शासकीय अनुदान राशि अधिकारियों के लिए बनी दूधारू गाय

शिवपुरी- कृषि को लाभ का धंधा बनाकर किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने की दृष्टि से कृषि उपकरणों पर शासन द्वारा दिये जाने वाला अनुदान अधिकारियों के लिए दूधारू गाय साबित हो रहा है। ऐसा ही एक मामला कृषि विभाग का सामने आया है।

जहां कृषि अधिकारियों द्वारा ट्रेक्टर पर दिये जाने वाली अनुदान राशि में से 15 से 20 हजार रूपए कृषकों से लिये जा रहे हैं और न देने पर उन्हें अनुदान की राशि नहीं दी जाती। कृषक भरोसी लाल जाटव ने जनसुनवाई एवं जन समस्या निवारण शिकायत के माध्यम से मुख्यमंत्री एवं जिलाधीश को लिखित में शिकायत की है कि अनुदान के एवज में उससे 15 हजार रूपए कृषि अधिकारी द्वारा मांगे जा रहे हैं।

कृषि विभाग द्वारा किसानों को कृषि उपकरण खरीदने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान राशि उपलब्ध कराई जाती है। यह अनुदान राशि अधिकारियों के लिए जिले में दूधारू गाय बनकर सामने आई है। ऐसा ही एक मामला कृषि विभाग से जुड़ा हुआ प्रकाश में आया है। जहां कृषक रामभरोसी जाटव निवासी मडरका तहसील पोहरी ने मुख्यमंत्री एवं जिलाधीश को लिखित में शिकायत की है कि उसके द्वारा 31 दिसम्बर 2012 को एक ट्रेक्टर क्रय किया था। ट्रेक्टर के लिए सरकार द्वारा 45 हजार रूपए अनुदान राशि कृषक को दी जाती है। अनुदान राशि के संपूर्ण कागजात विभाग को देकर राशि स्वीकृत कराई जा चुकी हैं। लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी उक्त राशि में से 15 हजार रूपए राशि रिश्वत के रूप में मांग कर रहे हैं। राशि न दिये जाने पर अधिकारियों द्वारा उसे गुमराह कर कार्यालय के पिछले एक साल से चक्कर कटवाये जा रहे हैं।

इनका कहना है
जब इस मामले उप संचाकल कृषि से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि कृषक द्वारा ट्रेक्टर पूर्व में खरीद लिया गया था। जबकि शासन की नियम है कि ट्रेक्टर खरीदते समय अनुदान के लिए कागज विभाग को पेश कर अनुदान की स्वीकृत प्राप्त कर ट्रेक्टर खरीदा जा सकता है। कृषक को अनुदान देना न्याय उचित है इसका जवाब जिलाधीश द्वारा सरकार को दे दिया गया है।
उप संचालक कृषि