पंजाब केसरी प्रमुख अश्विनी कुमार ने कहा समाजसेवी संस्थाओं से सीखें राजनीतिज्ञ

शिवपुरी। लोकतंत्र के चार स्तम्भों में जनता के बीच सबसे कम विश्वसनीयता पॉलीटिशियन (राजनीतिज्ञ) की है। जबकि कार्यपालिका और न्यायपालिका से भी अधिक प्रेस के प्रति जनता का विश्वास है। राजनीतिज्ञ जनता की नहीं, बल्कि अपनी सेवा करते हैं।

हालांकि यह बात भी सत्य है कि प्रेस को जनता के प्रति जितना जवाबदेह होना चाहिए उतनी वह नहीं है। उक्त उद्गार पंजाब केसरी के प्रमुख अश्विनी मिन्ना ने कल रात परिणय वाटिका में रोटरी क्लब द्वारा आयोजित पद स्थापना समारोह में मुख्य अतिथि की हैसियत से व्यक्त किए। 

गरिमापूर्ण समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ भाजपा नेत्री और ग्वालियर सांसद यशोधरा राजे सिंधिया ने की। वहीं शपथ अधिकारी की भूमिका रोटरी क्लब के प्रांतपाल राधेश्याम राठी ने निर्वहन की। जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व प्रांतपाल वीरेन्द्र वाफना उपस्थित थे। समारोह में मुख्य अतिथि अश्विनी कुमार ने देश की एकता और अखण्डता के लिए अपने परिवार द्वारा दी गईं कुर्बानियों का भावुक अंदाज में जिक्र किया। इस पर समारोह में उपस्थित जनसमूह ने तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ उनका अभिनंदन किया।

मुख्य अतिथि अश्विनी मिन्ना ने अपने उद्बोधन में कहा कि पत्रकारिता उनके परिवार का एक राष्ट्रीय मिशन रहा है। राष्ट्र की एकता और अखण्डता के लिए उनके दादा लाला जगतनारायण और पिता रमेश कुमार आतंकवादियों के हाथों मौत के शिकार हुए। उनके दादा को जहां 62 गोलियां मारी गईं वहीं उनके पिता के शरीर में 172 गोलियां उतारी गईं। 

उन्होंने आतंकवादियों की बंदूक और गोलियों का जवाब कलम से दिया है। उनके पिता का शव जब घर में रखा था तब उन्होंने अपने पिता की जेब में रखे पेन को निकालकर उससे पंजाब केसरी में विशेष संपादकीय लिखी थी और इसमें अपने ईरादे को बुलंद किया था कि आतंकवादियों से वह भयभीत नहीं होंगे और पंजाब केसरी उनकी सांस के आखिरी कतरे तक निकलता रहेगा।

 उन्हें फक्र  है कि देश की एकता और अखण्डता के लिए उनके दादा और पिता ने अपनी जान की कुर्बानी दी। पंजाब केसरी के साहस के कारण ही खालिस्तान नहीं बन पाया और पंजाब में हिंदु सुरक्षित बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के चार स्तम्भ कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और पत्रकारिता में आज जनता के बीच सबसे खराब छवि राजनीतिज्ञों की है। 

ऐसे में यशोधरा राजे जैसी जन नेत्री ही काफी हद तक राजनीतिज्ञों की छवि बचाए हुए हैं। उन्होंने हमेशा मूल्यों को सामने रखकर समाज सेवा के हित में राजनीति की है और आज भी कर रही हैं। अपने संबोधन में अश्विनी मिन्ना ने भारतीय संस्कृति का गुणगान किया और समाज के लिए पंजाब केसरी द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। इसके पूर्व कार्यक्रम के संयोजक डॉ. एमडी गुप्ता ने बड़ी खूबसूरती से मुख्य अतिथि अश्विनी मिन्ना का परिचय दिया।

 कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यशोधरा राजे सिंधिया ने मुख्य अतिथि अश्विनी कुमार का स्वागत करते हुए कहा कि उनके परिवार का गौरवशाली इतिहास है और तात्या टोपे की कर्मभूमि के साथ मैं उनके परिवार को जोड़कर देखती हूं। उन्होंने मुख्य अतिथि से मुखातिब होते हुए कहा कि शिवपुरी भले ही छोटी है, लेकिन इसका दिल बहुत बड़ा है। 

