लैंगिक अपराधी को दी साढ़े तीन साल की सजा

शिवपुरी। स्थिति और बालिकाओं के साथ लैगिंक हमला और यौन शौषण करने संबंधी अपराधों में वृद्धि हो रही है। इससे समाज में विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे प्रकरणों में बिना दण्डादेश दिये, प्रोवेशन एक्ट का लाभ दिया जाना उचित नहीं है।

उक्त बात सत्र न्यायाधीश मा. ए.एस. तोमर ने आज एक प्रकरण का निराकरण करते हुए फैंसले में लिखी। इस प्रकरण में सत्र न्यायाधीश श्री तोमर ने आरोपी विकास को दोषी मानते हुए धारा 4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत साढ़े तीन वर्ष के सश्रम कारावास और दो हजार रूपए के अर्थ दण्ड से दण्डित किया है वहीं आरोपी को भादवि की धारा 452 के तहत 6 माह का सश्रम कारावास और दो हजार रूपए का अर्थ दण्ड आरोपित किया है। दोनों धाराओं में अर्थ दण्ड अदा न करने पर आरोपी को तीन माह और जेल में काटना होगा।

अभियोजन की कहानी के अनुसार 27 मार्च 2013 को दोपहर 3 बजे बदरवास थाना क्षेत्र के ग्राम में अभियोक्त्रि जब अपने घर में झाडू लगा रही थी उस समय घर में उसके माता पिता नहीं थे। तब आरोपी विकास ने उसकी क्वारी भरकर छाती दबाई तथा अश्लील हरकत की। जब अभियोक्त्रि चिल्लाई तो नीलम व रतिराम मौके पर पहुंचे और आरोपी भाग निकला। डर और लज्जा के कारण अभियोक्त्रि के माता पिता के आने के पश्चात 29 मार्च को घटना की रिपोर्ट बदरवास थाने में आरोपी के विरूद्ध दर्ज कराई गई। 

पुलिस ने इस मामले में लैगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 4 विकल्प में धारा 354, भादवि की धारा 452 और 506 भाग दो का मामला आरोपी विकास के खिलाफ कायम किया है। पक्ष विपक्ष की बहस सुनने के बाद विद्वान न्यायाधीश ने आरोपी विकास को आपराधिक अभित्रास के आरोप से दोष मुक्त कर दिया, लेकिन लैंगिक अपराधों से बालिकाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत दोषी माना वहीं उसे भादवि की धारा 452 के तहत भी दोषी मानकर सजा से दण्डित किया है।


Tags

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!