नवरात्रि में सजे जगजननी के दरबार, शक्ति उपासना और उपवास के साथ हिंदू नववर्ष प्रारंभ

शिवपुरी।  शिवपुरी में नवरात्रि का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। विशेष रूप से मां राज-राजेश्वरी मंदिर, मॉं वैष्णो मंदिर गांधी कॉलोनी, कैला माता मंदिर और काली मां मंदिर पर श्रद्धालुओं और भक्तों की भीड़ देखी जा रही है। इस नवरात्रि पर अनेक मंदिरों के प्रांगण में विशाल मेलों का आयोजन होता है। राजेश्वरी मंदिर पर मेले की आवक शुरू हो गई जबकि बलारी माता के मंदिर पर भी हर साल की तरह इस वर्ष भी मेला लगेगा।  

पुजारीगण बताते हैं कि माँ दुर्गा के नौ रूप हैं जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। नवरात्री में हर दिन माँ के विभिन्न रूप की आराधना की जाती है। माँ दुर्गा का प्रथम रूप शैैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनको शैलपुत्री कहा गया। यह वृषभ पर आरूढ़ दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प धारण किए हुए हैं। यह नव दुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। नवरात्र पूजन में पहले दिन इन्हीं का पूजन होता है। प्रथम दिन की पूजा में योगीजन अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थिति करते हैं। यही से उनकी योग साधना शुरू होती है।

भारतीय शास्त्रों में नौ दिनों तक निर्वहन की जाने वाली परंपराओं का बड़ा महत्व माना गया है। इन नौ दिनों में कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं, जिन्हें हमारे बड़े-बुजुर्गों ने हमें सिखाया है। उनका आज भी हम पालन कर रहे हैं। हर कोई चाहता है कि देवी की पूजा पूरी श्रद्धाभक्ति से हो ताकि परिवार में सुख-शांति बनी रहे। इस नवरात्रि के साथ हिंदू नववर्ष की भी शुरूआत आज से ही होती है। हिंदू धर्म में यह नववर्ष मां दुर्गा की उपासना के साथ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और आज से ही जगह-जगह मेले भी लगाए जाते हैं।

नवरात्रि के शुरू होते ही आज से मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या बढऩा शुरू हो गई है। शहर के राज-राजेश्वरी मंदिर, कैलादेवी मंदिर, सिद्धेश्वर मंदिर, काली माता मंदिर सहित मां मंदिरों में आज हजारों की संख्या में भक्तों ने माथा टेका और मां शैलपुत्री की उपासना शुरू की। बहुत श्रद्धालू आज से 9 दिनों तक उपवास रखते हैं और मां को प्रसन्न कर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। बहुत से भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए 9 दिनों तक निराहार रहकर मां का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्ति करते हैं। चैत्र नवरात्र में मंदिर पर मेले लगाने की भी परंपरा है और आज से मुख्य मंदिरों पर मेले भी लगाए जाने शुरू हो गए हैं।

क्या करें नवरात्रि में
नवरात्रियों में मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त तरह-तरह के प्रयोजन करते हैं जिनमें मुख्य रूप से भक्तों को जवारे रखना, प्रतिदिन मंदिर जाना,देवी को जल अर्पित करना, नंगे पैर रहना, नौ दिनों तक व्रत रखना, नौ दिनों तक देवी का विशेष श्रृंगार करना,अष्टमी और नवमीं पर विशेष पूजा करना, कन्या भोजन कराना,माता की अखंड ज्योति जलाना इनको करने से मां की कृपा भक्त को प्राप्त होती है।

क्या ना करें इन नवरात्रा में
जहां मां को प्रसन्न करने के लिए लोगों को अच्छे कर्म तो करने चाहिए साथ ही नवरात्रियों में हमें दाढ़ी, नाखून व बाल काटना नहीं चाहिए साथ ही घरों में सब्जी में छौंक या बघार नहीं लगाई जानी चाहिए और लहसुन, प्याज का भोजन नहीं बनाना चाहिए तथा सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। किसी के प्रति मन में कोई द्वेष भाव नहीं रखना चाहिए।

नवरात्रि में लगने वाले मेलों में मटकों की भरमार
नवरात्रि के शुरू होते ही गर्मी भी अपनी चरम सीमा पर आ जाती है और इस गर्मी को शांत करने के लिए लोग जहां ठण्डा पानी पीने के लिए फ्रिज का उपयोग करते हैं। लेकिन फिर भी लोग अपनी प्यास पूणरूप से नहीं बुझा पाते हैं। इस कारण घरों में मटकों की आवश्यकता होती है और बाजार में गर्मी को देखते हुए मटकों की बिक्री भी शुरू हो गई है और आज से शुरू हुए मेलों में मटकों की दुकानें लगना शुरू हो गई हंै।