...ये क्या रिश्वत के पैसो वापिस दिलाने पर इतराए गोटू

शिवपुरी-प्रदेश में रिश्वत के आरोंपो में घिरे अफसरों के जहां पसीने छूट जाते है वहीं शिवपुरी में जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू इसलिए इतरा रहे है कि उन्होंने गत दिवस जिले के कोलारस थाना क्षेत्र में भाजपाईयों के लिए बनाए जाने वाले लायसेंस के पैसे लिए जा रहे थे जब इस मामले की जानकारी अध्यक्ष साहब को लगी तो उन्होंने जमकर थाना प्रभारी की क्लास ली और कहा कि मैंने भाजपाईयों के लायसेंस के लिए मांगे गए आवेदनों के रूप में ली गई रिश्वत को वापिस लौटाया।

लेकिन ये क्या यहां जिला पंचायत अध्यक्ष अपना राग अलाप रहे हैं तो वहीं थानेदार का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष अनैतिक दबाब डालकर कार्य कराने पर विवश कर रहे है जब ऐसा नहीं किया गया तो वह रिश्वत के आरोप मुझ पर मढ़ रहे है। खैर सच्चाई क्या है यह तो जिला पंचायत अध्यक्ष और थानेदार ही जाने लेकिन खबरियों के मुताबिक बताया गया है कि दोनों में आपस में खूब विवाद हुआ और यह मामला कोलारस में सरगर्मियां की तरह उछल रहा है। 

यहां पता चला है कि बीते रोज जिले के कोलारस थाने में जिपं अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू और कोलारस के टीआई सुरेशबाबू शर्मा के बीच जमकर विवाद हुआ। जिपं अध्यक्ष श्री जैन का कहना है कि उन्होंने थानेदार की जमकर क्लास ली और उनसे भाजपा कार्यकर्ताओं से लिए गए रिश्वत के पैसे वापिस दिलवाए। लेकिन टीआई श्री शर्मा ने जिपं अध्यक्ष के आरोप को गलत बताते हुए कहा है कि सच्चाई यह है कि थाने में आकर वह उन पर गलत काम के लिए दवाब डाल रहे थे। गत दिवस जिपं अध्यक्ष जितेन्द्र जैन से उनके कोलारस दौरे के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने शिकायत की कि थाना प्रभारी उनसे बंदूक के लायसेंस की अनुशंसा करने के लिए रिश्वत की मांग कर रहे हैं। 

कुछ कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने अनुशंसा हेतु धनराशि भी दे दी है। इससे उत्तेजित जिपं अध्यक्ष थाने में कार्यकर्ताओं के साथ पहुंच गए और सूत्र बताते हैं कि यहां दोनों के बीच जमकर विवाद हुआ। इस विवाद का पटाक्षेप भाजपा कार्यकर्ताओं की नारेबाजी के साथ हुआ और अध्यक्ष श्री जैन का कथन है कि उन्होंने थाना प्रभारी से अपनी गलती मनवाई और कार्यकर्ताओं से लिए गए पैसों को वापिस दिलवाया। लेकिन टीआई शर्मा के अनुसार ऐसा कतई नहीं है। 

जिपं अध्यक्ष ने पहले थाने के मुंशी पर दवाब डाला और फिर मुझ पर भी बंदूक लायसेंस की अनुशंसा करने के लिए दवाब डाला, लेकिन मैं उनके अनैतिक दवाब में नहीं आया और जिस आवेदक की रिपोर्ट प्रतिकूल थी उसकी अनुशंसा मैंने नहीं की। टीआई शर्मा ने यह अवश्य स्वीकार किया कि पुलिस रिपोर्ट अनुकूल होने पर उन्होंने कुछ आवेदकों को बंदूक लायसेंस दिए जाने की अनुशंसा की है। खैर इस मामले की सच्चाई तो इन दोंनों के बीच आपस में ही उलझ रही है लेकिन यह चर्चा यहां सरगर्मी पैदा कर गई और खूब चुटकियां लेकर चर्चाऐं चल रही है।