राठौर समाज ने कराया मंदिर में बार बालाओं का प्रदर्शन

शिवपुरी। कलियुग के इस जमाने में अब भगवान के मंदिर पर भी बार-बालाओं के ठुमके नजर आने लगे। बात कर रहे है बीते रोज हुए राठौर समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन का यहां कार्यक्रम में जिन लोगों ने इन नचनियों के ठुमकों को क्या देखा, वह यह भूल गए कि यहां भगवान का मंदिर भी है इसमें घोर लापरवाही मंदिर के महंत की भी है जिन्होंने ना केवल आयोजनकर्ताओं से इस बारे में कोई चर्चा नहीं की और ना ही उन्होंने मंदिर प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में हो रहे नंगे-नाच को रूकवाया। 

कुल मिलाकर भगवान के मंदिर में नाच रही इन बार-बालाओं पर हर किसी की जीत लप-लपाती नजर आई। ऐसे में आयोजन के इस तरह की अश£ीलता व नग्रता ने पूरे कार्यक्रम का मटियामेट कर दिया भले ही आयोजक इसे अपनी शान समझते है लेकिन भगवान के मंदिर में इस आयोजन की हर जगह थू-थू की चर्चाऐं सरगर्म है। यहां बता दें कि जन जन की आस्था के केन्द्र बांकड़े हनुमान मंदिर पर गत दिवस आयोजित राठौर सामूहिक विवाह सम्मेलन में बार बालाओं के अश£ील नृत्यों ने रंग में भंग कर दिया। मुम्बईया फिल्मों और ऐलबमों के अश£ील गानों पर फूहड़ और कामुक अंदाज में जमकर थिरकीं राजस्थान से आईं नृत्यांगनाएं। गानों की आड़ में स्त्री और पुरूषों के अंतरंग दृश्य भी दर्शकों के समक्ष परोसे गए।

जिन्हें देखकर कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं की आंखे शर्मिंदगी से झुक गईं। लोकनृत्यों की आड़ में काम जगत का खुला चित्रण हजारों लोगों के समक्ष पेश किया गया। नृत्यांगनाओं पर 100-100, 500-500 और 1000-1000 रूपये के नोट लुटाए गए। अश£ीलता जब सारी सीमाएं तोड़ गई तो स्टेज पर असामाजिक तत्व भी आ धमके जिन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बुलाया गया। खास बात तो यह थी कि रात 8 बजे से शुरू हुई यह फूहड़ता देर रात तक जारी रही।  विवाह सम्मेलन के मुख्य समारोह में कांग्रेस के पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी को भी बुलाया गया था और समारोह शुरू होने के पूर्व ही उन्हें बार बालाओं के अश£ील नृत्य को देखने पर मजबूर होना पड़ा। बार बालाओं के  कामुकता से भरे नृत्यों को दीदार करने वालों में राठौर समाज के प्रदेशाध्यक्ष राजकुमार राठौर भी शामिल थे।

बांकड़े हनुमान मंदिर पर सखी केसरीमल राठौर परिवार ने समाज की 63 कन्याओं के सामूहिक विवाह का आयोजन निजी फण्ड से कराया था। निश्चित तौर पर यह समाजसेवी कार्य सराहनीय था, लेकिन इस समारोह में बार बालाओं के प्रदर्शन की जरूरत क्या थी यह समझ में नहीं आया। मुख्य समारोह शाम 7 बजे होना था। इसके मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में पहुंच भी गए थे। लेकिन इस कार्यक्रम के पूर्व ही मुख्य मंच से अलग छोटे मंच पर राजस्थान से आईं पार्टी के कलाकारों ने अपना अश£ील प्रदर्शन शुरू कर दिया। छम्मक छल्लो, गौरी नाचे और जब चिपका ले सईयां फेवीकॉल पर नृत्यांगनाओं ने शर्म और लिहाज की सारी सीमाएं तोड़कर नृत्य करना शुरू किया और अपने पुरूष साथियों के साथ कामुकता की हरकतें शुरू की तो पूरे माहौल में उत्तेजना फैल गई।

