कोलारस विधानसभा चुनावी युद्ध में तीनों प्रत्याशी अपने लावोलश्कर के साथ कूदे

शिवपुरी। विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है और प्रदेश में आचार संहिता भी अभी लागू नहीं हुई है, लेकिन इसके बावजूद कोलारस में विधानसभा चुनाव का प्रचार सबसे पहले शुरू हो गया है। संभावित दावेदारों ने दीवार लेखन का कार्य शुरू करा दिया है और सुबह से देर रात तक संभावित उम्मीदवार जनसंपर्क में जुट गए हैं।
अधिकृत रूप से कांग्रेस और बसपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने जहां रामसिंह यादव पर पुन: दाव लगाया है। वहीं बसपा ने चंद्रभान सिंह यादव को टिकट दिया है। भाजपा की ओर से विधायक देवेन्द्र जैन की उम्मीदवारी अभी तय नहीं हैं, लेकिन संभावना व्यक्त की जा रही है कि पार्टी उन्हें इसी सीट से फिर उम्मीदवार बनाएगी। कल देर रात कोलारस में एक धार्मिक कार्यक्रम में देवेन्द्र जैन, रामसिंह यादव और चंद्रभान सिंह यादव एक साथ नजर आए।

कोलारस विधानसभा सीट पर इस बार जोरदार संघर्ष के आसार बन रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी यहां कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी के बीच काफी कांटे का संघर्ष देखने को मिला था। भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन ने कांग्रेस प्रत्याशी रामसिंह यादव को बेहद मामूली अंतर से महज 238 मतों से पराजित किया था। दोनों उम्मीदवार धनबल संपन्न हैं और राजनीति के रचेबसे खिलाड़ी हैं। उस चुनाव में बसपा की ओर से जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे लाल साहब यादव के भाई चंद्रभान सिंह यादव ने टिकट की मांग की थी, लेकिन उनकी मजबूत उम्मीदवारी को दरकिनार करते हुए बसपा ने करैरा के पूर्व विधायक लाखन सिंह बघेल को उम्मीदवार बनाया और वह सशक्त चुनौती पेश नहीं कर पाए। इस बार भी बसपा ने पहले अशोक शर्मा को टिकट देने की घोषणा की थी। बाद में अशोक शर्मा का टिकट काटकर चंद्रभान सिंह यादव को टिकट दे दिया था।

इस निर्णय से कांग्रेस खेमे में सर्वाधिक निराशा हुई, क्योंकि कांग्रेस में टिकट की दौड़ में यादव उम्मीदवार रामसिंह यादव अग्रणी है और ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि दो यादव उम्मीदवारों के मैदान में खड़ा होने से भाजपा को फायदा मिलेगा, लेकिन पार्टी ने इसे नजरअंदाज कर पुन: गाइड लाइन पर खरे उतरे रामसिंह यादव को टिकट देने की घोषणा कर दी। रामसिंह ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि उन्हें किसी की उम्मीदवारी से डर नहीं हैं और वह पूरी ताकत से मुकाबले के लिए तैयार हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि अशोक शर्मा को टिकट देना और फिर उनका टिकट काटकर चंद्रभान सिंह को टिकट दिये जाने की रणनीति बसपा के बाहर से खेली जा रही थी। जिनमें राजनैतिक शतरंज का एक पक्ष रामङ्क्षसह और दूसरा पक्ष देवेन्द्र जैन को मजबूत करने में जुटा था। कांग्रेस में ऐसी लॉबी भी सक्रिय थी जो रामसिंह यादव की उम्मीदवारी के विरोध में थी।

राजनैतिक शतरंज की चल रही बाजियों के कारण अशोक शर्मा अभी भी निराश नहीं हैं और वह भी पूरी ताकत से कोलारस में प्रचार-प्रसार में जुटे हैं। भाजपा की ओर से देवेन्द्र जैन की उम्मीदवारी की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन संकेत इस बात के प्रबल हैं कि उन्हें पुन: टिकट मिलेगा। इसीलिए देवेन्द्र जैन और उनके अनुज जितेन्द्र जैन भी पूरी शक्ति के साथ प्रचार में जुट गए हैं। सुबह से ही रामङ्क्षसह यादव, देवेन्द्र जैन, चंद्रभान सिंह यादव और अशोक शर्मा का गांवों का दौरा शुरू हो जाता है जो देर रात तक चलता है। बसपा उम्मीदवार चंद्रभान सिंह यादव के अनुसार उनका प्रचार 4 दिन पहले शुरू हो गया। प्रतिदिन वह 7 से 8 गांवों में जनसंपर्क कर रहे हैं और जिस तरह से उन्हें समर्थन मिल रहा है उससे वह काफी उत्साहित हैं।

चंद्रभान सिंह बताते हैं कि उनके समर्थन में दीवार लेखन का कार्य भी विधानसभा क्षेत्र में चल रहा है और वह आधी रात से पहले घर नहीं लौटते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार रामसिंह यादव भी पूरी ताकत से जनसंपर्क में जुटे हैं। हालांकि श्री यादव कहते हैं कि वह मतदाताओं के बीच जाकर उनके मन की टोह लेने का प्रयास कर रहे हैं कि मुझे चुनाव लडऩा चाहिए या नहीं? जब उनसे पूछा गया कि संकेत क्या मिले? तो उनका जवाब था मतदाता चतुर होता है। वह अपने मन की बात कहां बताता है। जब उनसे पूछा गया कि फिर आप उसके मन का कैसे अनुमान लगाएंगे तो उनका जवाब था कि मैं राजनीति का अनुभवी हूं और मन की बात पढऩा मुझे आता है। विधायक देवेन्द्र जैन बताते हैं कि रामसिंह 15-16 गाडिय़ों के साथ जनसंपर्क कर रहे हैं। जब श्री जैन से पूछा जाता है कि क्या उन्होंने भी प्रचार शुरू कर दिया है तो उनका कहना है कि मेरा प्रचार तो पूरे 12 महीने चलता है। वैसे भी मैं अपने विधानसभा क्षेत्र के अलावा अन्य विधानसभा क्षेत्रों के कार्यक्रमों और समारोह में जाता कहां हूं? उनका मानना है कि उनकी स्वच्छ छवि का लाभ उन्हें मिलेगा।