अब माधौ महाराज की मूर्ति टूटने पर राजनीति शुरू, रिटा. CMO ने की कड़ी निंदा

शिवपुरी-अभी तो मासूम उत्सव की मौत के बाद उसकी राख भी ठण्डी नहीं हो पाई होगी कि अब शहर में उत्सव की मौत के बाद मचे उपद्रव में माधौ महाराज की मूर्ति टूटने का मामला गरमाने लगा। अभी-अभी कुछ समय पूर्व नगर पालिका सीएमओ मुंगावली और शिवपुरी जिले के पिछोर निवासी रामनिवास शर्मा अपनी शासकीय सेवा से निवृत्त होकर राजनीति की ओर इशारा करने लगे है।

एक समाचार पत्र के माध्यम से उन्होंने उत्सव की मौत पर अब राजनीति शुरू कर दी है और इस मामले में माधौ महाराज की प्रतिमा तोडऩे वालों के खिलाफ कड़ी निंदा करते हुए कार्यवाही की मांग की है। आखिर उस मासूम उत्सव की मौत की संवेदनाऐं एक ओर जहां पूरे शहर ही नहीं बल्कि जिला और अन्य दीगर जिलों में भी है ऐसे में अब इस मामले पर राजनीति करना कतई उचित नहीं है।

यहां पढि़ए एक समाचार पत्र को पूर्व नगर पालिका सीएमओ रामनिवास शर्मा के द्वारा दिए गए वक्त्व्य को-

स्कूली छात्र उत्सव गोयल की निर्मम हत्या निसंदेह शर्मनीय कृत्य है और इसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। लेकिन इसकी आड़ में असामाजिक तत्वों की हरकतों को जायज नहीं ठहराया जा सकता। शिवपुरी के असामाजिक तत्वों ने भीड़ को उकसाकर जो ताण्डव नृत्य किया है। वह बहुत ही शर्मनाक है और शिवपुरी के शांतिप्रिय नागरिकों को कलंकित करने जैसा है। उक्त बात सेवानिवृत्त मुख्य नगरपालिका अधिकारी रामनिवास शर्मा ने प्रेस को जारी एक बयान में कही है। असामाजिक तत्वों द्वारा माधौ महाराज की प्रतिमा को तोडऩे के काम को श्री शर्मा ने अबोध बालक की हत्या के समकक्ष बताया है और आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

श्री शर्मा ने अपने बयान में कहा है कि माधौ महाराज की प्रतिमा तोडऩा शिवपुरी के इतिहास की सबसे दुखद घटना है। माधौ महाराज शिवपुरी के निर्माता थे और शिवपुरी के विकास का श्रेय उन्हें है। उनके सुशासन की चर्चा आज तक की जाती है। उन जैसे महान व्यक्तित्व की प्रतिमा तोडऩा किसी सिरफिरे के दिमाग की उपज है। जिसने भीड़ को उकसाया और शिवपुरी के शांतिप्रिय माहौल को प्रदूषित करने का प्रयास किया।

वह कहते हैं कि मेरी राय में बाल हत्या और प्रतिमा तोडऩा एक जैसे अपराध हैं। यह ठीक वैसा ही कृत्य है जैसा हत्यारोपियों ने मासूम उत्सव की हत्या कर किया है। उन्होंने मांग की है कि कै. माधौ महाराज की प्रतिमा नगरपालिका को तत्काल स्थापित करना चाहिए। वह यह भी कहते हैं कि हिंसा करके राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाना किसी भी दृष्टि से सहनीय नहीं है। पुलिस प्रशासन से असहमति की अवस्था में शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांग उठानी चाहिए और शायद यह एक प्रभावी तरीका भी है।

अब ऐसे माहौल में क्या इन महोदय को यह नहीं सूझा कि अभी तो उत्सव की राख भी ठण्डी नहीं हो पाई और इन्हें राजनीति करने की शुरूआत कर दी। यहां देखना होगा कि अब इस मामले में और लोग क्या रूचि रखते है।