उत्तेजना फिर इस हद तक फैली कि छोटे मंच से नृत्यांगनाओं को बड़े मंच पर बुला लिया गया। उस समय आमंत्रित अतिथिगण नीचे बैठे हुए थे। उनके समक्ष नृत्यांगनाएं मेनका बनी नाच रही थीं और रिझाने और लुभाने के सारे तरकसों एवं तीरों का इस्तेमाल कर रहीं थीं। उनकी हंसी में भी निर्दोषता नहीं, बल्कि कामुकता छलक रही थी। राजस्थान की इस पार्टी में दो नृत्यांगनाएं थी और उनका एक पुरूष साथी अण्डर वियर और बनियान में था। जिससे नृत्यांगना के शरीर पर हर ऐंगिल से झुकने में कोई परेशानी नहीं आ रही थी। माहौल उस समय बेहद कामुक हो उठा जब नृत्यांगनाओं पर हजार-हजार रूपये के नोट न्यौछावर करने वाले स्टेज पर चढ़ आए। जिन्हें नियंत्रित करने के लिए आयोजकों को पुलिस बुलानी पड़ी। नृत्यों के बीच में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया और इसके पश्चात फिर बार बालाएं थिरकने लगीं। एक मौका तो यह भी आया जब उदघोषक आदित्य शिवपुरी को कहना पड़ा कितना अच्छा होता यदि ये नृत्य पवित्र स्थली पर भगवान राम-सीता, राधा-कृष्ण के गीतों पर होता। लेकिन उनकी बात सुनने को कौन तैयार था। 


...और खुद के अपमान को सहन न कर पाए माखन लाल


व्यथित विधायक समारोह में नहीं पहुंचे, आयोजकों ने उन्हें न केवल अध्यक्षीय दायित्व से मुक्त किया, बल्कि सम्मेलन में उनके राजनैतिक विरोधी पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी को अतिथि के रूप में बुलाया


शिवपुरी-वैसे तो राठौर समाज के लिए विधायक माखन लाल राठौर बहुत एहमियत रखते है और होना भी चाहिए क्योंकि वह एक समाज विशेष के विधायक का नेतृत्व जो कर रहे है इनकी आस्था पूर्ण रूप से ग्वालियर सांसद यशोधरा राजे सिंधिया में है यही वजह है कि वह समाज में अपने रौब को दिखाने के लिए हर कार्यक्रम में यशोधरा को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करते है ठीक इसी प्रकार से गत दिवस राठौर समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में भी विधायक माखन लाल ने ग्वालियर सांसद यशोधरा राजे सिंधिया को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया लेकिन वह किसी कारणवश कार्यक्रम में ना आ सकी। इसके बाद आयोजित कार्यक्रम में भी विधायक माखन लाल बेरूखी हुई उन्हें अध्यक्षीय अतिथि की आसंदी से नवाजना था लेकिन उन्हें यहां भी जगह नहीं दी और घोषणा हुई कि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी होंगें। यह खबर सुनकर विधायक माखन लाल राठौर स्वयं कार्यक्रम से बिना कुछ कहे बाहर निकल गए यहां विधायक ने इस अपमान को सहन नहीं किया यही वजह है कि वह पूरे कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए और निकलकर चले गए।

हुआ यूं कि राठौर सामूहिक विवाह सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में यशोधरा राजे सिंधिया के न आने की गाज समाज के सजातीय विधायक माखनलाल राठौर पर गिरी। आयोजकों ने उन्हें सम्मेलन के अध्यक्षीय दायित्व से मुक्त कर दिया और समारोह में विधायक माखनलाल राठौर के स्थान पर खुद आयोजक श्रीमती सखी केसरीमल राठौर ने अपने आप की अध्यक्षता घोषित की। इस आशय का बैनर भी समारोह स्थल पर लगा दिया गया। यही नहीं आयोजकों ने सम्मेलन में श्री राठौर के राजनैतिक विरोधी कांग्रेस के पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी को अतिथि के रूप में समारोह में बुलाया। इस अपमान से विधायक राठौर इतने व्यथित हुए कि मुख्य कार्यक्रम शुरू होने के पूर्व ही वह समारोह स्थल से चले गए। इस विवाह सम्मेलन मेें 63 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे और आयोजक परिवार ने समूचे सम्मेलन का खर्चा स्वयं उठाया और प्रत्येक जोड़े को निशुल्क रूप से दहेज सामग्री भेंट की। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में राठौर समाज के प्रदेशाध्यक्ष राजकुमार राठौर भी उपस्थित थे। अपने संबोधन में विशिष्ट अतिथि वीरेन्द्र रघुवंशी ने आयोजक दंपत्ति के इस समाजसेवी कृत्य की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने समाज के समक्ष एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनका यह कृत्य हम सब के लिए प्रेरणास्पद है। समारोह में श्री रघुवंशी का पगड़ी पहनाकर सम्मान भी किया गया।