समारोह में पद स्थापना अधिकारी श्री राठी ने नव निर्वाचित अध्यक्ष प्रदीप सांखला, सचिव मनोज गुप्ता सहित नवीन कार्यकारिणी को शपथ दिलाई। निवर्तमान अध्यक्ष राजेश जैन और निवर्तमान सचिव अमिताभ त्रिवेदी ने अध्यक्ष और सचिव से अपनी सीटें बदलीं। प्रारंभ में राजेश जैन ने अतिथियों का स्वागत किया और अमिताभ त्रिवेदी ने अपने कार्यकाल का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।

नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्री सांखला ने अपने संबोधन में कहा कि वह अपने कार्यकाल में समाजसेवा कार्यों की रूपरेखा यशोधरा राजे सिंधिया से परामर्श के पश्चात बनाएंगे। समारोह में उपस्थित अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। समारोह में जहां विधायक माखनलाल राठौर, प्रहलाद भारती, नपाध्यक्ष श्रीमती रिशिका अनुराग अष्ठाना, वरिष्ठ समाजसेवी दीवान सुरिन्द्रलाल आदि मौजूद थे। वहीं मंचासीन लोगों में रोटरी क्लब के सहायक गर्वनर नंदकिशोर राठी, कार्यक्रम संयोजक राहुल गंगवाल और डॉ. एमडी गुप्ता आदि भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का शानदार संचालन रोटेरियन समीर गांधी ने किया तथा आभार प्रदर्शन की रस्म सचिव मनोज गुप्ता ने निर्वाह की।

वाह! वाफना जी आपका भी जवाब नहीं

विशिष्ट अतिथि पूर्व प्रांतपाल वीरेन्द्र वाफना की बाक्पटुता समारोह में छाई रही। क्लबों की अंर्तस्थिति को पूरे तार्किक ढंग से स्पष्ट किया और अध्यक्ष प्रदीप सांखला को चेताया कि कुछ भी करो अच्छा करो, बुरा करो या निष्क्रिय बने रहो हर स्थिति तुम्हें दिक्कत है, क्योंकि कहने वाले तो फिर भी कहेंगे और अच्छा नहीं बुरा ही कहेंगे। क्या करना चाहिए? यह सलाह भी बखूबी श्री वाफना ने दी। उनका अंदाज देखिए कि निपटने के लिए तुममें कुछ जानवरों के गुण अवश्य होना चाहिए। लोमड़ी की तरह चतुराई हो, मगरमच्छ की खाल की तरह चमड़ी मोटी हो, गधे की तरह शांत रहना आता हो और भी न जाने क्या-क्या। समारोह में श्री वाफना का भाषण चर्चा का विषय अवश्य बना रहा। यह बात अलग है कि उनके भाषण के एंगल के अलग-अलग मायने निकाले गए।

भगवान की पूजा से बेहतर है बुजुर्गों की सेवा

मुख्य अतिथि अश्विनी कुमार ने कहा कि भगवान की पूजा से बेहतर बुजुर्गों की सेवा है। उनके चेहरे पर मुस्कान लाना ईश्वर की ईबादत से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों के प्रति नजरिए में भारतीय और पाश्चात्य संस्कृति में जमीन-आसमान का फर्क है। अनाथ बुजुर्गों के लिए विदेशों में भी मर्सी होम होते हैं। उन्होंने बताया कि एक बार इंग्लैण्ड में जब वह मर्सी होम देखने गए तो वहां के संचालक ने उनसे कहा कि ये बुजुर्ग मौत का इंतजार कर रहे हैं। तब मुझे बहुत बुरा लगा और मैंने कहा कि यह नजरिया ठीक नहीं है। भारत में वृद्धाश्रम में वृद्धों को मौत के इंतजार के लिए नहीं रखा जाता, बल्कि उनके जीवन को सुखी और आनंदित बनाने पर ध्यान दिया जाता है। जीवन के प्रति उनकी जागरूकता और आनंद को बढ़ाया जाता है।