविधाओं हेतु राशि दी जा रही है, लेकिन उस राशि का कहां प्रयोग हो रहा है। यह एक प्रश्र बना हुआ है।

विदित हो कि शहर में लोगों का एक वर्ग ऐसा भी है जिनके पास अपना सिर छिपाने तक के लिए आशियाना नहीं है और ऐसे लोग पिछले काफी वर्षों से फुटपाथ पर सोकर अपना जीवन गुजार रहे हैं। इन लोगों की परेशानी को देखते हुए नपा द्वारा शहर में दो रैन बसेरा का भी निर्माण किया गया और इनके रख-रखाव के लिए अभी तक लाखों रूपये भी खर्च कर दिए गए हैं, लेकिन इन रैन बसेरों का लाभ उस वर्ग का व्यक्ति नहीं ले पा रहा है। बीती रात्रि जब इन रैन बसेरों की हकीकत जानी गई तो पता चला कि रैन बसेरों में कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था और वहां पर गंदगी का अंबार लगा हुआ था। पुराने बस स्टेण्ड क्षेत्र में स्थित रैन बसेरे में दो युवक एक कमरे में बैठकर टीव्ही देख रहे थे। जबकि वहां मौजूद हॉल और अन्य कमरों में ताले लगे हुए थे।

रैन बसेरों से निकलकर जब सड़कों पर गरीब हाथ ठेले चालकों और मजदूरी करने वाले लोगों को देखा गया तो एक मजदूर बिजलीघर के सामने स्थित नपा के कॉम्पलेक्स में बनी गैलरी में सो रहा था। गुरूद्वारा चौराहे पर एक हाथ ठेला चालक अपने ठेले पर अपना आशियाना बनाए खुले आसमान के नीचे कड़ाके की ठण्ड में रात गुजार रहा था। वहीं हनुमान मंदिर के पास बने एक चबूतरे पर एक महिला अपने जीवन के कई वर्ष गुजार चुकी है और थोड़ी बहुत बची जिंदगी उसी चबूतरे पर गुजार रही है। जबकि नगरपालिका द्वारा ऐसे लोगों के लिए यह रैन बसेरे बनाए गए हैं और उनके रख-रखाव के लिए भी अभी तक लाखों रूपये खर्च कर दिए गए हैं, लेकिन खर्च की गई वह बड़ी राशि उपयोग रैन बसेरों में नहीं दिख रहा और उन रैन बसेरों की हालत जर्जर बनी हुई है।

वहीं रात-बिरात बाहर से आए मुशाफिर भी इन रैन बसेरों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि वे लोग वहां व्याप्त गंदगी और अव्यवस्थाओं के कारण वहां नहीं ठहरते हैं। जिससे यह सिद्ध होता है कि शहर में बने रैन बसेरे एक मात्र शोपीस बने हुए और इन पर खर्च की जाने वाली राशि सिर्फ दिखावा है और इस राशि का दुरुपयोग नगरपालिका द्वारा किया जा रहा है और इस पर न तो अभी तक जिला प्रशासन ने ध्यान दिया दिया है और न ही कोई जनप्रतिनिधि आगे आया है।

क्यों नहीं जला रही नपा अलाव
प्रतिवर्ष नगरपालिका और समाजसेवी संस्थाएं शहर के प्रमुख स्थानोंं पर नागरिकों को ठण्ड से बचाने के लिए खासकर उन लोगों के लिए जिन लोगों का कोई आसरा नहीं होता, अलाव जलवाते हैं। जिससे कड़कड़ाती सर्दी में जरूरतमंदों और यात्रियों को राहत मिल सके। यह अलाव बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशन, जिला अस्पताल, प्रमुख चौराहों आदि पर जलाई जाती थी और जिसका लाभ सैकड़ों लोगों को मिलता था, लेकिन इस बार सर्दी ने सारी सीमाएं तोड़ दी हैं, लेकिन नपा को अपने इस कर्तव्य का अभी तक भान नहीं हुआ है।