बांकड़े हनुमान मंदिर पर 12 फरवरी को आयोजित इस सामूहिक विवाह सम्मेलन की काफी समय पूर्व से तैयारी की गई थी। इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में यशोधरा राजे सिंधिया को आमंत्रित करने की जिम्मेदारी विधायक राठौर को सौंपी गई थी। उन्हें समारोह में अध्यक्षीय दायित्व निर्वाह करना था। इस आशय के बैनर शहर में अनेक स्थानों पर लगाए गए थे। लेकिन जब समारोह में यशोधरा राजे सिंधिया का न आना निश्चित हुआ तो आयोजक परिवार के तेवर बदल गए। कल कलश यात्रा निकलने से पहले तक तो सब ठीक-ठाक था, लेकिन श्री राठौर के सामाजिक विरोधी जिनमें माणिकचंद राठौर, हरिओम राठौर (भाजपा नेता नहीं) सक्रिय रहे और उन्होंने आयोजक परिवार को विधायक राठौर के खिलाफ भरना शुरू किया। इसका परिणाम यह हुआ कि आयोजकों ने आयोजन स्थल से उस बैनर को हटा दिया।

जिस पर मुख्य अतिथि के रूप में यशोधरा राजे सिंधिया और अध्यक्ष के रूप में माखनलाल राठौर का नाम लिखा हुआ था। उसके स्थान पर मुख्य अतिथि राजकुमार राठौर प्रदेशाध्यक्ष राठौर समाज और अध्यक्षता सखी केसरीमल राठौर का बैनर लगाया गया। यही नहीं विधायक राठौर को अपमानित करने के लिए पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी को आमंत्रित कर दिया गया। उस समय श्री रघुवंशी भोपाल में थे, लेकिन निमंत्रण मिलने के पश्चात वह तुरंत भोपाल से शिवपुरी के लिए रवाना हो गए। सूत्र बताते हैं कि श्री रघुवंशी से यह भी कहा गया कि सम्मेलन मेें विधायक राठौर को नहीं बुलाया जा रहा।

इस मौके को श्री रघुवंशी हाथों हाथ क्यों नहीं लपकते। विदित हो कि दुर्गादास राठौर जयंती समारोह में भी यही कहानी दोहराई गई थी जब राठौर समाज के एक वर्ग ने वीरेन्द्र रघुवंशी के मुख्य आतिथ्य में जयंती मनाई थी। इस बात की भनक कल देर शाम तक विधायक राठौर को नहीं लगी और वे 63 जोड़ों के विवाह में बांकड़े हनुमान मंदिर पर उपस्थित रहे, लेकिन जब उन्हें बैनर तथा श्री रघुवंशी को बुलाने की जानकारी लगी तो वे तुरंत वहां से रवाना हो गए। सूत्र बताते हैं कि उन्हें रोकने की कोशिश भी हुई, लेकिन श्री राठौर नहीं रूके। मुख्य समारोह का संचालन कर रहे आदित्य शिवपुरी ने स्टेज से तीन-चार बार विधायक राठौर का नाम लेकर उन्हें मंच पर बुलाया, लेकिन श्री राठौर वहां थे ही नहीं। उनके समर्थन में समाज के कुछ अन्य लोग भी कार्यक्रम का वहिष्कार कर गए और काफी देर तक उनका इंतजार चलता रहा। इस अवसर पर आयोजक केसरीमल राठौर के पुत्र मंजीत राठौर की मंगनी भी संपन्न हुई। 


बैनर पर विधायक पुत्र ने जताया रोष 


सूत्र बताते हैं कि विधायक राठौर के अचानक कार्यक्रम से चले जाने से आयोजक श्रीमती सखी राठौर उन्हें मनाने के लिए उनके निवास स्थान पर पहुंची जहां विधायक तो नहीं मिले, लेकिन उनके पुत्र ने नाराजी जाहिर की। जब आयोजक सखी राठौर ने विधायक पुत्र से अनुरोध किया कि उनके पिता को सम्मेलन में भेजा जाए तो बताया जाता है कि यह शर्त रखी गई कि नए बैनर को हटाकर पुराने बैनर को आयोजन स्थल पर लगाया जाए। लेकिन आयोजक इससे सहमत नहीं थीं।  


...और कार्यक्रम की बिगड़ी रौनक


सामूहिक विवाह सम्मेलन निश्चित तौर पर एक सराहनीय कार्य होता है, लेकिन इस सम्मेलन में कड़वाहट घुलने के कारण कार्यक्रम में रौनक नहीं रही। आयोजकों के चेहरे पर उस समय हवाईयां उड़तीं देखीं गई जब कई सामाजिक प्रतिष्ठित व्यक्ति नाराजगी के कारण मंच पर नहीं पहुंचे। अखरने वाली बात तो यह रही कि इस कार्यक्रम में आयोजक अपनी मान प्रतिष्ठा तक सीमित रहे और अतिथियों से ज्यादा उन्हें अपने सम्मान की परवाह रही। मंच पर 63 जोड़ों में से एक भी उपस्थित नहीं था और एक बार भी यह जिक्र नहीं किया गया कि जोड़े कहां के थे और उन्हें दहेज में क्या-क्या सामग्री दी जा रही है।